हिन्दू राष्ट्र की मांग और कर्त्तव्य पथ पर राज्यों की झांकी में सनातन धर्म की झलक, क्या है इसके मायने?, Hindu Religion and Politics in India

Hindu Religion and Politics in India

Hindu Religion and Politics in India:देश भर में पिछले कुछ दिनों से लगातार सनातन यानी की हिन्दू धर्म को लेकर सियासत चल रही है. जाति की, धर्म की, हिंदू राष्ट्र की और मुस्लिम राष्ट्र की भी, हर तरह की politics चल रही है। इसके अब अलग-अलग center सामने आए हैं। 

राहुल गांधी की पार्टी के एक नेता ने कहा कि हिंदू राष्ट्र की मांग होगी तो मुस्लिम राष्ट्र की भी demand रखी जाएगी। अखिलेश यादव की पार्टी के नेताओं ने संतों के बारे में फिर अजीब सी टिप्पणी की। साल 2024 का आम चुनाव अभी दूर है. लेकिन 80-20 वाली politics फिर से शुरू हो गई है। 

Hindu Religion and Politics in India

संत कह रहे हैं हिंदुओं को बांटने की कोशिश हो रही है। स्वामी रामदेव कह रहे हैं सनातन के खिलाफ साजिश बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सनातन को लेकर सवाल और बवाल के बीच, धर्म और कर्म दोनों के लिहाज से फिलहाल देश में सबसे ज्यादा चर्चा में क्या है उसको समझते हैं? इसी से शुरुआत करते हैं इस स्टोरी की. 

जब से बागेश्वर धाम सरकार पर लोग हमलावर हुए है तब से सभी सनातनी संत भी एकजुट होते हुए दिख रहे है. कथा वाचक देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री को समर्थन करते हुए कहा है कि “जो मनुष्य सनातन के लिए काम करता है, लोग उसके पीछे पड़ जाते हैं. लोग कहते हैं कि ये अंधविश्वास फैला रहे हैं, कौन सा अंधविश्वास, अरे काहे का अंधविश्वास. मैं सभी सनातनियों से निवेदन करूँगा। हमारा कोई बाहरी बाल बांका नहीं कर सकता। किसी की मजाल नहीं! कोई बाहरी आके हमारा बाल बांका कर दे! मैं हाथ जोड़ के प्रार्थना कर रहा हूँ. हम सब सनातनी एक हो और अपनी सनातन परंपरा को आगे बढ़ाएं। यही आप सब से भी मेरी रिक्वेस्ट है!’

दूसरे तरफ़ पंडित धीरेन्द्र शास्त्री ने पलटवार करते सनातनी को हिन्दू राष्ट्र देने का वादा किया है, “अगर तुम्हारे अंदर एक बूंद भी सनातनी हिंदू का हो तो तुम मेरा साथ दो. मैं हिंदू राष्ट्र दूंगा!”

सनातन social media के हर प्लेटफार्म पर trend कर रहा है. देशभर में सनातन पर सवाल, बवाल, धमाल और कुछ लोग कह रहे हैं कमाल! नेताओं से निपटने के लिए बागेश्वर धाम सरकार ने अपनी पार्टी का नाम और उसका चुनाव चिन्ह भी बताया है. पंडित शास्त्री ने कहा है कि “जब से मैंने सनातन धर्म के लिए घर वापसी के लिए मुद्दा उठाया तब से आए दिन षड्यंत्र किए जा रहे हैं. हमें झुकना नहीं है, रुकना नहीं है. बस आप लोगों से प्रार्थना है कि अब आपको बहुत सक्रिय होना है. अगर आप party की बात करें तो हमारी खुद की party है बजरंगबली party, उसका निशान मुगदर है, उसका नारा है- जो Ram का नहीं वो किसी काम का नहीं है.” 

