अयोध्या के राम मंदिर को घूमने के बाद, इन धार्मिक स्थलों के भी दर्शन जरूर करें, अयोध्या का कनक भवन माँ सीता को मुंह दिखाई में मिले था, Places to visit in Ayodhya

Places to visit in Ayodhya

Places to visit in Ayodhya: सबसे पहले मैं वंदना करता हूँ, पतित पावन तीर्थ नगरी Ayodhya की. फिर मैं वंदना करता हूँ, पापों का नाश कर पवित्र कर देने वाली Saryu नदी की और फिर मैं वंदना करता हूं, अयोध्या के उन सभी निवासियों का भी जिन पर हमेषा भगवान श्री राम की कृपा बनी रहती है.

दोस्तों आज के इस लेख में हम पावन नगरी अयोध्या के उन प्रमुख स्थानों के दर्शन करेंगे जहां अयोध्या की यात्रा (tourist places in ayodhya) में आपको जरूर जाना चाहिए. Ayodhya नगरी के दर्शन की शुरुआत हम करते है Ramkot के राजद्वार यानी भगवान श्री राम के महल के मुख्य प्रवेश द्वार से.

Places to visit in Ayodhya

भगवान राम की नगरी अयोध्या का सम्पूर्ण भ्रमण, अयोध्या के 20 महत्वपूर्ण और धार्मिक स्थलों पर घूमिये, पूरी जानकारी यहाँ मिलेगी

राजद्वार मंदिर (Rajdwar Mandir):

दोस्तों प्राचीन Ayodhya नगरी के बिलकुल केंद्र में, ऊँचाई पर स्थित है, राजद्वार मंदिर। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि ये स्थान भगवान श्री राम के महल का मुख्य द्वार हुआ करता था. लगभग 900 वर्ष पहले Ayodhya के तत्कालीन राजा ने इसका जीर्णोद्धार करवाया था और इस मंदिर का निर्माण करवाया था. इस कारण ये मंदिर राजद्वार मंदिर के नाम से जाना जाता है. ये प्राचीन मंदिर Ayodhya का सबसे ऊँचा मंदिर है. जहाँ से आप पूरी Ayodhya नगरी के दर्शन कर सकते हैं. कहते हैं कि पहले इस मंदिर का शिखर शुद्ध सोने का बना हुआ था जिसे देश की स्वतंत्रता के बाद तत्कालीन Congress सरकार ने बदल दिया था. यही राजद्वार के पास ही सामने की ओर स्थित है, Hanumangarhi. जहां विराजमान है, हनुमान जी. Ayodhya के इस राज द्वार पर, इस पावन नगरी की निगरानी और रक्षा करते है.

हनुमान गाढ़ी (Hanuman Garhi):

एक ऊँचे टीले पर स्थित इस मंदिर तक पहुँचने के लिए लगभग 76 सीढ़ियाँ बनी हुई है. मान्यता है कि हनुमान जी यहाँ सदैव वास करते हैं. जो भी भक्त अयोध्या आता है वो भगवान राम के दर्शन करने से पहले यहाँ हनुमान जी के दर्शन जरूर करता है. कहते है कि हनुमान जी यहाँ इसी स्थान पर एक गुफा में रहते थे और Ramkot की रक्षा करते थे. भगवान राम ने ही हनुमान जी को यहाँ रहने के लिए ये स्थान दिया था और ये अधिकार दिया था कि जो भी भक्त मेरे दर्शन के लिए Ayodhya आएगा, उसे पहले तुम्हारा दर्शन और पूजन करना होगा। छोटी दीपावली की आधी रात को यहाँ Sankat Mochan Hanuman का जन्मोत्सव मनाया जाता है. Sarayu नदी में पाप धोने से पहले लोगों को भगवान हनुमान से आज्ञा लेनी होती है. इस मंदिर में पवन पुत्र हनुमान की छह इंच की प्रतिमा के दर्शन किए जाते हैं. जो हमेशा फूल मालाओं से सुशोभित रहती है. श्रद्धालुओं का मानना है कि इस मंदिर में आने से उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. Ayodhya के केंद्र में Hanumangarhi के पास ही स्थित है, भगवान Ram के पिता राजा Dasharatha का भवन.

