1971 में क्यों हुआ भारत और पाकिस्तान का युद्ध, India Pakistan 1971 War, Why it happened ?Bangladesh Liberation

India-Pakistan-Bengladesh-War

India Pakistan 1971 War: 3 दिसंबर 1971 पाकिस्तान operation Chengiz Khan launch करता है। इंडिया की कई एयरफील्ड पर बम गिराए जाते हैं पाकिस्तानी एयर फोर्स के द्वारा। अमृतसर, पठानकोट, जोधपुर, अंबाला, आगरा, श्रीनगर टोटल में ग्यारह एयरफील्ड पर हमला किया जाता है।

उस शाम को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी रेडियो पर एक मैसेज जारी करती है देश की जनता के लिए। ये कहती है कि इंडिया के खिलाफ एक जंग छेड़ दी गई है। मैं एक खतरे के समय बोल रही कुछ ही घंटे पहले तीसरे दिसंबर को पाकिस्तान ने हमारे ऊपर एक हमला किया। 

Indian Air Force retaliate करती है और कुछ इस तरीके से शुरुआत होती है दोस्तों India Pakistan 1971 war. एक ऐसी war जिसके अंत में एक नए देश का जन्म होता है Bangladesh का. लेकिन क्या कारण था आखिर क्यों हुई ये war? क्यों Bangladesh आज़ादी चाहता था Pakistan से? और India का क्या role आता है इस पूरी कहानी में? आइए समझने की कोशिश करते हैं आज के इस स्टोरी में. 

कहानी की शुरुआत करते हैं ब्रिटिश के पहले से colonial times से. पहले जो Indian subcontinent था यानी आज के दिन का इंडिया, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, बर्मा, श्रीलंका। इस पूरे एरिया में हजारों छोटे-बड़े autonomous kingdoms हुआ करते थे। राजा-महाराजाओं का rule था, जिनके अपने languages होती थी, tradition होता था, अपना culture होता था।

जो बंगाल का area होता था. Specifically अगर सिर्फ बंगाल वाले area की बात करें यानी आज के दिन का बांग्लादेश plus West Bengal और इसके आस-पास का कुछ area. इस area को करीब thirteen century से mostly मुस्लिम राजाओं के द्वारा rule किया गया था। मोहम्मद बख्तियार खिलजी जो founder थे खिलजी dynasty के उन्होंने मुस्लिम rule को शुरू किया था इस एरिया में early thirteen century से. लेकिन important चीज ये जानने वाली है कि जो भी rulers थे यहाँ पर उन्हें ज्यादा interest नहीं था अपने religion को preach करने में। उनका focus इसमें बने रहता था कि कैसे वो local communities को system का हिस्सा बना सके।

तो इन मुस्लिम राजाओं के time में भी जो बड़े high ऑफिस holders होते थे, traders होते थे, musicians होते थे. वो अलग-अलग religious backgrounds और traditions से आते थे। basically कहा जाए Hinduism और इस्लाम के बीच में जो co-existence थी और intermingling थी वो इस area में बहुत देखी गई। इसकी वजह से जो कट्टरवाद था, extremism था वो काफी हद तक control में रहा।

समय में आगे चले तो साल seventeen fifty-seven में East India Company इस area को take over कर लेती है, जिसको मैंने detail में इस स्टोरी में समझाया है. जिसके बाद 1947 तक British rule रहता है और फिर हमें देखने को मिलता है partition. India और पाकिस्तान के बीच साल 1940 में ही All India Muslim league के annual सेशन में लाहौर resolution बनाया जाता है जिसमें डिमांड उठाई जाती है कि मुसलमानों के लिए एक separate state बनाई जाए।

इनका डर ये था कि अगर एक ही देश बना रहेगा तो मुस्लिम्स minority बन जाएंगे और वो डर में जिएंगे। partition करते वक्त religious lines पर borders बनाने का मतलब ये था कि जो सोशल, commercials और कल्चरल संबंध थे लोगों के बीच में उन्हें नजरअंदाज करना पड़ता है। यानी बड़ी-बड़ी states जहाँ पर common cultures थे, भाषाएं एक बोली जाती थी उन्हें भी बांटा गया partition की वजह से. बस इसलिए क्योंकि धर्म के नाम पर लोगों को divide करता है।

इसके 2 सबसे बड़े example है पंजाब और बंगाल। पंजाब का कुछ हिस्सा पाकिस्तान में या कुछ हिस्सा इंडिया में रहा और same with बंगाल। कुछ हिस्सा इंडिया में कुछ हिस्सा पाकिस्तान में. लेकिन बांटने का मतलब ये नहीं था कि इनके culture अलग-अलग हो जाएंगे। जो दो हिस्सों को बांटा गया कि वहां के लोग same भाषा में बात करते थे, same culture और traditions को follow करते थे।

