Shafilea Ahmed Case: सितंबर 2003 में ब्रिटेन में शफल अहमद नाम तेजी से चर्चा में आता है. चर्चा में आने की वजह थी कि 17 साल की शफीलिया अहमद अचानक से लापता हो जाती हैं. महीनों की तलाश के बाद भी शफीलिया अहमद का कहीं भी अता पता नहीं चलता है. यहां तक कि इस केस में शक की सुई शफीलिया अहमद के माता-पिता तक जाती है. मगर पुलिस के हाथ खाली रहते हैं.
10 साल तक पुलिस के हाथ खाली रहते हैं. मगर फिर अचानक प्रकृति की तरफ से कुछ ऐसा होता है कि परत दर परत केस की सच्चाई बाहर आने लगती है और फिर बेहद ही हैरान कर देने वाला खुलासा होता है. तो आखिर क्या है शफीलिया अहमद के गायब होने की पूरी कहानी? पुलिस जांच में क्या कुछ सामने आया और आखिर इस केस का खुलासा कैसे हुआ? आइये जानते हैं.
Shafilea Ahmed Case
अब तक आप समझ गए होंगे कि यह कहानी शफीलिया अहमद नाम की एक लड़की की है. शफी का जन्म 14 जुलाई 1986 को हुआ था. शफीलिया एक ब्रिटिश पाकिस्तानी मूल की लड़की थी. शफीलिया अहमद के पिता इफ्तिकार अहमद मूल रूप से पाकिस्तान के गुजरात जिले के उत्तम गांव के रहने वाले थे. लगभग 20 से 22 साल की उम्र में इफ्तिकार रोजगार की तलाश में ब्रिटेन चले आते हैं.
यहीं रहते हुए काम करने के दौरान ही इफ्तिकार को विदेशी मूल की एक लड़की से प्यार होता है और वह उसी से शादी कर लेते हैं. बहुत जल्द इफ्तिकार एक बच्चे का पिता भी बन जाता है. मगर जब वह वापस पाकिस्तान जाता है और अपनी शादी के बारे में घर वालों को बताता है तो घर वाले इस शादी को मानने से इंकार कर देते हैं. फिर इफ्तिकार के घरवाले इफ्तिकार पर पाकिस्तानी लड़की से दूसरी शादी करने का भारी दबाव बनाते हैं.
घरवालों की जिद के आगे इफ्तिकार झुक जाता है और उसकी शादी फरजाना अहमद नाम की एक पाकिस्तानी लड़की से कर देते हैं. शादी के बाद इफ्तिकार वापस ब्रिटेन जाता है और वहां अपनी पहली पत्नी को सच्चाई बताने के बाद उसे तलाक दे देता है. फिर कुछ समय बाद इफ्तिकार अपनी दूसरी पत्नी फरजाना को भी पाकिस्तान से अपने साथ ब्रिटेन लेकर चला आता है.
ब्रिटेन आने के बाद इफ्तिकार अपनी पत्नी के साथ ब्रैडफोर्ड वेस्ट यॉर्कशायर में रहने लगता है. यहीं रहते हुए 14 जुलाई 1986 को शफीलिया अहमद का जन्म होता है. शफी की जन्म के बाद यह दोनों पुरानी जगह को छोड़कर वरिंगटन में रहने चले आते हैं. यहां से शफीलिया अहमद की पढ़ाई लिखाई शुरू होती है. इस बीच इफ्तिकार का परिवार भी बड़ा होता है और घर में दो और बेटियों का जन्म होता है.
वैसे तो यह परिवार ब्रिटेन में ही रहता है. मगर छुट्टी के दिनों में अक्सर इफ्तिकार अपने सभी बच्चों और पत्नी को लेकर पाकिस्तान अपने घर आता था. बात 2003 की है अब तक शफीलिया अहमद की उम्र 17 साल हो चुकी थी और वह कानून की पढ़ाई कर रही थी. इसका सपना वकील बनने का था. जब शफी और दूसरे बच्चों की छुट्टी होती है तो 18 फरवरी 2003 को शफी अपने परिवार वालों के साथ पाकिस्तान वापस आती हैं.