दशरथ भवन (Dasrath Bhavan):

दशरथ भवन अयोध्या के बीचों-बीच स्थित है. इस मंदिर का रंगो से भरा विशाल प्रवेश द्वार बहुत ही कलात्मक और आकर्षक है. कहा जाता है कि इस महल को ठीक उसी जगह पर बनाया गया है, जिस जगह पर त्रेता युग में राजा दशरथ का असली निवास स्थान हुआ करता था. यूँ तो अयोध्या के प्रायः सभी मंदिरों में वल्कल वस्त्र धारण किए हुए साधु-संतों को रामचरितमानस के दोहा चौपाइयों का पाठ करते देखा और सुना जा सकता है. लेकिन दशरथ भवन में 14 जनवरी 1998 से सीताराम का जाप बिना रुके लगातार चल रहा है. दोस्तों दशरथ महल में एक संकट मोचन जय हनुमान का मंदिर भी है जो कि दशरथ महल में enter करके ही दाहिनी तरफ है. सीताराम सीताराम का ये जाप यहाँ चल रहा है और ये चौदह जनवरी उन्नीस सौ अठानवे से ये यहाँ लगातार चल रहा है लगातार बाईस सालों से. भगवान राम ने अपने भाइयों के साथ अपना बचपन इसी स्थान पर बिताया था. इस भवन के मंदिर में श्री राम, लक्ष्मण और सीता की प्रतिमाएं विराजमान है. रामलला के दर्शन करने के लिए आगंतुक सभी श्रद्धालु दशरथ भवन में जरूर आते हैं क्योंकि उनके आराध्य भगवान राम ने अपने जीवन के प्रारंभिक क्षण यहीं बिताए थे. Dasharatha भवन के पास ही स्थित है Kanak Bhavan.

कनक भवन (Kanak Bhawan)

कहा जाता है कि रानी Kaikeyi ने Kanak भवन माता सीता को मुँह दिखाई में दिया था. आज से लगभग दो हजार वर्ष पहले सम्राट Vikramaditya ने इसका जीर्णोद्धार करवाकर Sita Ram के युगल विग्रहों को यहाँ पुनः प्रतिष्ठित किया था. महाराज Vikramaditya द्वारा पुनः बनवाया गया ये विशाल Kanaka भवन एक हजार वर्षों तक ज्यों का त्यों बना रहा. लेकिन इसके जीर्णोद्धार की दूसरी सहस्राब्दी में Ayodhya पर यवनों का आक्रमण हुआ जिसमें लगभग सभी प्रमुख देव स्थान क्षतिग्रस्त हुए. इन्हीं आक्रमणों में Kanak भवन को भी तोड़ा गया. इसके बाद वर्तमान मंदिर अठारह सौ इक्यानवे में गौ रक्षा की रानी के द्वारा बनवाया हुआ है. Ayodhya आने वाले श्रद्धालु Kanak भवन भी अवश्य जाते है. सर्वप्रथम कनक भवन के निर्माण की कथा इस प्रकार है कि जब देवी Janaki ने श्री राम के गले में जयमाला डाल दी तो उस रात भगवान श्री राम ये विचार करने लगे कि Janak नंदिनी के लिए Ayodhya में अति सुंदर भवन होना चाहिए। उसी क्षण Ayodhya में महारानी Kaikeyi को स्वप्न में साकेत धाम वाला दिव्य कनक भवन दिखाई पड़ा। महारानी Kaikeyi ने महाराजा Dasharatha को स्वप्न में दिखे कनक भवन की प्रतिकृति Ayodhya में बनाने की इच्छा व्यक्त की तब राजा Dasharatha के आग्रह पर शिल्पी विश्वकर्मा कनक भवन बनाने के लिए अयोध्या आए. उन्होंने बहुत ही सुंदर कनक भवन बनाया. माता कैकई ने वो भवन देवी सीता को मुँह दिखाई में दिया.