बंगाल में जो मुस्लिम पाकिस्तान के favour में थे, उनकी उम्मीद ये थी कि एक नया मुस्लिम देश बनने से उन्हें एक बेहतर standard of living मिलेगा। उनकी financial और social condition improve होगी। इनमें से कई ऐसे लोग थे, जो inferior feel करते थे, हिन्दू landlords के लिए, क्योंकि वो उनके लिए काम किया करते थे। वो पाकिस्तान की सरकार की तरफ देख रहे थे, अपने fundamental rights पाने के लिए। obviously जब बंटवारा किया गया, partition हुआ तो बहुत से बहुत से लोग displace हो गए। एक भारी migration देखने को मिली जिसमें कई मुस्लिम्स पाकिस्तान की तरफ माइग्रेट हुए और कई हिंदुस पाकिस्तान से इंडिया।

इसी बीच बहुत से दंगे हुए, mob violence हुआ, कुछ 2 से 20 लाख deaths का estimate किया जाता है। इस माइग्रेशन में एक group of लोग थे जो बिहार में रह रहे मुस्लिम्स थे। अब बिहार obviously क्योंकि बांग्लादेश के  ज्यादा करीब है तो बहुत से मुस्लिम जो बिहार में रह रहे थे वो ईस्ट पाकिस्तान में migrate किए इन मुस्लिम बिहारी को specifically mention करना जरूरी है. क्योंकि आप आगे कहानी में देखेंगे कि कैसे इन्हें माना जाता था कि बांग्लादेश के खिलाफ है इन्हें anti बांग्लादेशी माना जाता था। अभी के लिए partition पर वापस आए तो बंगाल का जो partition हो रहा था वो अपने आप में ही एक बहुत बड़ा issue था।

शुरुआत में पूरे बंगाल में partition के खिलाफ vote किया था अगर इस partition का मतलब हो कि बंगाल को पाकिस्तान का हिस्सा बनना पड़े। लेकिन इस बंगाल में ही वेस्ट बंगाल region था वहां रहने वाले लोग पार्टीशन चाहते थे और इंडिया को join करना चाहते थे। दूसरी तरफ जो ईस्ट बंगाल वाला region था वो partition नहीं चाहते थे। लेकिन अगर कोई partition हो तो वो चाहते थे कि वो पाकिस्तान को join करे। तो eventually जब partition हुआ वेस्ट बंगाल इंडिया का हिस्सा बना और ईस्ट बंगाल पाकिस्तान का हिस्सा बना।

पाकिस्तान के देश को दो हिस्सों में divide किया गया जिनके बीच separation एक हजार 500 किलोमीटर का था और बीच में इंडियन territory थी। अब interesting चीज ये है कि पाकिस्तान का जो नया देश बना उसमे majority ethnic group था वो actually में बंगालीस का था।आधे से ज्यादा population इस नए पाकिस्तान के देश की बेंगोलीस थी जो ईस्ट पाकिस्तान में रह रहे थे। बाकी वेस्ट पाकिस्तान में पंजाबीस, pakhtoons, सिंधीस और बलोच थे। अब even the बेंगोलीस की population ज्यादा थी पूरे पाकिस्तान में लेकिन जो पावरफुल positions थी जैसे कि bureaucracy, military और politics की जो positions है वो ज्यादातर वेस्ट पाकिस्तान के लोगों के हाथ में थी। specifically कहा जाए तो mohjirs और पंजाबी लोग थे। अब इस background information को ध्यान में रखते हुए nineteen forty seven के बाद पाकिस्तान में जो politics हुई उसे समझते हैं। पाकिस्तान की शुरुआत हुई as a parliamentary democracy ठीक जैसे इंडिया की हुई थी. लेकिन फर्क ये था पाकिस्तान में जो central गवर्नमेंट थी वो बहुत ज्यादा powerful थी power एक इंसान के हाथ में बहुत concentrated थी. जिसकी वजह से parliamentary democracy सही तरीके से strongly establish नहीं हो पाई। साल nineteen forty सिक्स में ब्रिटिश सरकार ने elections organize करवाए थे undivided इंडिया में।

इन elections के results को देखकर बाद में जब पाकिस्तान और इंडिया का बंटवारा हुआ तो legislatures को भी इसी तरीके से divide किया गया पाकिस्तान में मोहम्मद अली जिन्ना गवर्नर जनरल बने जिनका देहांत आजादी के सिर्फ एक साल बाद हो जाता है nineteen forty eight उनके गुजर जाने के बाद नजीमुद्दीन गवर्नर जनरल बनते हैं और लियाकत अली खान प्राइम मिनिस्टर बनते हैं। करीब 3 साल बाद अक्टूबर nineteen fifty one में लियाकत का तख्तापलट कर दिया जाता है और नजीमुद्दीन नए प्राइम मिनिस्टर बन जाते हैं।

