Koshi Barrage Mela: एक ऐसा मेला जो इंडियन और नेपाली के बीच बराबर फेमस है, आप भी देखे जा के कभी ना भूल पाएंगे, Pusi Purnima Mela Kosi Barrage Nepal

Pusi Purnima Mela Kosi Barrage Nepal

Pusi Purnima Mela Kosi Barrage Nepal: इस यात्रा संस्मरण में मैं आपको एक ऐसी जगह घुमाने ले जाऊंगा जो इंडिया और नेपाल में एक साथ प्रसिद्ध है. ये जगह कोसी बैरेज के नाम से फेमस है. ये बैराज भारत में बिहार के सुपौल जिले के भीमनगर और नेपाल के सुनसरी जिले के भांटाबारी बॉर्डर के पास है.

ये ऐतिहासिक बैराज इसलिए भी फेमस है क्योंकि इसका निर्माण 1954 और 1962 के बीच किया गया था. इसी बैराज से नेपाल से आने वाली कोसी नदी के पानी को कंट्रोल किया जाता है. वैसे तो इस जगह को देखने के लिए रोजाना भारत और नेपाल के अलावा विदेशी पर्यटक भी आते ही रहते हैं. नेपालियों के लिए तो यह एक पसंदीदा टूरिस्ट स्पॉट है.

Pusi Purnima Mela Kosi Barrage Nepal

इसी जगह पर हर साल हिंदी कैलेंडर के अनुसार पौष महीना के पूर्णिमा के दिन भव्य मेला लगता है और इंडिया और नेपाल से बहुत बहुत दूर दूर के पर्यटक इस मेले का लुत्फ लेने यहाँ आते हैं.

इस बैराज की लम्बाई करीब 1.3 किलोमीटर है और इसमें कुल 56 फाटक है. यहाँ पर आप कभी भी आएंगे तो आपको काफी शकुन महसूस होगा क्योंकि यहाँ का नजारा आपका मन मोह लेगा. खासतौर पर यहां का सूर्यास्त और सूर्योदय का व्यू आपको काफी पसंद आएगा. गर्मी के मौसम में जब नदी के ठंडे पानी से  छनकर ठंडी हवा चलती है तो ऐसा लगता है की किसी जन्नत में आप बैठे हो. 

आइये अब आपको कहानी सुनाते है जब मैं और मेरी फॅमिली इस मेले को देखने के लिए पहुंचे थे. करीब दो बजे तक हमलोगों ने अपने घर पे लंच कर लिया था और फिर थोड़ा सा रेस्ट करने के बाद हमलोग मेले जाने की तैयारी में लग गए. फीमेल्स भी हमारे साथ जा रही थी तो उनलोगों को तैयार होने में थोड़ा समय लग गया इसलिए हमलोग मेले के लिए करीब दिन के 3:30 बजे निकले.

हमारे घर से कोसी बैराज की दूरी करीब 16 किलोमीटर है. हमलोग बाइक से निकले और रास्ता हमने लिया था पूर्वी कोसी तटबंध वाला। पूर्वी कोसी तटबंध वाली रोड पर बाइक चलाना काफी आरामदायक होता है साथ ही आपको कोसी नदी का बेहतरीन व्यू मिलता है एवं गांव की हरियाली एक बोनस होता है.

रास्ते का नजारा बड़ा ही अद्भुत था कोई पैदल चल रहा था तो कोई बाइक से, तो कोई फोर व्हीलर्स से मेले की और जा रहा था. हमें कुछ लोग ऑटो और ट्रैक्टर से भी मेले जाते हुए दिखाई दिए. हमें तो बड़ा मजा आ रहा था. पुराने समय में खासतौर पर ग्रामीण इलाके में मेले का बड़ा महत्व होता था क्योंकि मेला ही एक ऐसा अवसर होता था जहाँ पर लोग नए सामानों की खरीदारी किया करते थे क्योंकि मेले में दूर दूर से दुकानदार अपनी दुकान लगाते थे. कुछ दशकों पहले तक यातायात के साधनों की कमी के कारण ग्रामीण लोगों का शहर तक पहुंचना बहुत आसान नहीं होता था इनकी कमी मेला दूर किया करता था इसलिए मेले में लोग जमकर खरीदारी किया करते थे. अब धीरे-धीरे मेला कल्चर समाप्त हो रहा है और उसकी जगह आधुनिक फेस्टिवल्स ले रहे हैं. हमारे इलाके में भी पहले बहुत सारे मेले का आयोजन किया जाता था. लेकिन अब कुछ ही मेले का ही आयोजन हो रहा है.

जहाँ पर ये मेला लगता है वो इंडिया-नेपाल का इंटरनेशनल बॉर्डर है. हम लोग मैन बॉर्डर से नहीं गए थे ये कोसी तटबंध वाला बॉर्डर था. बॉर्डर से पहले यहाँ पर एक एसएसबी का चेक पोस्ट भी है इस चेकपोस्ट से सिर्फ पैदल जाने वाले और बाइक वाले आगे बॉर्डर क्रॉस कर सकते हैं जिनके पास फोर व्हीलर्स और थ्री व्हीलर्स था वो लोग एसएसबी कैंप से पहले ही अपना गाड़ी पार्क करके पैदल बॉर्डर क्रॉस कर रहे थे. बॉर्डर से करीब 15 मिनट्स का पैदल रास्ता है कोसी बैराज पहुँचने का. वैसे आप भीमनगर मैन बॉर्डर से भी इस मेले तक पहुँच सकते हैं. भीमनगर वाले मैन बॉर्डर से अगर आप कोसी बैराज आते हैं तो आपको अपने व्हीकल से करीब 20 मिनट लगेगा मेला तक पहुँचने में.