विवाह के बाद श्री राम और देवी सीता इसी भवन में रहने लगी. पुराणी और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अयोध्या कनक भवन में श्री राम के अलावा किसी और पुरुष को प्रवेश की इजाजत नहीं थी. इसी आधार पर कनक भवन के गर्भगृह में श्री राम और माँ सीता के अलावा किसी भी अन्य देवता का विग्रह स्थापित नहीं है. संतों का कहना है कि आज भी भगवान श्री राम और माता सीता कनक भवन में विचरण करते हैं. इन सभी पावन स्थानों के पास ही स्थित है भगवान राम की जन्मभूमि।

राम जन्म भूमि “राम लला” (Ram Lala-Birtplace of Shri Ram)

राम जन्मभूमि अयोध्या धाम का सबसे प्रमुख स्थान है. राम जन्मभूमि, जहाँ राम लला विराजमान है, माना जाता है कि यहीं पर भगवान श्री राम का जन्म हुआ था और यहीं वे सरयू नदी के किनारे निवास करते हुए बड़े हुए थे. अयोध्या नगरी के इसी मार्ग से उस पावन स्थान पर पहुँचा जाता है. श्री राम की जन्मभूमि जहाँ हर समय कड़ी सुरक्षा रहती है और वहाँ कैमरा, मोबाइल, कंघी, पैन इत्यादि कोई भी उपकरण या कोई अन्य सामान ले जाने की अनुमति नहीं है. अब से पहले तक यहाँ राम लला ने लंबा समय एक छोटे से तम्बू में निवास करते हुए गुजारा है. परन्तु अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा किए गए भूमि पूजन के साथ ही यहाँ भव्य राम मंदिर का निर्माण शुरू हो चुका है. अब आपको लिए चलते है, पतित पावनी Saryu नदी के किनारे पर जहां स्थित है, Ram की पैड़ी।

राम की पैड़ी नया घाट (Ram Ki Paidi, Naya Ghat)

जैसे हरिद्वार में हर की पैड़ी है, वैसे ही अयोध्या में सरयू नदी के किनारे पर राम की पेड़ी है. यहाँ स्थित नया घाट पर श्रद्धालु Sarayu नदी में स्नान करते है. इस घाट पर भारी संख्या में भक्त स्नान करने आते है और पवित्र Sarayu नदी में डुबकी लगाते है. यहाँ की हजारों साल पुरानी वास्तविक पेड़ियां यानी सीढ़ियां नदी के तेज बहाव में बह गई थी. तब इस घाट पर नई सीढ़ियों का निर्माण 1984-85 में करवाया गया था. राम की पैड़ी पर भगवान श्री राम से जुड़े समारोहों का आयोजन होता है. कलात्मक मंदिरों व अन्य भवनों की उपस्थिति से ये स्थान बहुत ही सुंदर दिखाई देता है. यहाँ नदी के किनारे पर कई मंदिर स्थित है. जिनमें प्रमुख है भगवान Nageshwarnath का मंदिर है.

भगवान नागेश्वरनाथ टेम्पल (Lord Nageshwarnath Temple)

भगवान शिव को समर्पित ये मंदिर राम की पैड़ी पर स्थित है. कहा जाता है कि नागेश्वर नाथ के इस मंदिर का निर्माण भगवान राम के पुत्र Kush ने करवाया था. माना जाता है कि जब Kush Saryu नदी में नहा रहे थे तो उनका एक बाजूबंद खो गया था. बाजूबंद एक नागकन्या को मिला, जिसे Kush से प्रेम हो गया. वो नाग कन्या भगवान शिव की भक्त थी. तब यहीं पर Saryu नदी के किनारे पर Kush ने उस नागकन्या के लिए ये मंदिर बनवाया था. इस मंदिर में शिवरात्रि का पर्व बड़ी  धूमधाम से मनाया जाता है. शिवरात्रि के पर्व पर यहाँ लाखों श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन करने आते हैं. मान्यता के अनुसार यही एकमात्र मंदिर है जो विक्रमादित्य के काल तक सुरक्षित रहा था. जबकि बाकी शहर यवनों के आक्रमण से खंडहर में तब्दील हो चुका था. इसका अर्थ ये हुआ कि ये मंदिर अयोध्या में राजा विक्रमादित्य के द्वारा खोजा गया था. इसके बाद ही राजा विक्रमादित्य ने अयोध्या में राम मंदिर, कनक भवन आदि कई मंदिरों का जीर्णोद्धार करवाया था.