पाकिस्तान ट्रिप के दौरान यह परिवार एक पारिवारिक शादी समारोह में भी शामिल होता है. इस शादी के कुछ ही दिनों बाद शफीलिया अहमद के साथ एक बड़ा हादसा होता है. दरअसल वह गलती से फिनाइल पी लेती हैं. इस कारण उसका गला पूरी तरीके से जल जाता है. शुरू में कहा जाता है कि शफीलिया अहमद पर उसके माता-पिता ने एक पाकिस्तानी लड़के से शादी करने का दवाब बनाया था इसी कारण जान देने के लिए शफी ने फिनाइल पी ली.
मगर बाद में माता-पिता दावा करते हैं कि दरअसल जिस बोतल में अमूमन पानी रखा होता था उसी एक पुरानी बोतल में घर की साफ सफाई के लिए किसी ने फिनाइल रख दी थी. रात के अंधेरे में शफीलिया को समझ नहीं आता है कि वह फिनाइल है और वह पानी समझकर उसे पी लेती है. इस गलती की वजह से शफीलिया अहमद को बहुत तकलीफ उठानी पड़ती है.
उसे पाकिस्तान में ही एक अस्पताल में भर्ती करवाया जाता है क्योंकि शफीलिया अहमद की इंजरी बहुत ज्यादा थी. इसलिए उसे लंबे समय तक अस्पताल में रहना पड़ता है. इस बीच परिवार के दूसरे सदस्यों की छुट्टी खत्म हो जाती है और वापसी का दिन करीब आ जाता है. इस कारण इफ्तिकार अपने दो बच्चों और पत्नी को लेकर वापस ब्रिटेन चले आते हैं. जबकि शफीलिया अहमद इलाज के लिए पाकिस्तान में ही रुकी रहती हैं.
हालांकि कुछ ही दिनों बाद इफ्तिकार शफीलिया अहमद की भी वापसी का इंतजाम करता है और फिर 27 मई 2003 को शफीलिया वापस ब्रिटेन आ जाती है. यहां एयरपोर्ट से ही एंबुलेंस के जरिए शफीलिया को सीधे इलाज के लिए एक अस्पताल में एडमिट करवा दिया जाता है. कई महीनों के इलाज के बाद शफीलिया अहमद का गला काफी हद तक ठीक हो जाता है और फिर से वह कॉलेज ज्वाइन कर लेती हैं.
पढ़ाई के साथ-साथ पार्ट टाइम जॉब भी शुरू कर देती हैं. यहां तक शफीलिया अहमद को कोई जानता भी नहीं था. मगर 18 सितंबर 2003 को शफीलिया अहमद के एक कॉलेज टीचर नोटिस करते हैं कि पिछले एक हफ्ते से शफीलिया अहमद कॉलेज नहीं आ रही हैं. शफीलिया अहमद को फोन करने की भी कोशिश की जाती है मगर उससे कांटेक्ट नहीं हो पाता है.
इस बारे में जब शफीलिया के माता-पिता से पूछा जाता है तो वह लोग भी बताते हैं कि शफीलिया अहमद पिछले एक हफ्ते से घर नहीं आई हैं. बेटी एक हफ्ते से घर से गायब है और इस बारे में माता-पिता ने अब तक पुलिस में कंप्लेंट दर्ज नहीं करवाई थी. इस कारण शफीलिया के टीचर को सब कुछ नॉर्मल नहीं लगता है और वह तुरंत पुलिस को इस बात की जानकारी दे देते हैं.
मामला दर्ज करते ही पुलिस की एक टीम जांच पड़ताल के लिए शफीलिया के घर आती है और माता-पिता से ही पूछताछ की शुरुआत होती है. शफीलिया अहमद के माता-पिता बताते हैं कि 11 सितंबर 2003 को आखिरी बार उन्होंने शफीलिया अहमद को अपने घर देखा था. उसके बाद से वह नजर नहीं आई है.