मेला परिसर पहुँचने के बाद ऐसा लगा की जैसे किसी और दुनिया में आ गए हो क्योंकि यहाँ नेपाली और इंडियन एक साथ घूमते और मेले का लुफ्त लेते नजर आ रहे थे. मेला यहाँ पर दो भाग में विभक्त था. कोसी बैराज के पश्चिमी और पूर्वी दोनों छोरों पर गजब का भीड़ था. यहाँ पर बैराज के दोनों साइड पर मंदिर बना हुआ है. मेला घूमने आये लोग मंदिरों में दर्शन तो करते ही है उसके बाद यहाँ पर मौजूद बेहतरीन नजारों का भी लुफ्त उठाते हैं.

सितम्बर महीने के बाद कोसी नदी के जलस्तर में काफी गिरावट आना शुरू हो जाता है और जनवरी आते आते पानी का लेवल काफी नीचे आ जाता है. जिस कारण से नदी के अंदर काफी सारे बालू के टापू का निर्माण हो जाता है और मेले के समय आप यहां पर 50 रुपए में बोटिंग का भी लुफ्त उठा सकते हैं. यहाँ पर बोटिंग करके आपको काफी मजा आएगा. जैसे ही हमलोग बोट द्वारा टापू पर पहुंचे तो वहां से हमें आने का मन नहीं कर रहा था. एक तो यहाँ पर नदी की चौड़ाई काफी ज्यादा है और फिर पानी के बीच में से लोगो की चहलकदमी और कोसी बैराज का शानदार नजारा आपका मन मोह लेगा. टापू से सूर्यास्त का नजारा भी आपको काफी मनमोहक लगेगा. इस मेले में पहुंचे तो आप बोटिंग का लुत्फ जरूर ले. यहाँ से आपको हिमालय पहाड़ी श्रृंखला भी नजर आती है.

आप अगर नॉन-वेजीटेरियन हैं तो आपको यहाँ पर फ्रेश फिशेस की बहुत सारी डिशेस मिल जाएगी साथ ही आपको यहाँ पर नेपाली शराब भी उपलब्ध रहेगी. यहाँ पर कोसी नदी के किनारे बहुत सारे बांस के बने ईटिंग पॉइंट मिलेगी जहाँ पर आप फिश फ्राई और चिल्ड बियर का लुफ्त उठा सकते हैं वो भी बेहतरीन व्यू के साथ. इन ईटिंग पॉइंट पर आप अपने महिला मित्रों के साथ न जाएँ। अपने महिला मित्रों के साथ यहाँ आप फ़ूड एन्जॉय करना चाहते हैं तो आपको बैराज के पश्चिमी छोर की तरफ कुछ रेस्टॉरेंट मिल जायेंगे वहां पर आप अच्छा समय बिता सकते हैं.

वेजीटेरियन फ़ूड में आपको यहाँ पर ज्यादा ऑप्शन्स नहीं मिलेगा सिर्फ स्नैक्स में आपको लिट्टी, समोसा और स्वीटस में आपको रसगुल्ला, गुलाबजामुन और जलेबी भी आपके लिए उपलब्ध रहेगी. वैसे भी ये मेला सिर्फ एक दिन का ही होता है इसलिए यहाँ पर आप को फ़ूड का ज्यादा वैराइटी नहीं मिलता है.

वैसे मेला के अलावे भी आप यहाँ पर घूमने आ सकते हैं. जो पहाड़ी नेपाली होते हैं उनलोगों में ये जगह काफी फेमस है और वो लोग मेले के अलावे भी यहाँ पर पिकनिक मनाने के लिए आते रहते हैं साथ ही यहां पर नेपाल घूमने आने वाले विदेशी पर्यटक भी घूमते हुए दिख जायेंगे.

यहाँ पर आप मेले के दौरान आये या फिर मेले के बाहर आपको एक अलग तरह का अनुभव मिलेगा. कोसी बैराज नेपाल के 10 किलोमीटर के रेडियस में दो बड़े फेमस जगह है नेपाल में जो हमेशा से टूरिस्ट की पसंदीदा जगह रही है. यहाँ से पश्चिम दिशा में भारदह नामक जगह में माँ काली का एक बड़ा मंदिर है जहाँ पर अभी भी दुर्गा पूजा के समय भैंसो की बलि दी जाती है. इसे माँ कंकालिनी मंदिर के नाम से जानते हैं. इस मंदिर का आर्किटेक्चर बड़ा ही खूबसूरत है. वहीँ पूर्वी दिशा की तरफ दूसरी जगह है कोसी टप्पू वाइल्डलाइफ रिज़र्व। यहाँ पर एक वाइल्डलाइफ म्यूजियम भी है. आपको इस वाइल्डलाइफ रिज़र्व के अंदर काफी सारे वाइल्ड जानवर भी देखने को मिलेंगे। आप कोसी बैराज आएं तो इन दोनों जगहों पर जरूर विजिट करें आप निराश नहीं होंगे.

शाम होने के बाद हम लोग करीब 6 बजे कोसी बैरेज मेले की बहुत सारी मीठी यादों को लेकर अपने घर को लौट आए.

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