सनातन के नाम पर इस समय देश में बहुत सारे लोग बहुत कुछ कह रहे हैं. धर्म के नाम पर चल रहे इस सियासत के बीच इसमें योगगुरु बाबा रामदेव भी कूद पड़े हैं. बाबा रामदेव का कहना है कि “सनातन के खिलाफ साजिश की बात हो रही है, conspiracy पर debate चल रही है. देश में एक स्वर गूंजना चाहिए कि हम किसी भी प्रकार से अपने सनातन धर्म के खिलाफ चलने वाले किसी भी षड्यंत्र को स्वीकार नहीं करेंगे।”

सनातन को लेकर पूरे देश में बवाल मचा है. सनातन पर अटैक के लिए नई-नई टूल किट सामने आ रही है. राजनेता, धर्मगुरु, सनातन विरोधी, कई मॉडुल एक्टिव हैं. हजारों सवाल उठाए जा रहे हैं. लेकिन इन सबके बीच रिपब्लिक डे के परेड में कर्तव्य पथ पर जो तस्वीरें सामने आई हैं वो सनातन को पूरी तरीके से समेटे हुए हैं.

Jammu Kashmir की झांकी में बाबा Barfani, झारखंड की झांकी में बाबा बैद्यनाथ धाम. बंगाल की झांकी में Durga पूजा। Assam की झांकी में माँ Kamakhya देवी मंदिर। Uttar Pradesh की झांकी में Ayodhya का दीपोत्सव और Haryana की झांकी में भगवान श्री Krishna का Gita उपदेश।

सोचिए क्या साल 2014 के पहले ये सब possible था. क्या कोई सोच भी सकता था कि 26 जनवरी की parade में, गणतंत्र दिवस की झांकियों में Hindu धर्म और सनातन के इतने सारे प्रतीक एक साथ नज़र आ सकते हैं. आज सनातन और पुरातन एक साथ चल रहे हैं. 

Uttar Pradesh की झांकी इसका example है. दिवाली पर दीपोत्सव की परंपरा बरसों पुरानी है. लेकिन अब इसे अयोध्या की पहचान से जोड़ दिया गया है. कर्तव्य पथ पर जब उत्तर प्रदेश की झांकी निकली तो लोगों ने भगवान राम और सीता के दर्शन किए.

Haryana की झांकी में भगवान Krishna के दर्शन हुए इस झांकी में भगवान Krishna Arjun को गीता का उपदेश दे रहे थे. हरियाणा में अगले साल विधानसभा के चुनाव हैं. अगले साल ही झारखंड में भी चुनाव होने हैं. इसलिए यहाँ की झांकी में भी हिंदुत्व वाला फैक्टर नजर आया. झारखंड की झांकी में भगवान शिव के १२ 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक देवघर के बाबा बैद्यनाथ के मंदिर की रेप्लिका थी. 

असम की झांकी में लोगों ने माँ कामाख्या के मंदिर का प्रतिरूप देखा। बंगाल की झांकी में भी शक्ति का स्वरूप नजर आया. दुर्गा पूजा का उत्सव और बंगाल की संस्कृति की पूरी झलक इस झांकी में साफ-साफ दिख रही थी. कर्तव्य पथ पर उतरे सनातन के इन प्रतीक चिन्हों में पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक पूरे हिंदुस्तान को समेटा गया था. तमिलनाडु की झांकी देखिए इसमें तंजमुर के वृद्धेश्वर मंदिर की रिप्लिका को उभारा गया था.

दिल्ली के कर्तव्य पथ पर सनातन के इन प्रतीकों को जिस वक्त पूरा देश देख रहा था. उसी वक्त सोशल मीडिया पर सनातन को लेकर हजारों सवाल उठाए जा रहे थे. मुद्दा रामचरितमानस पर बयान भी था और सनातन का अपमान भी था. पिछले कई दिनों से इसे लेकर हाय-तौबा मची हुई है. अब साधु संतों का गुस्सा सामने आने लगा है. योग गुरु बाबा रामदेव ललकारते हुए कहते हैं कि “कोई हमारे धर्म शास्त्रों पर प्रश्नचिन्ह लगा जाता है. कोई गोस्वामी तुलसीदास जी को गाली दे जाता है. तो कोई गाली दे जाता है हमारे उपनिषद को, दर्शनों जो. कोई हमारे पुराणों को, रामायण को, महाभारत को, भगवत गीता को. हमारी सांस्कृतिक विरासत को, कोई कलंकित करने का कुत्सित  प्रयास करता है, तो आज देश में एक स्वर गूंजना चाहिए.कि हम किसी भी प्रकार से अपने सनातन धर्म के खिलाफ चलने वाले किसी भी षड्यंत्र को स्वीकार नहीं करेंगे. 