इस पर पुलिस वाले कहते हैं कि जब आपकी बेटी एक हफ्ते से गायब है तो आपने अब तक पुलिस में शिकायत दर्ज क्यों नहीं करवाई इस पर शफल अहमद के माता-पिता जवाब देते हैं कि ऐसा पहली बार नहीं है जब शफीलिया अहमद घर से गायब हुई है. बल्कि ऐसा पहले भी कई बार उसके साथ हो चुका है. इस बात की पुष्टि के लिए जब पुलिस रिकॉर्ड की जांच करती है तो पता चलता है कि वास्तव में पहले भी शफी कई बार घर से गायब हो चुकी हैं.
पहली बार तो जब शफीलिया अहमद की उम्र महज 12 साल थी तभी वह 10 मार्च 1998 को अपनी छोटी बहन के साथ घर से गायब हो गई थी. शफीलिया के माता-पिता ने दोनों बहनों की मिसिंग रिपोर्ट भी तब पुलिस में दर्ज करवाई थी. हालांकि तब शफीलिया शाम होते-होते घर वापस आ गई थी. रिकॉर्ड्स के मुताबिक दूसरी बार शफीलिया अहमद 25 नवंबर 2002 को घर से भाग गई थी. तब भी इफ्तिकार अहमद अपनी बेटी की मिसिंग रिपोर्ट दर्ज करवाते हैं.
काफी खोजबीन के बाद पुलिस को शफीलिया अहमद एक पार्क में बैठी हुई मिलती हैं. पुलिस रिकॉर्ड्स के मुताबिक तीसरी बार शफीलिया अहमद 3 फरवरी 2003 को अपने एक दोस्त के साथ घर छोड़कर भागी थी. इस बार शफीलिया अहमद दो दिनों तक घर वापस नहीं आती हैं और फिर 5 फरवरी 2003 को शफी अहमद अनाथ लोगों के लिए बनाए गए सेफ हाउस में चली जाती हैं.
वहां जाकर अपने माता-पिता के खिलाफ घरेलू हिंसा और मानसिक उत्पीड़न की रिपोर्ट दर्ज करवाती हैं. रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस वाले शफी शफीलिया अहमद और उसके माता-पिता से बात करते हैं और फिर सब कुछ क्लियर होने के बाद शफीलिया अहमद वापस अपने पिता के घर चली जाती हैं. इसी के बाद 18 फरवरी 2003 को शफीलिया अहमद अपने दो बहनों और माता-पिता के साथ फैमिली फंक्शन के लिए पाकिस्तान जाती हैं और वहां से वापस आने के कुछ ही दिनों बाद गायब हो जाती हैं.
क्योंकि माता-पिता के बयान के बाद और पुलिस रिकॉर्ड से यह साबित हो जाता है कि शफीलिया अहमद पहले भी कई बार घर छोड़कर भाग चुकी हैं. इसलिए पुलिस वालों को लगता है कि शायद इस बार भी अपनी मर्जी से ही शफीलिया कहीं भाग गई होंगी। इसलिए पुलिस तो अपनी जांच जारी रखती ही है साथ ही उन संभावित जगहों का भी पता लगाने में जुट जाती है जहां शफीलिया अहमद जा सकती थी.
मगर कहीं से भी शफी का अता पता नहीं चलता है शफीलिया अहमद के पहले भी घर छोड़कर भागने के इतिहास की वजह से पुलिस जांच में थोड़ी सुस्ती दिखाती है. कुछ स्थानीय मीडिया मीडिया वाले पुलिस की सुस्ती को मुद्दा बनाना शुरू कर देते हैं. इसका असर यह होता है कि स्थानीय स्तर पर ही शफीलिया अहमद को खोजने की मांग होने लगती है.