वो ग़ुलाम मोहम्मद को गवर्नर जनरल बनाते हैं जो कि एक पंजाबी थे। साल fifty three में पहला military को देखने को मिलता है. पाकिस्तान में जब गुलाम मोहम्मद power take over कर लेते हैं और नजीम उद्दीन को dismiss कर देते हैं अगले साल nineteen fifty four में elections होती हैं पाकिस्तान में और इन elections में ज्यादातर सीटें जीती जाती हैं united front के द्वारा। जोकि opposition पार्टीज की collation थी इनमें से एक सबसे बड़ी पार्टी थी अवामी league जो कि एक ईस्ट बंगाल की पार्टी थी. इन इलेक्शन रिजल्ट्स के बाद पूरी constituent assembly को dismiss कर दिया जाता है ग़ुलाम मोहम्मद के द्वारा। 

साल 1995 में गुलाम मोहम्मद ऑफिस छोड़ते हैं और मेजर जनरल इसिकंदर मिर्ज़ा governor general बनते हैं। इनके under पहली बार होता है कि ईस्ट बंगाल की renaming करी जाती है ईस्ट बंगाल को. अब से ईस्ट पाकिस्तान बुलाया जाने लगता है और 1947 से लेकर 1971 के बीच में दोस्तों पाकिस्तान में कई phases देखने को मिलते हैं जहाँ पर military का rule चल रहा था।

इसका मतलब ये है कि जो political पार्टीज deserve करती थी power में होना। उनसे power छीनी जा रही थी. specifically कहा जाए ईस्ट बंगाल में रहने लोगों को politically represent होने का मौका नहीं मिल पा रहा था। इसके अलावा ज्यादातर पैसा जो देश खर्च करता था वो वेस्ट पाकिस्तान के पास जाता था। seventy five परसेंट national बजट वेस्ट पाकिस्तान पर spend किया जाता था। even those sixty two percent जो revenue इनकम आ रहा था सरकार के पास वो ईस्ट पाकिस्तान से आने लग रहा था। 

जो economic development देखने को मिल रही थी वो वेस्ट पाकिस्तान में ज्यादा बेहतर तरीके से देखने को मिल रही थी। 1969-70 में जो per capita इनकम था, वेस्ट पाकिस्तान का sixty one percent ज्यादा था. ईस्ट पाकिस्तान से 25 गुना ज्यादा military personals थे west पाकिस्तान में और इस सबके अलावा सबसे बड़ा issue यहाँ पर था language को लेकर। जिन्ना और उनके कई advisors मानते थे कि East पाकिस्तान और west पाकिस्तान का सही मायनों में unification तभी हो सकता है. जब वो एक भाषा बोले और ये भाषा उनकी राय में होनी चाहिए। उर्दू तो वेस्ट पाकिस्तान के rulers के द्वारा यहाँ पर उर्दू imposition देखने को मिला कि भाई जबरदस्ती है।

हर किसी को उर्दू में ही बात करनी पड़ेगी। official कामों के लिए आर्मी में हम हर जगह उर्दू में ही बात करेंगे सिर्फ। लेकिन ईस्ट पाकिस्तान में रहने वाले जो लोग थे वो ईस्ट बंगाली थे, बेंगोली भाषा बोलते थे। infect fifty सिक्स percent पाकिस्तानी बंगाली में ही बात करते थे। उर्दू को एक language of the elite माना जाता था। जो high profile लोग हैं, सिर्फ वही उर्दू में बात करते हैं। आम जनता बंगाल में रह रही बंगाली में बात करती थी। 21 मार्च 1948 को मोहम्मद अली जिन्ना ने ढाका में एक speech दी थी और बड़े clearly कहा था। पाकिस्तान की state language सिर्फ उर्दू होगी और कोई और भाषा नहीं होगी। 

ये सब सुनकर बंगाल में रहने वाले लोग बड़े outrage हो गए। eventually इस उर्दू imposition की वजह से शुरुआत हुई बंगाली language movement. 21 फरवरी 1952 एक बड़ा protest organize करवाया जा रहा था. इस language movement के द्वारा। स्टूडेंट्स का एक बड़ा ग्रुप और political activist इकट्ठे हुए protest करने के लिए provincial assembly के सामने। पाकिस्तान की आर्मी ने इन पर open fire कर दिया। पांच लोग मारे गए और आज के दिन तक इक्कीस फरवरी को सेलिब्रेट किया जाता है as the language marties डे Bangladesh में.

