1968 की वो घटना जिससे दहल गया था देश, कातिल को सजा तो हुई लेकिन वो 2 साल बाद ही जेल से बहार हो गयी, Shamim Rahmani and Doctor Gautam Case

Shamim Rahmani and Doctor Gautam Case

आपने अब तक प्यार में धोके की दर्जनों कहानियाँ सुनी होंगी मगर आज हम आपको जिस सच्ची घटना की पूरी कहानी बताने जा रहे है उसके बारे में आपने शायद ही सुना होगा। भले ही आज ये कहानी गुमनामी में है मगर एक समय इस case ने Uttar Pradesh के साथ साथ पूरे देश में सुर्खियाँ बटोरी थी. इस case को तब का KM Nanavati case भी करार दिया गया था ये पूरी कहानी Lucknow के एक doctor Hariom Gautam तथा Lucknow के एक बेहद ही रईस घराने से ताल्लुक रखने वाली लड़की Shamim Rehmani की है.

वही Shamim रहमानी जिसकी खूबसूरती की चर्चा उन दिनों पूरे लखनऊ में होती थी. तो आखिर डॉक्टर हरिओम गौतम तथा शमीम रहमानी का क्या रिश्ता था? और आगे इस केस में क्या कुछ हुआ? चलिए जानते हैं सब कुछ detail में. तब ये केस इतना बड़ा बन गया था कि कई विदेशी मीडिया खासतौर से इस केस को कवर करने के लिए लखनऊ तक आई थी. इसके अलावा पूरे देश की मीडिया बस इसी केस के बारे में बातें करती थी. यकीन मानिए इस केस की सच्चाई जानकर आप भी shocked रह जाएंगे।

Shamim Rahmani and Doctor Gautam Case

Shamim Rahmani and Doctor Gautam Case

तारीख थी 7 मई 1966 लखनऊ के सबसे रईस और प्रभावशाली लोगों में गिने जाने वाले अजीज उर रहमान को अचानक से paralytic attack आता है। अजीज उर रहमान कभी लखीमपुर खेरी के ताल्लुकदार हुआ करते थे। इनकी गिनती इलाके के सबसे प्रभावशाली लोगों में की जाती थी। अचानक आए attack की वजह से अजीज उर रहमान की स्थिति तेजी से बिगड़ने लगती है और फिर उन्हें बेहतर इलाज के लिए तत्काल ही लखनऊ के बलरामपुर hospital में admit करवाया जाता है।

यहाँ इनका इलाज डॉक्टर हरिओम गौतम की देखरेख में शुरू होता है। इस समय डॉक्टर हरिओम गौतम की उम्र यही कोई 33 साल थी। समय के साथ अजीज उर रहमान की तबीयत ठीक होती है और 10 दिनों के इलाज के बाद उन्हें hospital से discharge भी कर दिया गया। मगर इलाज के दौरान दस दिनों में कुछ ऐसा होता है जिसकी किसी ने भी कल्पना नहीं की थी.

दरअसल Azizur Rehman के 3 बच्चे थे दो बेटा और एक बेटी। दोनों बेटे उन दिनों व्यापार और politics में तेजी से अपने कदम बढ़ा रहे थे. जबकि बेटी भी पढ़ाई में काफी अच्छा कर रही थी. 22 साल की बेटी का नाम Shamim Rehmani था. जब Azizur Rehman hospital में admit होते है तो पिता से मिलने परिवार वालों के साथ एक दिन Shamim Rehmani भी hospital आती है. यहाँ आते ही अजी उर रहमान का इलाज कर रहे डॉक्टर हरिओम गौतम की नजर शमीम रहमानी पर पड़ती है।

पहली ही नजर में डॉक्टर गौतम शमीम रहमानी को पसंद करने लगते हैं। गौतम भी काफी handsome था और ऊपर से डॉक्टर भी. इसलिए शमीम रहमानी भी उससे खुलकर बातें करने लगती है. बातचीत की शुरुआत पिता की सेहत से जुड़े सवालों से होती है. मगर देखते ही देखते दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगते हैं और एक लव affair की शुरुआत हो जाती है.

इस लव अफेयर की शुरुआत से होता ये है कि जहाँ पहले डॉक्टर गौतम दिन में एक बार मरीज को देखने आते थे वो कई बार आने लगते हैं और पिता की खिदमत के नाम पर शमीम रहमानी भी हॉस्पिटल में ही ज्यादा समय बिताने लगते हैं। जब दस दिन बाद अजीज उर रहमान हॉस्पिटल से discharge हो जाते हैं तो वो लखीमपुर खेरी लेन स्थित एक घर में रहने चले आते हैं. क्योंकि अजीज उर रहमान शहर के प्रभावशाली लोगों में थे इसलिए अब डॉक्टर गौतम रोज इनका हाल-चाल लेने इनके घर पर ही आने लगते हैं।

दुनिया की नजरों में doctor Gautam Azizur Rehman का हालचाल लेने आता था. मगर असल में वो Shamim Rehmani से मिलने के लिए आता था. हालात तो यहाँ तक आ जाते है कि एक ही दिन में कई कई बार doctor Gautam Azizur Rehman से मिलने आने लगते है. घर में जवान बेटी की मौजूदगी और doctor का इतना ज्यादा आना जाना भले ही घरवालों को normal लगता है. मगर आस पड़ोस और शहर में तरह तरह की चर्चाएँ होने लगती है.