अब पुलिस धीरे-धीरे अपनी जांच आगे बढ़ाती है तो शफी के घर से पुलिस वालों को शफी की लिखी हुई बहुत सारी कविताएं और लेख मिलते हैं इन कविताओं से पता चलता है कि वह अपने घर के माहौल से खुश नहीं थी. माता-पिता चाहते थे कि शफल एक ट्रेडिशनल पाकिस्तानी लड़की के तौर पर अपना जीवन बिताए जबकि शफीलिया अहमद को वेस्टर्न कल्चर ज्यादा भा रहा था इसी दर्द को शफीलिया अहमद ने अपनी कविताओं के जरिए पन्नों पर उतारा था.
जब शफी की यह कविताएं लोगों तक पहुंचती हैं तो धीरे-धीरे यह मामला और तूल पकड़ने लगता है और पुलिस पर शफीलिया को ढूंढने का दवाब बहुत ज्यादा बढ़ने लगता है. इसी के बाद पुलिस वाले एक्शन में आते हैं और हर उस जगह की तलाश करते हैं. जहां शफीलिया जा सकती थी. मगर कहीं से भी उसका कोई भी सुराग नहीं मिलता है. हालांकि एक सीसीटीवी फुटेज में शफीलिया अहमद की तस्वीर जरूर दिख जाती है.
जब वह सीसीटीवी फुटेज शफी के माता-पिता को दिखाई जाती है तो इस बात की पुष्टि करते हैं कि सीसीटीवी फुटेज में दिख रही लड़की शफीलिया अहमद है. यह तस्वीर लड़की के गायब होने के कुछ दिन बाद की थी. जब माता-पिता अपनी बेटी की पहचान कर लेते हैं तो पुलिस यह मान लेती है कि कम से कम शफीलिया जिंदा तो है. हालांकि मामले में नया मोड़ तब आता है जब यह तस्वीर शफीलिया के स्कूल टीचर को दिखाई जाती है.
दरअसल जब वह तस्वीर शफीलिया के क्लास टीचर को दिखाई जाती है तो वह कहते हैं कि फोटो में दिख रही लड़की कहीं से भी शफीलिया अहमद नहीं है. कुछ दूसरे लोग भी सीसीटीवी फुटेज देखकर इस बात की पुष्टि करते हैं कि फुटेज में दिखने वाली लड़की शफीलिया अहमद नहीं है. अब पुलिस वालों का माथा घूमने लगता है कि आखिर शफी के माता-पिता ने फोटो में दिख रही लड़की की झूठी पहचान क्यों की.
क्या वह कुछ छुपाने की कोशिश कर रहे हैं? इसी बात का पता लगाने के लिए पुलिस वाले चुपके से शफीलिया अहमद के माता-पिता के घर पर कई जगह ऑडियो रिकॉर्डिंग डिवाइस लगा देते हैं. अब पुलिस वाले घर में लगे ऑडियो रिकॉर्डिंग डिवाइस पर रिकॉर्ड हुई बातचीत की बारीकी से जांच पड़ताल करते रहते हैं. रिकॉर्डिंग के मुताबिक एक दिन अहमद घर में बात करता हुआ सुनाई देता है कि ब्रिटेन में अगर तुम 40 लोगों को भी मार दो और एक भी सबूत ना छोड़ो तो यहां का कानून तुम्हारा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता है.
इसके अलावा एक दिन इफ्तिकार अहमद कहता हुआ सुनाई देता है कि अगर पुलिस ने कार के अंदर से डीएनए सैंपल कलेक्ट किया तो क्या हो सकता है. इसके अलावा ऑडियो रिकॉर्डिंग डिवाइस में कई और ऐसी बातें रिकॉर्ड होती हैं जिससे सुनने के बाद शक होने लगता है कि शायद इफ्तिकार अहमद ने ही अपनी बेटी के साथ कुछ किया है. क्योंकि अब पुलिस वालों को इफ्तिकार अहमद के ऊपर ही शक होने लगता है.
इसलिए इफ्तिकार अहमद की कहीं बातों को आधार बनाते हुए 18 दिसंबर 2003 को पुलिस वाले इफ्तिकार और उसकी पत्नी फरजाना अहमद के अलावा परिवार के पांच और सदस्यों को शफीलिया अहमद के हत्या करने और उसकी लाश छुपाने के इल्जाम में गिरफ्तार कर लेते हैं. पुलिस ने इन लोगों को केवल शक के आधार पर गिरफ्तार किया था.