सन 1999 में बाद में जाकर UNESCO ने कहा था कि 21 फरवरी अब से इंटरनेशनल mother tongue day भी मनाया जाएगा। इसके response में 2 साल बाद जाकर 1954 में बंगाली को finally कहा गया कि एक official status दे देते हैं। 1956 में बंगाली को एक state language भी बना दिया गया. लेकिन लोगों के अंदर जो feeling थी बंगाली कल्चर और language को लेकर वो और मजबूत बन चुकी थी. ऐसे incidents ने एक बड़ा impact डाला आने वाले सालों में.

साल 1965 में India Pakistan के बीच में war होती है और इस war के बाद east पाकिस्तान एक कमजोर defence के साथ रह जाता है जो economic और political imbalance था east पाकिस्तान और west पाकिस्तान में वो इस war के बाद और उभर के आने लगता है. इसी reason से एक six point demand उठाई जाती है east पाकिस्तान के economic development को लेकर ये demand उठाते हैं Sheikh Mujibur Rahman जबकि आवामी लीग political party के एक founding leader थे. इस demand के 6 points देश हिला देने वाले होते हैं।

सबसे पहला point ही इसमें लिखा गया था कि पाकिस्तान को एक federation state बनाया जाए और जो ईस्ट पाकिस्तान का region है उसे और ज्यादा autonomy दी जाए। जो resources हैं ईस्ट पाकिस्तान के अंदर। वो ईस्ट पाकिस्तान की सरकार को दिए जाए। दो separate currencies हों पाकिस्तान में। एक वेस्ट पाकिस्तान के लिए एक ईस्ट पाकिस्तान के लिए। ईस्ट पाकिस्तान के अपने independent foreign reserves हों। In fact एक separate military force भी हो। मतलब ये मांगें कुछ ऐसी हैं कि मानो कि ईस्ट पाकिस्तान अपना अलग ही देश सा बना दिया जाए। ये सुनकर obviously वेस्ट पाकिस्तान की सरकार बिल्कुल भी खुश नहीं होती। सारी demands को रिजेक्ट कर दिया जाता है और In Fact वेस्ट पाकिस्तान की सरकार कहती है कि इस तरीके की demands उठाना एक separatist मांग है।

देश के खिलाफ जाना हुआ. ये देश को बांटने की बात करने जैसा हुआ। इसी के चलते 19 जून 1968 को उस वक्त पाकिस्तान में अयूब खान की सरकार थी वो शेख मुजीबुर रहमान को अरेस्ट कर लेती है। साथ में चौंतीस और बंगाली सिविल और मिलिट्री officers को arrest किया जाता है पाकिस्तान के खिलाफ conspiracy रचने के लिए। इन पर sedition का case लगाया जाता है।

इस case को popularly बुलाया जाता है Agartala  conspiracy case general आयूब खान का कहना था कि शेख मुजीबुर और उनके साथी इंडियन गवर्नमेंट के साथ अगरतला में collaborate कर रहे हैं. जिससे कि वो एक आजाद बांग्लादेश बना पाए। अगरतला त्रिपुरा में है अगर आप भूल गए हो तो अब इस point of time तक शेख मुजीबुर रहमान बड़े popular political leader बन चुके थे। बंगाली लोगों की आवाज थे वो। east पाकिस्तान वाले बंगाली लोगों को जो भी अत्याचार, discrimination और inequality सहनी पड़ रही थी वो आवामी लीग और शेख मुजीबुर में ही अपनी उम्मीद ढूंढते थे तो उनके arrest होने के बाद लोग सड़कों पर उतर आए, भारी protest देखने को मिले, इन्हीं protest के बीच एक शेख मुजीबुर के साथी surgeent ज़हरुला हक. 

जब ये जेल में बंद थे, इन्हें एक prison guard के द्वारा मार दिया जाता है. ये सुनकर लोगों में और गुस्सा पनपता है. मानो लोग revolution करने को तैयार हों. general आयूब खान इस situation को मध्य नजर रखते हुए 22 फरवरी nineteen sixty nine को शेख मुजिबुर रहमान को जेल से रिहा कर देते हैं और जो अगरतला केस उन पर लगाया गया था उसे withdraw कर लिया जाता है. लेकिन इस point तक demonstration, protest और labour strikes इस हद तक बढ़ चुकी थी कि आयूब खान को खुद रिजाइन करना पड़ता है 1969 में।

यहाँ पर याद रखिए कि जनरल आयूब खान ने अपने हाथों में सत्ता ली थी एक military coup के जरिए। basically पाकिस्तान में उन्होंने पिछले दस सालो military dictatorship सी बना रखी थी. खुद resign करने के बाद वो अपने successor को appoint करते है general Yahya Khan को और general Yahya Khan promise करते है कि वो Pakistan में पहली general elections करवाएँगे और वो elections करवाई जाती है साल 1970 में. ये 1970 की elections के results बहुत ही चौंका देने वाले होते है. east पाकिस्तान की political पार्टी आवामी league इन elections को जीत जाती है. 