सारी इन बेबसियों से, लाचारियों से ये एक इंटेलेक्चुअल terrorism religious terrorism जो दुनिया में चल रहा है. देश में कुछ लोग उसको आगे बढ़ाने का प्रयत्न कर रहे है. इससे भी हमें देश को उबारना है और अपने सांस्कृतिक गौरव को लेकर के गुलामी की सारी निशानियों को मिटाते हुए हमें अपने प्रयत्न और पुरुषार्थ से अपनी शौर्य और वीरता से एक श्रेष्ठ भारत, एक दिव्य भव्य भारत और भारत की एकता अखंडता और संप्रदा के लिए हम जिएंगे भी और जरूरत पड़ी तो हम अपने प्राणों को भी निछावर करने के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे ये संकल्प होना चाहिए आज गणतंत्र दिवस पर.”                                                    

राम चरित्र मानस को लेकर पिछले कुछ दिनों से तमाम तरह की बातें कही जा रही है. राम चरित्र मानस की चौपाई पर सवाल उठाए गए. इसमें ऊंच नीच खोजी गई. एक दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश की गई. राम चरित्र मानस को बैन करने की मांग की गई. उसे जब्त करके नष्ट करने की डिमांड भी रखी गई और अगड़े-पिछड़े का वोट भी तलाशा गया. बाबा रामदेव ने कहा है कि देश में धार्मिक आतंकवाद चल रहा है, “देश में एक religious terrorism चल रहा है. हिंदू सनातन धर्म को नीचे दिखाना। सनातन मूल्य क्या है जो शाश्वत वैज्ञानिक मूल्य है। जो eternal truth है वही सनातन धर्म है। अब उस सनातन धर्म पर जो तरह-तरह के लांछन लगाकर के कभी हमारे धर्म शास्त्रों का आश्रय लेकर के, कभी हमारे महापुरुषों के चरित्र पर लांछन लगा कर के जो कुत्सित  प्रयास कर रहे हैं। ये सारे के सारे भारत विरोधी, राष्ट्र विरोधी अंतरराष्ट्रीय शक्तियों के इशारे पर या तो षड्यंत्र कर रहे हैं या अपनी कुत्सित कुंठाओं और अपनी बौद्धिक दरिद्रता और दिवालियापन के शिकार हो करके इस भारत को कही अपमानित करने की चेष्टा कर रहे हैं. उनका पुरजोर विरोध सारे देशवासियों को करना चाहिए।”                      

इस वक्त एक साथ कई मुद्दे खड़े हो गए हैं. रामचरितमानस पर सवाल, महापुरुषों पर लांछन, सनातन के खिलाफ साजिश और हिंदू राष्ट्र वाला मुद्दा एक बार फिर से trend करने लगा. क्योंकि बागेश्वर धाम के कथावाचक पंडित धीरेंद्र शास्त्री पहले तो धर्म परिवर्तन का मुद्दा उठा रहे थे अपने मंच से, सनातन की रक्षा की बात कर रहे थे लेकिन अब वो हिंदू राष्ट्र पर आ गए हैं. उन्होंने कहा कि “सुभाष चंद्र बोस जी के जन्मोत्सव पर, उनका एक नारा था। तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा। लेकिन हमने आज एक नया नारा बनाया है, भारत के इतिहास में। तुम मेरा साथ दो हम हिंदू राष्ट्र बनाएंगे। तुम हमारा साथ दो हम हिंदू राष्ट्र बनाएँगे और एक बात हम प्रार्थना करेंगे भारत के लोगों से अब चूड़ियाँ पहन कर घर में मत बैठो। एक केवल बागेश्वर धाम पर उंगली उठाने की बात नहीं, प्रत्येक सनातनी पर उंगली उठाई है. अब बाहर निकल कर के बताना ही पड़ेगा और इस बात को सुनने के बाद अगर नहीं निकले तो हम तुमको बुजदिल मानेंगे बुजदिल. उनका नारा बहुत विशाल था और हमारा भी आज का सूत्र note कर लीजिए सभी लोग अपना अपना mobile निकालिए निकालिए और ये नारा दीजिए सबको” 