पुलिस को उम्मीद थी कि जांच पड़ताल के दौरान इन लोगों के खिलाफ कोई ना कोई सबूत पुलिस निकाल ही लेगी। मगर पुलिस को गिरफ्तार किए गए किसी भी शख्स के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिलता है और आखिरकार गिरफ्तार किए गए सभी लोगों को पुलिस कुछ ही दिनों के बाद रिहा कर देती है.
अब 2003 से साल बदलकर हो चुका था 2004. शफीलिया अहमद के मामले में पुलिस के हाथ अब तक खाली थे. पुलिस शफीलिया अहमद को खोजने की कोशिश में जुटी हुई थी कि इसी बीच ब्रिटेन के सेड विक कमिया इलाके से बहने वाली मशहूर कैंट नदी में जबरदस्त बाढ़ आ जाती है. जब बाढ़ का पानी उतरता है तो इलाके में राहत बचाव के काम में लगे तीन लोगों को इस नदी के किनारे एक लड़की की सड़ी गली लाश मिलती है.
जिस जगह पर लाश मिली थी और जहां से शफीलिया अहमद गायब हुई थी वह दोनों जगह काफी दूरी पर थी. फिर भी पुलिस वालों को शक होता है कि कहीं यह शव शफीलिया अहमद का तो नहीं है. इसी बात की पुष्टि के लिए डेड बॉडी से डीएनए सैंपल कलेक्ट किए जाते हैं और फिर उसका मिलन इफ्तिकार और फरजाना के डीएनए सैंपल से किया जाता है. सब उस वक्त चौक जाते हैं जब बाढ़ में बहकर आई लाश और इफ्तिकार अहमद के डीएनए सैंपल मैच कर जाते हैं.
इसका मतलब था कि नदी से बहकर आई वह लाश किसी और की नहीं बल्कि शफीलिया अहमद की है. मतलब कि जिस शफीलिया अहमद की तलाश में पुलिस लगी हुई थी. वह अब एक मुर्दे के रूप में पुलिस तक आ चुकी थी. अब पुलिस के सामने सबसे बड़ा सवाल था कि आखिर शफीलिया अहमद की हत्या किसने और क्यों की है.
शफीलिया अहमद के माता-पिता के बयान और हरकतों से पहले भी उन पर शक हुआ था और 2003 में भी इन दोनों को गिरफ्तार किया गया था. इसीलिए एक बार फिर से इन दोनों से पूछताछ की जाती है और एक एक बार फिर से इन्हें गिरफ्तार किया जाता है. मामले की सुनवाई भी होती है. मगर इन दोनों पर कोई आरोप साबित नहीं हो पाता है और फिर से इन्हें रिहा करना पड़ता है.
पुलिस वाले कुछ और सस्पेक्ट को हिरासत में लेते हैं और उन सभी के खिलाफ भी मामला दर्ज करते हुए जांच आगे बढ़ाई जाती है. मगर काफी कोशिशों के बाद भी पुलिस कातिल तक नहीं पहुंच पाती है. इस तरह समय बीतता जाता है. लेकिन शफीलिया अहमद के कातिलों का कहीं भी अता पता नहीं चलता है. धीरे-धीरे लोग शफीलिया अहमद को भी बुलाने लगते हैं और इस केस की चर्चा भी बंद होने लगती है.
शफीलिया अहमद 2003 में गायब हुई थी और अब आ चुका था साल 2010. शफीलिया अहमद की मृत्यु को अब सात साल हो चुके थे. इफ्तिकार अहमद भी अपने काम में लगे हुए थे और बची हुई दोनों बेटियां भी पढ़ाई लिखाई में लगी हुई थी. परिवार बड़ी बेटी के खोने के गम से लगभग उभर चुका था और सभी अपने-अपने नॉर्मल लाइफ में वापस आ चुके थे.