313 में से 167 seats इनके पास जाती है। लेकिन shocking चीज ये थी कि इनमें से एक भी seat west पाकिस्तान में ये नहीं जीतते। पाकिस्तान का legislation कुछ ऐसे था कि 313 में से 169 seats east पाकिस्तान में थी और बाकी वाली west पाकिस्तान में थी तो आवामी league ने 313 में से 167 जीती यानी east पाकिस्तान में almost हर seat जीत ली। लेकिन west पाकिस्तान में एक भी सीट नहीं जीती। west पाकिस्तान में पाकिस्तान peoples पार्टी, पीपीपी ने 80 seats जीती और इस पीपीपी पार्टी ने east पाकिस्तान में एक भी seat नहीं जीती। ये shocking results दिखाते हैं कि जो दो हिस्से थे पाकिस्तान के. उनके बीच में दरार कितनी गहरी हो चुकी थी अब east पाकिस्तान में लोगों की population ज्यादा थी तो सीटें भी ज्यादा थी इसीलिए अवामी league को यहाँ पर विजेता माना जाता है. लेकिन एक ऐसी political पार्टी पाकिस्तान में सरकार बनाई गई. जिसने एक भी seat west पाकिस्तान में नहीं जीती। जो west पाकिस्तान की political elites हैं उनके interest से बिल्कुल भी match होता इन election results को देखकर जो पीपीपी के leader थे उस वक्त Zulfiqar Ali Bhutto वो army officials और general Yahiya Khan के साथ मिलते है और discuss करते है कि कैसे national assembly को cancel कर देना चाहिए। Literally उनकी मर्जी की election results नहीं आए तो इन elections को के results को खारिज कर दो और general Yahiya Khan exactly यही करते है first March 1971 को cancellation की announcement करी जाती है कि जो भी election result आए है वही खत्म समझो इन्हें।

ये सुनकर east पाकिस्तान में हल्ला मच जाता है। वहां के लोग कहते हैं कि ये क्या मजाक चलने लग रहा है? ये कोई democracy हुई? हमने वोट दिया, हमारी मर्जी की पार्टी जीती और क्योंकि तुम्हें पसंद नहीं आ रहा, तुम इलेक्शंस को कैंसिल कर दोगे उठाकर। सड़कों पर फिर से भारी protest उतरते हैं और इस बारी आजादी के नारे लगाए जाते हैं। वो कहते हैं कि अगर तुम्हें हमारे leaders को elect करने में interest ही नहीं है, तो बाहर निकलो साइड में, हमें आजादी दो, हम अपना अलग से देश बनाए। ये foundation है दोस्तों बांग्लादेशी liberation war की।

इस point तक आते-आते ईस्ट पाकिस्तान में रहने वाले लोग इस्लाम को as a unifying factor नहीं देखते थे। बल्कि वो अपनी बंगाली ethnicity को ज्यादा importance देते थे। वो चाहते थे एक सेक्युलर democratic socialist स्टेट बने। जिसमें बंगाली ethnicity यहाँ पर मेन चीज यहीं से ही ये country का नाम आया Bangladesh बंगाली लोगों का देश।

seventh मार्च nineteen seventy one cancellation के orders दिए जाने के बाद आवामी league political पार्टी जनता के support में उतरती है और कहती है कि यहाँ पर हम नॉन cooperation movement चालू करेंगे। west पाकिस्तान में बैठी सरकार को कुछ भी कह लेने दो हम उनकी सुनने ही नहीं वाले। शेख मुजीबुर्रहमान मुझे यहाँ पर एक बहुत ही जबरदस्त speech देते हैं race course के ग्राउंड पे एक बड़ी ही ऐतिहासिक speech. नारे लगाए जाते हैं our struggle is for our freedom our struggle is for our independence joy

अब इस point पर दोस्तों जो ईस्ट पाकिस्तान में रहने वाले बंगाली लोग थे और जो उर्दू speaking बिहारी लोग थे जिनका mention मैंने स्टोरी के शुरू में किया था इनके बीच में तनाव बढ़ने लगता है क्योंकि जो बिहार से उर्दू speaking लोग आए थे उन्हें pro पाकिस्तान देखा जा रहा था। pro west पाकिस्तान क्योंकि वो उर्दू में बात करते थे। और generally वो वेस्ट पाकिस्तान के support में रहते थे। तो कई attacks देखने को मिले protest के बीच में बिहारी communities के against और मार्च nineteen seventy one में पाकिस्तान आर्मी as an excuse use करती है intervene करने के लिए। 

