Noor Mukdam Case: क्या आप सोच सकते हैं कि एक 27 साल की मासूम लड़की, जिसे प्यार और जीवन जीने का हक था, इतनी भयानक हालत में अपने ही जान-पहचान वाले के घर में मारी जाएगी? पाकिस्तान में हुए नूर मुकदम मामले ने न केवल देश, बल्कि पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया। आइए इस मामले की हर अहम पहलू पर नज़र डालते हैं।
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Noor Mukdam Case
नूर मुकदम कौन थीं?
नूर मुकदम पाकिस्तान के एक प्रभावशाली परिवार से जुड़ी थीं। उनका जन्म 23 अक्टूबर 1993 को जॉर्डन की राजधानी अम्मान में हुआ था। उनके पिता, शौकत मुकदम, पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक थे। उन्होंने साउथ कोरिया और कजाकिस्तान में एंबेसडर के रूप में सेवा दी थी। अपनी रिटायरमेंट के बाद, शौकत अपने परिवार के साथ इस्लामाबाद में रहने लगे।
नूर अपनी सादगी और विन्रम स्वभाव के लिए जानी जाती थीं। उनका परिवार एक हाई-प्रोफाइल जीवनशैली जीता था, लेकिन उनका निजी जीवन अध्याय अत्यंत सरल और दिलचस्प था।
घटना कैसे हुई?
19 जुलाई 2021 को नूर के माता-पिता घर से बाहर गए थे, जबकि नूर घर पर ही थीं। जब वे वापस आए तो नूर लापता थीं। कई बार कॉल और मैसेज के बावजूद उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला। जल्द ही, परिवार और दोस्तों को चिंता होने लगी।
20 जुलाई की रात को, कोहसर थाने से एक कॉल आती है। पुलिस उन्हें इस्लामाबाद के सेक्टर एफ 7/4 में बुलाती है। यह पता जाकिर जफर का था, जो पाकिस्तान के एक बड़े बिजनेसमैन हैं और जिनके बेटे जहीर जफर पर नूर केस का आरोप है। जब नूर के माता-पिता पुलिस के साथ वहां पहुंचे, तो जो उन्होंने देखा, वह किसी भी पिता के लिए दिल दहला देने वाला था।
एक कमरे में दिल दहला देने वाला दृश्य
पुलिस ने जब शौकत मुकदम को एक कमरे में ले जाया, तो वहां नूर का मृत शरीर पड़ा था। उनका सिर धड़ से अलग था और पूरा शरीर चोटों से भरा हुआ था। बगल में एक चाकू और पिस्टल रखी हुई थी। कमरे में खून के धब्बे और एक रूह कंपा देने वाली स्थिति थी।
वहीं पास में जहीर जफर गुस्से में चिल्ला रहा था। पुलिस ने उसी समय जहीर को हिरासत में ले लिया और नूर के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा।
जहीर जफर कौन है और उसने ऐसा क्यों किया?
जहीर जफर पाकिस्तान के एक अमीर व्यापारी का बेटा है। उसके पास अमेरिका और पाकिस्तान की नागरिकता है। बताया जाता है कि जहीर और नूर की पहली मुलाकात न्यूयॉर्क में हुई थी। दोनों के परिवार पहले से अच्छे दोस्त थे।
दोस्ती के साथ उनके रिश्ते आगे बढ़े लेकिन जहीर का उग्र व्यवहार और नशे की लत इसे बर्बाद कर देती है। इंग्लैंड में उसे नशा मुक्ति केंद्र में भेजा गया। यहां तक कि उसे ब्रिटेन से बाहर निकाल दिया गया। 2019 में वह पाकिस्तान वापस आ गया।
जुलाई 2021 में, जब जहीर ने नूर को मिलने बुलाया, तो उसने उसे अपने घर में कैद कर लिया।
नूर ने भागने की कोशिश की, मगर…
सीसीटीवी फुटेज से पता चला कि नूर ने खुद को बचाने की कई कोशिशें कीं। एक बार उसने बालकनी से कूदकर भागने की कोशिश की, लेकिन जहीर के नौकरों ने उसे गेट से बाहर नहीं जाने दिया। उसके बाद, जहीर ने उसे कमरे में खींचकर बेहद बर्बरता के साथ पीटा।
जहीर का पागलपन यहीं खत्म नहीं हुआ। पहले उसने नूर पर गोली चलाई, फिर चाकू से ताबड़तोड़ वार किए और आखिर में उसकी गर्दन काट दी।
परिवार और समाज का संघर्ष
नूर मुकदम की हत्या ने पाकिस्तान में महिलाओं की सुरक्षा पर बड़े सवाल खड़े कर दिए। इस केस को दबाने की कोशिश की जा रही थी, लेकिन सोशल मीडिया पर एक बड़ी मुहिम ने इसे दुनियाभर में फेमस कर दिया। महिलाओं के प्रदर्शन और तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान के हस्तक्षेप ने केस में त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित की।
अदालत का फैसला
पुलिस जांच और सबूतों के आधार पर जहीर जफर पर हत्या और टॉर्चर का मामला दर्ज किया गया। 24 फरवरी 2022 को अदालत ने जहीर को नूर मुकदम की हत्या के लिए मौत की सज़ा सुनाई। इसके अलावा, घर के दो नौकरों को 10-10 साल कैद की सज़ा दी गई।
जहीर के माता-पिता और साइकोथेरेपी सेंटर के कर्मियों के खिलाफ भी केस दर्ज हुआ, लेकिन सबूतों की कमी के चलते उन्हें बरी कर दिया गया।
हाई कोर्ट का फैसला
13 मार्च 2023 को इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा और जहीर की 25 साल की सजा को भी डबल डेथ पेनल्टी में बदल दिया।
निष्कर्ष
नूर मुकदम का केस न केवल पाकिस्तान, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक काला सच है। यह घटना महिलाओं की सुरक्षा, न्याय प्रणाली, और सामाजिक जिम्मेदारियों पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
क्या जहीर जैसे अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए? आपके विचार?
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