तभी 25 अगस्त 2010 को इफ्तिकार अहमद के घर पर बड़ी चोरी होती है. अब तक इफ्तिकार अहमद का परिवार इलाके में अपनी बेटी के गायब होने की वजह से काफी मशहूर हो चुका था. इस कारण जब इस घर में चोरी की वारदात होती है तो यह खबर भी अखबारों की सुर्खियां बनने लगती हैं और एक बार फिर से पुलिस पर भारी दबाव आ जाता है. पुलिस वाले भी ईमानदारी से काम करते हुए जल्द से जल्द चोर की तलाश में लग जाती है.
कई दिनों की मेहनत के बाद पुलिस वाले एक ऐसा खुलासा करते हैं जिससे हर कोई शॉक्ड रह जाता है. पुलिस वाले घर में चोरी के आरोप में किसी और को नहीं बल्कि इफ्तिकार अहमद की बेटी अलीशा अहमद को ही गिरफ्तार करते हैं. अलीशा शफीलिया की छोटी बहन थी. अलीशा के मुताबिक घर से उसे उतने पैसे नहीं मिलते थे. जितने पैसे वह मांगती थी. इसी कारण उसने अपने पिता के घर पर चोरी करवाई।
पुलिस ने चोरी वाले केस को बहुत जल्दी सॉल्व कर लिया था. मगर पुलिस वालों को यहां एक मौका नजर आता है और अब वह एक बार फिर से कई साल पहले गायब हुई शफीलिया वाली फाइल को खोलते हैं और अलीशा से उसकी बहन शफी के बारे में बातचीत करना शुरू करते हैं. शुरुआती बातचीत में ही पुलिस वालों को लगता है कि अलीशा शफीलिया के गायब होने के बारे में कुछ ऐसा जानती जिससे दुनिया अब तक बेखबर है.
पुलिस वाले अलीशा से शफीलिया अहमद के बारे में बताने की जिद करते हैं. मगर अलीशा बिल्कुल खामोश रहती है. फिर यहां पुलिस वाले अलीशा को कहते हैं कि तुमने अपने ही घर में चोरी करवाई है. इसके लिए तुम्हें लंबी जेल हो सकती है. लेकिन अगर तुम शफीलिया के बारे में कुछ ऐसा बताओ जो अब तक कोई नहीं जानता है तो तुम्हारी सजा काफी कम हो सकती है.
इसके बाद अलीशा जो खुलासा करती है उसे सुनकर हर किसी के पैरों तले जमीन खिसक जाती है. अलीशा बताती है कि उसकी बहन शफीलिया अहमद को किसी और ने नहीं बल्कि उसके पिता इफ्तिकार और मां फरजाना अहमद ने हम सभी बहनों के सामने मारा था और फिर उसकी लाश को अपनी कार में रखकर दूर जंगल में फेंक दिया था. मगर बाढ़ की वजह से लाश बहकर जंगल से नदी किनारे आ गई थी.
अलीशा के मुताबिक इफ्तिकार और फरजाना को अपनी बेटी का मॉडर्न लाइफस्टाइल बिल्कुल भी पसंद नहीं था. इसके अलावा शफीलिया किसी लड़के से प्यार भी करने लगी थी. यह बात भी इफ्तिकार और फरजाना को पसंद नहीं आती है और इसी बात के लिए यह दोनों रोज-रोज शफीलिया अहमद को टोकते रहते हैं.
इसके अलावा जब शफीलिया अहमद की एक लड़के से दोस्ती की बात सामने आती है तो इफ्तिकार और फरजाना अब जल्द से जल्द शफीलिया की शादी अपने पसंद के लड़के से करवाने की कोशिश में लग जाते हैं. जब यह परिवार 2003 में एक फैमिली फंक्शन के लिए पाकिस्तान जाता है तो वहां एक लड़के से जबरदस्ती शफीलिया की शादी करवाने की कोशिश की जाती है.