पाकिस्तानी आर्मी कुछ pro पाकिस्तान बंगालीस को अपने operations के लिए recruit करती है। ये भी एक बड़ी interesting चीज है। ऐसा नहीं था कि हर कोई जो ईस्ट पाकिस्तान में था वो अपने लिए एक आजाद देश देखना चाहता था। specially एक political पार्टी थी जमात-ए-इस्लामी। उसके political leaders और supporters actually में वेस्ट पाकिस्तान की सरकार को सपोर्ट करते थे। तो उन्होंने पाकिस्तानी आर्मी के साथ collaborate किया। tenth और thirteenth मार्च के बीच में पाकिस्तान इंटरनेशनल airlines की सारी इंटरनेशनल फ्लाइट्स को cancel कर दिया जाता है और उन्हें urgently कहा जाता है कि वो ढाका में fly करें। कुछ सरकारी passengers को ले जाकर fly किया जा रहा है वहाँ पर। कौन है ये लोग? ये है पाकिस्तानी soldiers जिन्होंने civilian dresses पहन रखी हैं। एक operation चलाने के लिए.

इसी बीच east पाकिस्तान में protesters ने अपने आप को organize कर लिया है। जो बंगाली nationalist हैं उन्होंने अपनी खुद की एक आर्मी बना ली है. जिसे मुक्ति बाहिनी कहा जा रहा है। मतलब the force of independence. मुक्ति वाहिनी गोरिल्ला operations conduct करती है वेस्ट पाकिस्तान की आर्मी के खिलाफ। जो ईस्ट पाकिस्तान में मौजूद है। यहाँ पर इंडियन आर्मी का भी contribution आता है क्योंकि इंडियन आर्मी मुक्ति वाहिनी की forces को training provide करती है gorilla warfare में।

इसके response में वेस्ट पाकिस्तान एक ईस्ट पाकिस्तान central peace committee बनाता है। शांति वाहिनी, बड़ा ही ironic नाम है क्योंकि शांति वाहिनी ढेर सारे war crimes करती है। हजारों civilians को मारा जाता है, औरतों पर अत्याचार होते हैं और specifically intellectual जो लोग हैं उन्हें टारगेट करके मारा जाता है। teachers, scholars और सोशल activists इन्हें बुद्धिजीवी बुलाया जाता था। इस पॉइंट of टाइम तक लॉ एंड ऑर्डर का पूरी तरीके से सत्यानाश हो चुका होता है ईस्ट पाकिस्तान में। बंगालियों ने सारी instructions follow करनी बंद कर दी है जो भी पाकिस्तान से आ रही है। 25 मार्च 1971 वेस्ट पाकिस्तान की सरकार एक भयानक genocide प्लान करती है, operation सर्च लाइट इसका objective होता है कि जो भी popular लोग बांग्लादेश की आजादी की मांग कर रहे हैं। उन्हें पकड़-पकड़ के मार डालो।

25 मार्च की रात को हजारों पाकिस्तानी आर्मी के ट्रूप्स ढाका में मार्च करते हैं। शेख मुझी उर रहमान को arrest कर लिया जाता है और वेस्ट पाकिस्तान ले जाया जाता है। लेकिन इस arrest से पहले शेख मुजीबुर ने ईस्ट पाकिस्तान को एक independent country declare कर दिया था। उन्होंने कहा था अब से हम का पाकिस्तान का हिस्सा नहीं है। अब से हम बांग्लादेश हैं। इस declaration को एक transmitter के द्वारा किया गया था। transmission को होने में कुछ घंटे का समय लगा था तो midnight cross हो चुकी थी. इसी reason से दोस्तों आज के दिन 26 मार्च को बांग्लादेश का independence डे मनाया जाता है।

27 मार्च 1971 मेजर जियाउर रहमान इस declaration को public के सामने पढ़ते हैं और announce करते हैं कि बांग्लादेश अब एक आज़ाद देश है। इसी रात ढाका यूनिवर्सिटी में दो स्टूडेंट्स डोर्मिटिरिज पर हमला किया जाता है और एक ही रात के अंदर 7000 स्टूडेंट्स मारे जाते हैं पाकिस्तान की आर्मी के द्वारा। इस operation searchlight में 30 हजार से ज्यादा बंगालियों का massacre किया जाता है एक हफ्ते के अंदर। 

आधे लोग जो ढाका शहर में रह रहे थे वो शहर छोड़कर भाग जाते हैं। सारे foreign journalist को deport कर दिया जाता है और radio operations को भी shutdown कर दिया जाता है। एक military appointed पाकिस्तानी journalist अन्थोनी मैस्करेन्हास united kingdom भाग जाते हैं और 13 जून 1971 को जो उन्होंने देखा था उसे एक article में publish करते हैं, The Sunday Times में। इस article के जरिए पहली बार बाकी दुनिया को पता चलता है कि यहाँ बांग्लादेश में actually में होने क्या लग रहा है।

प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी खुद इस article को पढ़ती हैं और इससे motivate होती हैं कुछ action लेने को। इस crackdown के बाद आवामी लीग के कई political leaders इंडिया भाग गए थे safety के लिए। 10th अप्रैल को peoples republic of बांग्लादेश government form होती है, exile  में कोलकाता में। शेख मुजिबुर रहमान को president declare कर दिया जाता है और तजुदीन अहमद को prime minister. इस पूरे conflict का एक बहुत बड़ा असर को मिलता है.

