Los Angeles Wildfire: अमेरिका का प्रसिद्ध शहर लॉस एंजेलेस, जिसे हॉलीवुड का घर भी कहा जाता है, फिल्मों में बार-बार तबाह होता दिखाया गया है। कभी भूकंप, कभी सुनामी, और कभी एलियंस का हमला। लेकिन इस बार, वास्तविकता में यह शहर जल रहा है। आग ने इस खूबसूरत शहर को अपनी चपेट में ले लिया है।
Table of Contents
Los Angeles Wildfire
आग का भयंकर प्रभाव
लॉस एंजेलेस क्रांति के दौर से गुजर रहा है। पालिसेड्स जैसे इलाकों में “फायर टॉर्नेडो” देखे गए। एक व्यक्ति के घर के चारों तरफ आग लग गई, लेकिन शुक्र है कि फायरफाइटर्स ने उन्हें बचा लिया। अभी तक कम से कम 24 लोगों की मौत हो चुकी है। यह आग करीब 40,000 एकड़ में फैल चुकी है, और यह आग पिछले एक हफ्ते से रुकने का नाम नहीं ले रही है।
नुकसान के डरावने आंकड़े
- 12,000 से अधिक इमारतें जल चुकी हैं।
- 1,80,000 से अधिक लोग विस्थापित हो गए हैं।
- 2,00,000 लोगों को सुरक्षित इलाकों में जाने के नोटिस दिए गए हैं।
- जेपी मॉर्गन की रिपोर्ट के अनुसार, लॉस एंजेलेस को $50 अरब का नुकसान होने का अनुमान है।
सर्दियों में आग?
जनवरी के महीने में, जब लॉस एंजेलेस में सबसे ज्यादा बारिश होती है, तब यह आग क्यों लगी? यह सवाल हर किसी को चौंकाता है। दक्षिण कैलिफ़ोर्निया में, इस साल पर्याप्त बारिश नहीं हुई। इसका नतीजा यह हुआ कि हवा शुष्क हो गई और वनस्पति सूख गई। इसके अलावा, ‘सांता आना’ नाम की तेज़ हवाओं ने हालात और खराब कर दिए।
सांता आना हवाएं कितनी खतरनाक हैं?
सांता आना हवाएं पहाड़ों से नीचे उतरती हैं और गर्म हो जाती हैं। इसकी वजह से नमी 10% से भी कम हो जाती है। सूखी और गर्म हवा जंगलों को और सूखा बना देती है। नतीजतन, एक छोटी सी चिंगारी भी विशाल आग में बदल जाती है।
जलवायु परिवर्तन का योगदान
चिंता की बात यह है कि 2023 को अब तक का सबसे गर्म साल घोषित किया गया था। लेकिन इसके बाद, 2024 ने 2023 का ही रिकॉर्ड तोड़ दिया। यूरोपीय संघ की कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस के अनुसार, औद्योगिक युग से पहले की तुलना में औसत वैश्विक तापमान 1.5°C से अधिक बढ़ चुका है।
कैलिफ़ोर्निया में 2024 की गर्मी के महीने जून और जुलाई अब तक के सबसे गर्म रहे। जुलाई के बाद, दक्षिण कैलिफ़ोर्निया में बारिश ही नहीं हुई। हालात इतने खराब हो गए कि वनस्पति जलने के लिए और अधिक संवेदनशील हो गई।
जंगल की आग: प्राकृतिक या मानव जनित?
जंगल की आग हमेशा इंसानों के कारण नहीं लगती। यह प्राकृतिक भी हो सकती है। कई पारिस्थितिकी तंत्र ऐसे हैं जो समय-समय पर आग से ही अपना संतुलन बनाए रखते हैं। कुछ पेड़ और पौधे तो गर्मी की वजह से ही अपनी बीजों को अंकुरित करने के लिए अनुकूल होते हैं।
लेकिन, आजकल की आगें प्राकृतिक नहीं हैं। 85% जंगल की आगें मानव गतिविधियों से शुरू होती हैं। बिजली के तारों से चिंगारी, कैंपफायर या नई साल के पटाखे – ये सभी कारण बनते हैं। हाल ही में पालिसेड्स इलाके में लगी आग के पीछे पटाखों को प्रमुख कारण माना जा रहा है।
पेट्रोलियम कंपनियों की लापरवाही
पिछले कुछ दशकों में, क्लाइमेट वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी थी कि अगर ग्रीनहाउस गैसों का स्तर इसी तरह बढ़ता रहा, तो हालात बेकाबू हो जाएंगे। लेकिन बड़ी पेट्रोलियम कंपनियों ने इन चेतावनियों को नज़रअंदाज़ किया।
कौन हैं ज़िम्मेदार?
एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1950 के दशक से, जब यह कंपनियां जानती थीं कि उनका काम जलवायु पर स्थायी नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है, तब भी उन्होंने झूठ फैलाकर अपनी मुनाफाखोरी जारी रखी। कुछ अमेरिकी कंपनियों ने तो 1963 में ही इलेक्ट्रिक कारों की तकनीक भी पेटेंट कर रखी थी। फिर भी, इन कंपनियों ने सौर ऊर्जा और अन्य विकल्पों के लिए रिसर्च को फंड करने से इनकार कर दिया।
हम क्या कर सकते हैं?
- प्रदर्शन करें: अमेरिका और भारत जैसे देशों में लोगों ने पेड़ों को कटने से रोकने के लिए विरोध प्रदर्शन किए हैं।
- स्थानीय स्तर पर बदलाव लाएं: अपनी जीवनशैली को पर्यावरण-अनुकूल बनाएं।
- बड़ी कंपनियों को जवाबदेह बनाएं: इन कंपनियों पर कार्रवाई के लिए आवाज़ उठाएं।
निष्कर्ष
लॉस एंजेलेस में लगी यह भयानक आग सिर्फ एक संकेत है कि जलवायु परिवर्तन अब हमारी कल्पना नहीं, हकीकत है। जब तक हम ग्लोबल वार्मिंग को गंभीरता से लेकर समाधान नहीं खोजते, ऐसी घटनाएं आम हो जाएंगी। यह समय है कि हम जिम्मेदारी लें, अपनी जीवनशैली बदलें, और उन लोगों को जवाबदेह ठहराएं जो इस तबाही के मुख्य कारण हैं। क्या आप तैयार हैं बदलाव के इस सफर का हिस्सा बनने के लिए?
Leave a Reply