मगर शफीलिया अहमद शादी को करने से मना कर देती हैं और इसी से बचने के लिए फिनाइल पी लेती हैं. इस कारण उसकी तबीयत खराब हो जाती है और उसकी शादी टल जाती है. जब शफीलिया वापस ब्रिटेन आती हैं तो यहां भी उसके परिवार वाले अपनी पसंद के लड़के से शादी करवाने की जिद्द करने लगते हैं.
जब शफीलिया इस शादी के लिए मना करती है तो उसके पिता को गुस्सा आता है और वह पहले तो शफीलिया को गुस्से से मारते हैं और फिर पॉलीथिन बैग में उसका मुं ढक देते हैं इस कारण दम घुटने की वजह से शफीलिया अहमद की मौत हो जाती है. इस खुलासे के तुरंत बाद अलीशा शफीलिया अहमद वाले मामले में सरकारी गवाह बन जाती हैं.
बदले में उसे चोरी वाले मामले में कम से कम सजा का भरोसा दिलवाया जाता है. अलीशा के बयान के आधार पर ही 2 सितंबर 2010 को फरजाना और इफ्तिकार को गिरफ्तार कर लिया जाता है और इन दोनों के खिलाफ अपनी ही बेटी की हत्या का केस चलता है. गिरफ्तारी के कुछ महीनों तक यह दोनों जेल में रहते हैं लेकिन लगभग एक साल बाद 15 सितंबर 2011 को इन दोनों को मैनचेस्टर क्राउन कोर्ट से बेल मिल जाती है.
आगे की जांच में पुलिस वाले कुछ अहम सबूत इकट्ठा करके लाते हैं और फिर उन सबूतों के आधार पर 21 मई 2012 से इस केस की सुनवाई चेस्टर क्राउन कोर्ट में शुरू होती है. पहले तो फरजाना और इफ्तिकार दोनों ही अपनी बेटी की हत्या से इंकार करते रहते हैं. मगर जब फरजाना को लगने लगता है कि अपनी ही बेटी की हत्या के मामले में यह फसने वाली है तो 9 जुलाई 2012 को फरजाना कोर्ट में फाइनली एक्सेप्ट कर लेती है कि शफीलिया अहमद की हत्या किसी और ने नहीं बल्कि इफ्तिकार अहमद ने ही की है.
अपने बयान में फरजाना यह भी बताती है कि उसने इफ्तिकार अहमद को रोकने की कोशिश भी की थी. मगर उल्टे इफ्तिकार अहमद ने फरजाना को भी मारा पीटा और धमकी दी कि अगर तुम में से किसी ने भी इस बारे में किसी को भी बताया तो उसका भी हाल शफीलिया जैसा ही होगा।
अब इफ्तिकार अहमद के खिलाफ दो गवाह हो चुके थे इसके अलावा पुलिस वाले भी जो सबूत इकट्ठा करते हैं वह भी इशारा करते हैं कि इफ्तिकार अहमद ने ही शफीलिया अहमद की हत्या की थी. फिर उसकी लाश को बहुत दूर जंगल में फेंक दिया मगर इत्तेफाक से उस इलाके में बाढ़ आ गई और बाढ़ के पानी के साथ शफीलिया की लाश बहते हुए खुद ही नदी के किनारे पहुंच गई.
फाइनली लंबी सुनवाई के बाद अगस्त 2012 में फरजाना और इफ्तिकार को अपनी ही बेटी की हत्या और हत्या के बाद लाश गायब करने का दोषी पाया जाता है और इन दोनों को 252 साल की सजा सुनाई जाती है. कोर्ट में यह भी साबित होता है कि यह एक ऑनर किलिंग है.
कोर्ट के इस फैसले के बाद हर साल शफीलिया अहमद की याद में 14 जुलाई को यानी शफीलिया अहमद के बर्थडे के दिन नेशनल डे ऑफ मेमोरी फॉर विक्टिम्स ऑफ ऑनर किलिंग भी मनाई जाती है. दोस्तों यह पूरी कहानी जानने के बाद आप क्या कहेंगे कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।