इंडिया पर 1971 की जो autumn थी उस एक सीजन में 10 मिलियन से ज्यादा refugees बॉर्डर क्रॉस करके इंडिया भागते हैं। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी यहाँ पर सोचती हैं military का इस्तेमाल करके इस war में हिस्सा लेकर इन लोगों को बचाना ज्यादा economically feasible होगा as compare to इन 10 मिलियन refugees की हम सहायता करने की कोशिश करें। हमारे पास इतने पैसे नहीं होंगे। 28 अप्रैल 1971 में इंदिरा गांधी general सैम मानिकशॉ को कहती है कि वो जंग की तैयारियां करें। ईस्ट पाकिस्तान में entry करने के लिए रेडी हों। general सैम manikishaw इतने confident नहीं थे initially कि इतने कम टाइम में इंडिया prepared हो सकता है और इस जंग को जीत सकता है तो वो शुरू में reject कर देते हैं और offer करते हैं resign करने को। लेकिन इंदिरा गांधी अपना confidence उन पर बनाए रखती हैं और उन्हें पूरी आजादी देती हैं कि जब उन्हें ठीक लगे तभी operation किया जाए। उनके काम की शुरुआत होती है मुक्ति वाहिनी को training provide करने से। जुलाई 1971  तक आते-आते इंदिरा गांधी ने actually में ईस्ट पाकिस्तान को ईस्ट पाकिस्तान बुलाना बंद कर दिया है। अब वो इसे बांग्लादेश करके पुकारती है।

इस point of time तक अभी भी कोई conflict नहीं देखने को मिला है इंडिया और पाकिस्तान के बीच में directly ये सिर्फ third दिसंबर nineteen seventy one को जाकर ही होता है कि पाकिस्तान operation Changiz खान launch करता है और इंडिया के एयर फील्ड पर हमला बोल देता है। पाकिस्तान को डर था कि इंडिया किसी भी वक्त मिलिट्री का इस्तेमाल करके इस war में intervene कर सकता है और बांग्लादेश को आजाद करने में मदद कर सकता है। तो वो सोचते हैं कि क्यों ना हम ही पहले उन पर हमला कर दें। लेकिन obviously ये strategy किसी काम की नहीं होती क्योंकि इंडिया की जो military strategy थी और military power थी वो कहीं ज्यादा बेहतर होती है पाकिस्तान के comparison में। इंडिया का response था कि west पाकिस्तान में एक defensive military strategy चले और east पाकिस्तान में एक coordinated offensive thrust हो यानी soldiers को ग्राउंड पर भेजा जाए।

इंडिया की war में entry करते ही पाकिस्तान united nations को अपील करता है कि इंडिया को ceasefire करने के लिए force किया जाए। United Nations का सिक्योरिटी council 4 दिसंबर को assemble करता है बड़ी लंबी चर्चा चलती है. उस वक्त यूएस से पाकिस्तान के favour में ज्यादा था और सोवियत union इंडिया के favour में ज्यादा था। तो यूएस, चाइना और यूके actually में सपोर्ट करते हैं कि इंडिया immediately सीजफायर कर दे और अपने troops को withdraw कर लें। लेकिन सोवियत union इस resolution को वीटो कर देता है दो बार और बंगाली के खिलाफ जो हो रही थी उन्हें ध्यान में रखकर बात जाकर यूके और फ्रांस भी वोट करने से abstain कर देते हैं।

सिक्स दिसंबर 1971 भूटान पहला देश बनता है बांग्लादेश को officially recognize करने वाला इसी दिन इंडिया भी बांग्लादेश को officially recognize कर लेता है। 12 दिसंबर तक आते-आते इंडिया पाकिस्तान के बीच war में पाकिस्तान एक बहुत बड़ी हार को अपने सामने देख रहा है। पाकिस्तान के deputy prime minister foreign minister जुल्फिकार अली भुट्टो जल्दी से न्यूयॉर्क जाते हैं अमेरिका के साथ discuss करने के इस तरीके से यहाँ पर एक ceasefire का case बनाया जा सके। चार दिन लगते हैं इस proposal को finalize करने में लेकिन तब तक east पाकिस्तान में पाकिस्तान की military already surrender कर चुकी होती है। ये war ख़त्म हो जाती है। जुल्फीकार अली भुट्टो frustration में आकर united nations में अपनी speech रोक कर council छोड़कर चले जाते हैं। 

