Panchachuli Base Camp Trek:क्या आपने कभी ऐसा स्थान देखा है जहां प्राकृतिक सुंदरता, साहसिकता और संस्कृति का अद्भुत संगम हो? उत्तराखंड की कुमाऊं हिमालय की गोद में बसी दरमा वैली और पंचाचूली बेस कैंप ट्रेक ऐसा ही एक स्थान है। नेपाल और तिब्बत की सीमा के पास स्थित यह क्षेत्र न केवल अपने अद्वितीय दृश्य के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां के प्राचीन गांव, धार्मिक मान्यताएं और अद्वितीय कहानियां भी इसे खास बनाती हैं।
Panchachuli Base Camp Trek
पंचाचूली, पांडवों और उनकी धार्मिक कथा
पंचाचूली की पांच पर्वत चोटियां एक धार्मिक मान्यता से जुड़ी हुई हैं। यहां कहा जाता है कि पांडवों ने अपने हिमालय यात्रा के दौरान अंतिम बार भोजन बनाने के लिए इन पर्वत चोटियों का उपयोग किया था। ‘चूल्हा’ शब्द का अर्थ होता है स्टोव, और इन्हीं चूल्हों के कारण इन्हें पंचाचूली कहा गया।
पांच चोटियां – पंचाचूली 1, 2, 3, 4 और 5, जिन्हें “पंचशिरा” के नाम से भी जाना जाता है, पांडवों के प्रतीक मानी जाती हैं। इन चोटियों के पास पहुंचकर महसूस होता है जैसे आप इतिहास और प्रकृति के संगम का अनुभव कर रहे हों।
दरमा वैली तक की यात्रा
दरमा वैली पहुंचने के लिए पिथौरागढ़ जिले के धारचूला कस्बे तक जाना पड़ता है। यहां से दरमा वैली करीब 80-90 किलोमीटर की दूरी पर है। हालांकि सड़क मार्ग अब तक विकसित किया गया है, लेकिन यह ज्यादातर कच्चा और उबड़-खाबड़ है।
दरमा वैली के दो प्रमुख गांव हैं – दुग्तु और डांटू। यहीं से पंचाचूली बेस कैंप तक का ट्रेक शुरू होता है। मैंने डांटू गांव में रात बिताई और सूर्यास्त के समय पंचाचूली पर्वत की झलक देखी। यहां के दृश्य इतने मंत्रमुग्ध कर देने वाले थे कि उन्हें रातभर महसूस करने का मन करता रहा।
पंचाचूली बेस कैंप ट्रेक
सुबह 6:30 बजे पंचाचूली बेस कैंप ट्रेक शुरू किया। दुग्तु गांव से लगभग 5-6 किलोमीटर लंबे इस ट्रेक पर विभिन्न संगठनों द्वारा लगाए गए रंग-बिरंगे पेड़ों और घासों से घिरे रास्ते से गुजरना बेहद खास अनुभव था। रास्ते में कई छोटे नाले, भोजपत्र के पेड़ और विशाल पाइन के वृक्ष मिले, जो ट्रेक को शानदार बनाते हैं।
करीब ढाई किलोमीटर की दूरी पर पंचाचूली बेस कैंप आया। यहां पहले केएमवीएन के रहने की झोपड़ियां स्थित थीं, लेकिन अब वे बंद हैं। हालांकि, यहां से दिखने वाले दृश्य मन मोह लेते हैं। बेस कैंप से आगे का रास्ता ज्यादातर सपाट था, जहां चलते हुए हिमालयन बर्च के जंगल और रंग-बिरंगे फूल मन को शांति से भर देते हैं।
पंचाचूली जीरो पॉइंट: प्रकृति का अजब करिश्मा
बेस कैंप से आधा किलोमीटर आगे बढ़ने पर पंचाचूली के चार चोटियां पास से दिखने लगीं। यहां के खुले मैदान में ठंडी हवा और पर्वतीय हवा का आनंद लेते हुए पंचाचूली जीरो पॉइंट पहुंचा।
जीरो पॉइंट से पंचाचूली पर्वत इतनी नजदीक दिखते हैं कि ऐसा लगता है मानो इन्हें छू लिया जा सकता है। पंचाचूली ग्लेशियर से निकलने वाली नयाला नदी का अद्भुत दृश्य यहां से देखा जा सकता है। यह नदी दुग्तु और डांटू गांव को अलग करती है और प्रकृति का अनुपम उदाहरण पेश करती है।
दरमा वैली के अनोखे गांव और कहानियां
दरमा वैली में कई प्राचीन गांव हैं, जिनकी कहानियां दिलचस्प हैं। नागलिंग गांव की कहानी में बताया जाता है कि यहां कभी एक विशाल सांप ने लोगों को परेशान किया था। गांव के लोहार कालुआ ने गरम लोहे की गेंद से उस सांप को रोक दिया। यह गांव इस घटना के नाम पर ‘नागलिंग’ कहलाया।
डांटू गांव में प्रवेश करते ही ‘जसुली दातल’ की प्रतिमा आपका स्वागत करती है। जसुली दातल, जिन्हें अब ‘दानवीर जसुली शौक्यानी’ कहा जाता है, ने अपनी संपत्ति का उपयोग हजारों धर्मशालाओं के निर्माण में किया। उनकी कहानियां दरमा वैली की सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न अंग हैं।
इसके अलावा तिदांग, मार्चा और सिपु जैसे गांव इस वैली की सीमा पर बसे हैं। खासतौर पर सौन गांव, जिसे पहले भूस्खलन ने नष्ट कर दिया था, अब नदी के पास दुबारा बसाया गया है।
यात्रा का समापन और अद्भुत अनुभव
चार बजे शाम को दरमा वैली को अलविदा कहना थोड़ा मुश्किल था। यहां की प्राकृतिक सुंदरता, पंचाचूली की धार्मिक कहानियां और यहां मिलने वाले लोगों से बातचीत ने इस यात्रा को अविस्मरणीय बना दिया।
इस यात्रा ने मुझे यह सिखाया कि पहाड़ केवल ट्रेकिंग के लिए नहीं हैं, बल्कि वे आपसे कहानियां साझा करते हैं। इस यात्रा ने मेरी उम्मीदों से कहीं ज्यादा अनुभव दिया और यह महसूस कराया कि दरमा वैली के बिना एक पंचाचूली यात्रा अधूरी रहती।
आपको ये जगह क्यों देखनी चाहिए?
अगर आप भी प्रकृति, शांति और रोमांच का अनूठा संयोजन अनुभव करना चाहते हैं, तो दरमा वैली और पंचाचूली बेस कैंप आपका अगला गंतव्य होना चाहिए। यहां के गांव, लोग और कहानियां न केवल आपकी यात्रा को समृद्ध करेंगे बल्कि यादों की एक नई किताब भी जोड़ेंगे।
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