Biodiversity Park in Udaipur Rajsthan: आपलोगो से एक ऐसी कहानी शेयर करने वाला हूँ जो बेहद खूबसूरत और प्रेरणादायक है. ये कहानी मेरे चचेरे भाई की है जो उन्होंने मेरे साथ शेयर किया था. मेरा चचेरा भाई भी मेरी तरह का बहुत ज्यादा घुमक्कड़ प्रवृति का है और कहीं न कहीं घूमता ही रहता है और जब भी हमलोग साथ बैठते हैं तो एक दूसरे को सुनाने के लिए बहुत सारी कहानियां होती है.
वैसे तो स्वर्ग जैसे इस बायो पार्क में मुझे घूमना तो पसंद आ रहा था लेकिन यहाँ पर चल रहे एडवेंचर एक्टिविटीज को देखकर मुझे काफी डर रहा था.
मेरी दोनों बेटियाँ (इशू, शानू) इन गेम्स को देख कर काफी खुश हो गई. उन लोगों को तो जैसे मनचाही मुराद मिल गई पर मुझे तो ये सब ज्यादा पसंद नहीं आ रहा था.
परन्तु इशू और शानू तो इन सब गेम्स को करना चाहती थी और मेरी भी दिली इच्छा यही थी की मेरी तरह मेरी बेटियां इन सब चीजों से ना डरे, उनमें भी डर से जीतने का हौसला आये.
मुझे पार करते देख इशू और शानू ने भी इसे पार किया और ट्री क्लाइम्बिंग को पूरा करने के बाद उन के चेहरे की ख़ुशी देखने लायक थी. मुझे भी इन सब में बड़ा मजा आ रहा था.
हम लोग ट्री क्लाइम्बिंग के ज़िप क्लाइम्बिंग की तरफ आगे बढे. इस खेल में एक ऊँची पहाड़ी पर ले जा कर बन्दे को एक हुक के सहारे बाँध कर उस हुक को एक केबल से जोड़ दिया जाता है और वो केबल सामने वाली दूसरी पहाड़ी तक जाती है. वो बंदा उस हुक के सहारे लटके हुए इस पहाड़ी से बीच की गहरी खाई को पार करते हुए दूसरी पहाड़ी का सफर चीखते चिल्लाते हुए तय करता है और डर पर विजय पाता है.
मुझे तो ये समझ नहीं आता की वो चीखे डर की होती है या मज़े की या फिर डर वाले मज़े की! खैर ये सब देख कर मेरा तो कलेजा मुँह को आ गया था लेकिन बड़ी बेटी इशू ये राइड करना चाहती थी पर उस के मन में भी थोड़ा सा डर था इसलिए उस ने कह दिया की पापा पहले आप ये वाला राइड करो उसके बाद मैं करुँगी.
मेरी हालत तो डर के मारे पहले से ही पतली हो रखी थी और ऊपर से दूसरे राइड करने वाले लोगों की चीखों ने और मेरी हालत और ख़राब कर दी. इसलिए मैने बेटी को जीप लाइनिंग करने से मना कर दिया लेकिन वो नहीं मानी और कहा की आप तो मेरे डैडी हो! आप कैसे डर सकते हो!
राइड तो शुरू भी हो गयी और कुछ सेकेंड्स के बाद ख़त्म भी हो गई और यकीन मानिए उस समय में मैं दुनिया का सब से खुश इंसान था. बेटी की उस लाइन में छुपे विश्वास को मैं कायम रख पाया था.
“आप तो पापा हो! आप कैसे डर सकते हो!”
ऐसा नहीं है क़ी हमेशा बड़े ही बच्चों को हौसला देते है कई बार बच्चे भी बड़ों को कुछ कर गुजरने की हिम्मत दे जाते हैं.
थैंक्स इशू और शानू अपने डैडी पर भरोसा करने के लिए! मुझे मेरे डर से जीताने के लिए!
एक बात और अगर आप कभी उदयपुर जाएँ तो मेवाड़ बायोडायवेर्सिटी पार्क जरूर जायेगा और ज़िप क्लाइम्बिंग और दूसरे एक्टिविटीज भी जरूर कीजियेगा. सच में आप को बहुत मज़ा आएगा।