राज सदन (Raj Sadan Ayodhya)

राज सदन अयोध्या का राजमहल है. जहाँ वर्तमान राज परिवार रहता है. फिलहाल इसे हेरिटेज होटल में परिवर्तित किए जाने के लिए यहाँ पर कार्य चल रहा है. हेरिटेज होटल बनते ही इसे पर्यटकों के लिए खोल दिया जाएगा. इसका विशाल व कलात्मक प्रवेश द्वार भी दर्शनीय है.

गुप्तार घाट (Guptaar  Ghat)

अयोध्या में सरयू नदी के तट पर स्थित गुप्तार घाट के बारे में मान्यता है कि पवित्र घाट पर श्रीराम ने जल समाधि ली थी. उन्नीस सदी में राजा दर्शन सिंह द्वारा इसका नवनिर्माण करवाया गया था.

ये थे अयोध्या के नौ सबसे प्रमुख दर्शनीय स्थान, लेकिन अभी अयोध्या के दर्शन पूरे नहीं हुए हैं. अब हम जानते हैं, अयोध्या के वो अन्य प्रमुख दर्शनीय स्थान जहाँ जाने से आपको बिल्कुल भी नहीं चूकना चाहिए।

राम जन्मभूमि न्यास (Ram Janm Bhumi Trust Ayodhya)

ये वो स्थान है जहाँ राम मंदिर के निर्माण की संपूर्ण तैयारी हुई है।

राम दरबार मंदिर (Ram Darbar Mandir)

इस मंदिर में भगवान श्री राम सपरिवार विराजमान है. ये मंदिर जानकी घाट, बड़ा स्थान के नाम से भी प्रसिद्ध है।

चार धाम मंदिर (Chardham Temple Ayodhya)

अयोध्या के चार धाम मंदिर के बारे में कहते हैं कि जो लोग चार धामों के दर्शन नहीं कर पाते। वो यहाँ आकर चार धाम मंदिर में दर्शन कर ले तो उन्हें वही पुण्य प्राप्त होता है. Ayodhya के इस मंदिर में चारों धामों के दर्शन एक साथ किए जा सकते हैं. इस मंदिर के प्रांगण में ही तपस्वियों को भी तप करते देखा जा सकता है.

तुलसी स्मारक भवन (Tulsi Memorial Bhawan)

तुलसी स्मारक भवन, रामचरितमानस और हनुमान चालीसा की रचना करने वाले महान संत कवि गोस्वामी तुलसीदास जी को समर्पित है. यहाँ नियमित रूप से प्रार्थना, भक्ति, संगीत और धार्मिक प्रवचन आयोजित होते हैं. तुलसी स्मारक भवन

परिसर में स्थित शोध संस्थान के पास तुलसीदास पर कई साहित्यिक रचनाओं का एक बड़ा भंडार है. यहाँ नियमित  रूप से हर दिन रामलीला का दैनिक आयोजन और राम कथा का पाठ भी होता है.

तुलसी उद्यान (Tulsi Garden Ayodhya)

जैसा कि नाम से पता चलता है कि ये एक बगीचा है. ये बगीचा गोस्वामी तुलसीदास जी की स्मृति में बनवाया गया है. इस उद्यान में तुलसीदास जी की भव्य प्रतिमा भी लगी हुई है. जो बेहद खूबसूरती से बनाई गई है. ये उद्यान Ayodhya bus stand के पास में ही स्थित है. जो Faizabad से होकर गुजरने वाले national highway पर स्थित है. पहले इस बगीचे का नाम इंग्लैंड की महारानी विक्टोरिया के नाम पर विक्टोरिया पार्क था. लेकिन उन्नीस सौ साठ में इस पार्क का नाम बदल कर तुलसी उद्यान कर दिया गया.