16 दिसंबर 1971 में इंडियन आर्मी ने ढाका शहर को चारों तरफ से घेर लिया है। 30 मिनट दिए जाते हैं surrender करने के लिए पाकिस्तान की military को। lieutenant general आमिर अब्दुल्ला खान नियाज़ी बिना किसी resistance के surrender कर देते हैं। इस पाकिस्तान में बैठी सरकार immediately collapse कर जाती है। इसी दिन 16 दिसंबर 1971 historic instrument of surrender sign किया जाता है। ninety three thousand से ज्यादा पाकिस्तानी troop सरेंडर करते हैं इंडियन forces और बांग्लादेश liberation forces के सामने।

ये दुनिया का largest surrender था वर्ल्ड वॉर two के बाद से। अगले साल nineteen seventy two में एक शिमला agreement sign करी जाती है इंडिया और पाकिस्तान के बीच में। इस agreement के अनुसार पाकिस्तान recognize करता है बांग्लादेश को as an independent country. लेकिन पाकिस्तान को ये करने के बदले क्या मिलता है? इंडिया promise करता है पाकिस्तान को कि जो ninety three thousand पाकिस्तान के prisoners of war हैं। उन्हें वापस पाकिस्तान release कर दिया जाएगा पाँच महीने के अंदर-अंदर और जो 13 हजार square किलोमीटर जमीन Indian troops ने west पाकिस्तान में कब्जा ली थी उसे भी इंडिया वापस कर देगा वेस्ट पाकिस्तान को।

कुछ इस तरीके से दोस्तों जन्म होता है एक नए देश का बांग्लादेश। nineteen seventy two में पाकिस्तान के द्वारा recognize किए जाने के बाद nineteen seventy four में United Nations भी Bangladesh को as an independent country recognize कर लेता है। दूसरी तरफ पाकिस्तान में yahya खान की dictator collapse कर जाती है और भुट्टों को twentieth दिसंबर nineteen seventy one को नया president घोषित किया जाता है शिमला agreement के अनुसार मुजीबुर रहमान को भी जेल से release किया जाता है वो ढाका लौटते है एक हीरो की तरह. nineteen seventythree में जब elections होती है बांग्लादेश में land slide majority के साथ वो elections जीतते है आवामी league उनकी political पार्टी power में आती है लेकिन unfortunately कहानी में यहाँ इतनी कोई happy ending नहीं है.

इस point of time पर क्योंकि बात क्या है दोस्तों जिस प्रोब्लेम्स से पाकिस्तान सफर कर रहा था। constantly military dictatorships उसी problems से कुछ हद तक Bangladesh भी अब सफर करने लगता है। Mujibur Rahman एक secular आदमी थे जिन्होंने जमात-ए-इस्लामी पर बैन लगा दिया था। उन्होंने सारी political parties पर ban कर दिया जो धर्म के आधार पर बनी थी power लेने के बाद लेकिन पंद्रह अगस्त nineteen seventy five को Sheikh Mujibur Rahman को assassinate कर दिया जाता है। उनके पूरे परिवार के साथ। सिर्फ उनकी दो बेटीयां जिंदा बचती है जो उस वक्त जर्मनी में थी.

ये कहानी को मैं बहुत short में बता रहा हूँ क्योंकि और बहुत सारी complexities involved है यहाँ पर nineteen seventy five में general जियाउर रहमान power पर कब्जा जमाते है और public narrative को change करने की कोशिश करते है यानी बांग्लादेश में भी एक military को देखने को मिलता है. ये military को पुरे  heroes की तरह potray करते है जमात-ए-इस्लामी पर जो बैन लगा था उसे हटा दिया जाता है और अगले कई सालों तक बांग्लादेश एक सेक्युलर democracy बना रहने की जगह एक military dictatorship रहता है.

साल 2009 में Mujibur Rehman की बेटी Sheikh Hasina power में आती है और आज के दिन तक भी Sheikh Haseena ही power में है current Prime Minister है Bangladesh की आवामी league ruling party है इस पूरी कहानी में क्या lesson आपको सीखने को मिलता है. नीचे comments में लिखकर बताओ।

आपकी राय में क्या lesson सीखा आपने इस पूरी कहानी से मेरी राय में एक बड़ा lesson जो यहाँ पर सीखने को मिलता है इस Bangladesh की story से वो language imposition का है शायद अगर Jinnah ने Urdu इस तरीके से impose करने की कोशिश ना करी होती और Bengali लोगों को एक बराबर treat किया होता west Pakistan के लोगों के तो शायद कभी Bangladesh देश exist ही ना करता या फिर ये फिर भी होता क्योंकि geographically ये दोनों regions इतने अलग है एक दूसरे से, culture इनके इतने अलग है कि united रहना बहुत ही मुश्किल था. आज के दिन कहना बड़ा मुश्किल है कि क्या होता लेकिन future में सीख जरूर ली जा सकती है. 

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