Dhirendra Shastri के इस बयान को पिछले दिनों खूब viral किया गया. Sanatan के समर्थकों ने इसे अपने according फैलाया और Dhirendra Shastri के विरोधियों ने इसे अपनी तरह से घुमाया। Congress नेता Udit Raj कह रहे हैं कि अगर इसी तरह Muslim राष्ट्र और Dalit राष्ट्र की मांग हुई तो क्या होगा। हिंदुस्तान की  सियासत में इस वक्त अजीब situation है. साधु संतों को लेकर नेता बयान दे रहे हैं और नेताओं के बयान पर साधु संतों की नाराजगी दिख रही है. 

स्वामी प्रसाद मौर्य भी ऐसे ही एक नेता है समाजवादी पार्टी के. नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस पर सवाल उठाए तो उस पर पहले ही controversy खड़ी है. अब वो संतों-महंतों को लेकर अनाप-शनाप बोल रहे हैं उन्हें शूद्र कह रहे हैं, नीच बता रहे हैं। मौर्य के बयान पर साधू संत आग बबूला हैं। हनुमानगढ़ी अयोध्या के महंत राजू दास कहते है कि “स्वामी प्रसाद मौर्य जी का भाव गलत है। हम तो जन्मजात शूद्र हैं और उन्होंने नीच भी कहा तो हम लोग ठाकुर जी की सेवा में नीच बन के भगवान की सेवा करते हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य जी. लेकिन आपकी जो मानसिकता है रामायण के प्रति, रामचरितमानस के प्रति, बहुत ही दुखद है। निंदनीय है। इसका पुरजोर विरोध करते हैं, निंदा करते हैं और आपसे निवेदन करते हैं कि आप अपनी मानसिकता को ठीक कर लो नहीं तो समय नहीं लगेगा कि आपकी मन मस्तिक को हम लोग ठीक कर देंगे। क्या है कि हम संत हैं। शास्त्र  के साथ-साथ शस्त्र भी रखते हैं। आपने देखा होगा, चाहे माँ काली हो, चाहे भगवान परशुराम हो, चाहे भगवान राम हो, चाहे भगवान कृष्ण हो। जो भी हमारे देवी-देवता हैं, चाहे महाबली हनुमान हों, वो भी गदा रखते हैं। इसके नाते मैं निवेदन आपसे करता हूँ कि आप अपनी मानसिकता ठीक कर लें, जिससे समाज में वातावरण अच्छी बना रहे हैं।”

रामचरितमानस की चौपाई, स्वामी प्रसाद मौर्य का बयान और शूद्र को लेकर ताड़ना जैसे शब्दों की definition, ये सब अब political issue बन गया है, इसमें समाजवादी पार्टी की मुस्लिम politics देखी जा रही है, अस्सी-बीस का फार्मूला तलाशा जा रहा है। लेटे हुए हनुमान जी के मुख्य सेवादार विवेक तागड़ी का कहना है कि

“पहले ज्ञान अर्जित करें। पहले ज्ञान पाएं कि क्या है वर्ण-व्यवस्था और शूद्र नहीं शूद्र मानसिकता होती है। वो मानसिकता उनकी है. शूद्र मानसिकता है जो इस प्रकार से धर्म के प्रति और जाति के प्रति भेदभाव कर रहे हैं, जातियों में बाँट रहे हैं, पंद्रह और पचासी का मूल मंत्र समाज में दे के इस समाज को बाँट रहे हैं, हमारे हिंदुओं को बाँट रहे हैं.”

जिस तरीके से देशभर के संत सनातन के समर्थन में सामने आये है और लगातार दूसरे धर्मों के लोगों और उन नेताओं पर हमलावर हो रहे हैं जो हिन्दू धर्म के विरोध में बोला है. उससे तो यही लगता है कि ये आग बहुत जल्दी ख़त्म नहीं होनेवाली है और उधर जिस तरह से दिल्ली के कर्त्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस के परेड में सभी राज्यों की झांकी में सनातन धर्म को प्रस्तुत किया गया है उससे यही लगता है कि अब पुरे देश में धर्मों का राजनीतिकरण हो चूका है. 

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