रामकथा पार्क (Ram Katha Park)

अयोध्या में श्री राम का जन्मस्थान होने के कारण साल भर हजारों श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं. इससे शहर में भारी संख्या में मंदिर, घाट ऐतिहासिक इमारतें और स्मारक है. जहाँ त्यौहार के दौरान काफी भीड़ रहती है और काफी समस्याएं हो जाती हैं. शहर में इसी भीड़ को कम करने के लिए राम कथा पार्क का निर्माण करवाया गया था. यहाँ शहर की काफी भीड़ इकट्ठा हो सकती है. यहाँ पर पार्क में ओपन एयर थिएटर की व्यवस्था है. जहाँ कई प्रकार के सांस्कृतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यक्रम का आयोजन होता है.

मणि पर्वत (Mani Parwat)

इस स्थान को लेकर मान्यता है कि जब Hanuman जी संजीवनी बूटी वाला पहाड़ उठाकर आकाश मार्ग से Ayodhya के ऊपर से गुजर रहे थे. तब पहाड़ का एक छोटा सा हिस्सा यहाँ पर गिर गया था. इसी टीले या पहाड़ी को मणि पर्वत के नाम से जाना जाता है. माना जाता है कि भगवान Buddha, Ayodhya में छह साल रुके थे और उन्होंने मणि पर्वत पर ही अपने शिष्यों को धर्म का ज्ञान दिया था.

बड़ी देवकाली और छोटी देव काली मंदिर (Badi Devkali Temple or Chhoti Devkali Temple)

Ayodhya से करीब पाँच kilometre दूर Faizabad शहर में बड़ी देवकाली माता का एक अत्यंत ही भव्य प्राचीन मंदिर स्थित है. बड़ी देवकाली के विषय में कहा जाता है कि ये देवी भगवान श्री Rama की कुलदेवी है. यह मंदिर रामायण काल से भी बहुत पहले की है. बड़ी देवकाली, जिन्हे भगवान राम की कुलदेवी मानी जाती है. वही छोटी देवकाली की पूजा माता सीता की कुलदेवी के रूप में की जाती है. छोटी देवकाली का मंदिर अयोध्या नगरी में ही स्थित है. इस मंदिर में माता पार्वती विराजमान है. मान्यता है कि माता पार्वती की इस प्राचीन प्रतिमा को देवी सीता ने ही यहाँ स्थापित किया था. जिसे वे जनकपुर से यहाँ अपने साथ लेकर आई थी.

बड़े हनुमान जी का मंदिर (Bade Hanumaan Jee Temple)

हनुमान जी के इस मंदिर के प्रवेश द्वार पर पंद्रह फीट ऊंची हनुमान जी की एक विशाल प्रतिमा लगी है. इसी कारण इस मंदिर को बड़े हनुमान जी मंदिर कहा जाता है. इसमें प्रवेश करते ही बाईं ओर एक शिव जी की प्रतिमा तथा इसके पास Govardhan पर्वत को धारण किए भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा स्थापित है. मंदिर में सामने की ओर हनुमान जी विराजमान है और इनके पास ही राम दरबार सुशोभित है.

त्रेता के Thakur (Tretaa ke Thakur)

Ayodhya का एक प्रमुख आकर्षण है. त्रेता के Thakur का मंदिर, जो भगवान राम को समर्पित है. Hindu धर्म के अनुसार चार युगों में से, दूसरे युग त्रेता में अवतरित हुए श्री राम को त्रेता के Thakur के नाम से भी संबोधित किया गया है. इस मंदिर के दरवाजे साल में केवल एक बार कार्तिक शुक्ल एकादशी पर ही खुलते हैं. नया घाट पर स्थित ये मंदिर तीन सौ साल पहले Kullu के राजा के द्वारा बनवाया गया था. इनके अलावा Ayodhya में Sita की रसोई, जानकी महल, विजय राघव जी का मंदिर और छोटी छावनी यानी वाल्मीकि भवन भी दर्शनीय स्थान है.

यदि आप स्थापत्य कला में भी रूचि रखते हैं तो आपको यहाँ के गुलाब बाड़ी और बहु बेगम का मकबरा भी देखना चाहिए. दोस्तों आपको अयोध्या नगरी के दर्शन का ये लेख कैसा लगा? साथ ही इनके अलावा अयोध्या का कोई अन्य दर्शनीय स्थान इस लिस्ट में छूट रहा हो, तो कृपया कमेंट बॉक्स में बताएं. जय श्री राम, जय हिंद, जय भारत।

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