कुछ पड़ोसी और रिश्तेदार doctor के इतना ज्यादा घर आने पर objection भी करते हैं. मगर घरवालों को कोई फर्क नहीं पड़ता है और doctor का आना जाना यूँ ही लगा रहता है. रोज़ रोज़ के आने जाने से होता ये है कि doctor Gautam और Shamim Rehmani एक दूसरे के लिए पागल जैसे हो जाते हैं और साथ जीने मरने की कसमें खाने लगते हैं. समय यूँ ही बीतता जाता है और इन दोनों का प्यार और भी गहरा होता जाता है. भले ही इन दोनों का प्यार नई ऊँचाइयों को छू रहा था. मगर एक चीज़ थी जो इन दोनों के प्यार के आड़े आ रही थी और वो थी दोनों का धर्म।

मगर बाद में मिले पत्र से खुलासा होता है कि डॉक्टर गौतम शमीम रहमानी से वादा करते हैं कि वो बहुत जल्द इस्लाम धर्म अपना लेगा और उससे शादी करेगा। इसी भरोसे पर शमीम रहमानी और गौतम का रिश्ता आगे बढ़ता रहता है। देखते ही देखते एक साल का समय बीत जाता है. शमीम बीएससी की degree हासिल कर लेती है. इसी बीच कुछ ऐसी चीजों का खुलासा होता है. जिसके लिए शायद शमीम रहमानी तैयार नहीं थी.

दरअसल एक दिन पता चलता है कि डॉक्टर गौतम पहले से शादीशुदा हैं। इतना ही नहीं डॉक्टर के तीन बच्चे भी हैं. इस बात के खुलासे के बाद शमीम रहमानी और डॉक्टर गौतम का काफी झगड़ा होता है. मगर रहमानी के प्यार में पागल डॉक्टर, रहमानी को भरोसा दिलाता है कि वो अपनी पत्नी को छोड़ देगा और फिर धर्म बदलने के बाद उसी से शादी कर लेगा।

इस वादे के बाद दोनों के रिश्ते फिर से रास्ते पर आ जाते हैं। मगर सब कुछ लंबे समय तक सामान्य नहीं रह पाता है। क्योंकि अब डॉक्टर गौतम के एक अलग रूप का खुलासा होता है। दरअसल डॉक्टर गौतम शहर का मशहूर डॉक्टर होने के साथ-साथ एक दिल फेक किस्म का इंसान भी था। वो अक्सर अलग-अलग लड़कियों से इश्क लड़ाता था। आए दिन नई-नई लड़कियों के साथ सिनेमाघरों में घूमना, restaurant और होटल में जाना इसके लिए आम बात थी.

इस बात की जानकारी शमीम रहमानी को भी हो जाती है और इस बात पर भी दोनों की लड़ाई होती है और लगने लगता है कि रिश्ता यहीं खत्म हो जाएगा। मगर गौतम इन आदत को छोड़ने का भरोसा दिलाता है. ये सब कुछ चल ही रहा होता है कि अचानक से बलरामपुर hospital से डॉक्टर गौतम के transfer का order आ जाता है. transfer का मतलब था कि दोनों का मिलना-जुलना बंद हो सकता था।

इसलिए डॉक्टर गौतम अब अपनी पूरी पहुंच पैरवी का इस्तेमाल करता है और इस transfer को भी रुकवा लेता है और बलरामपुर hospital में ही काम करता रहता है. कुछ दावों के मुताबिक गौतम का ये transfer रुकवाने में शमीम रहमानी ने ही अपने पिता और भाई के रसूख का इस्तेमाल किया था। इस तरह लगभग दो साल बीत जाते हैं और शमीम रहमानी तथा डॉक्टर गौतम का love affair यूँ ही चलता रहता है।

समय जरूर बदल रहा था। मगर डॉक्टर गौतम का स्वभाव नहीं बदलता है। उसका दूसरी लड़कियों से मिलना-जुलना जारी रहता है। इस बात की खबर लोगों से शमीम रहमानी तक समय-समय पर पहुंचती रहती है। शमीम रहमानी डॉक्टर गौतम की ये हरकत बर्दाश्त नहीं कर पाती है और एक दिन उन्नीस सौ अड़सठ के जनवरी महीने में लखनऊ के हजरतगंज स्थित quality restaurant में शमीम रहमानी डॉक्टर गौतम को दर्जनों लोगों की भीड़ में सरेआम थप्पड़ जड़ देती है.

यहाँ लगने लगता है कि दोनों का रिश्ता अब खत्म हो जाएगा। मगर चीजें फिर से संभलती है तथा दोनों का मिलना जुलना और उठना बैठना जारी रहता है. Gautam Rahmani को अपने scooter से भी घुमाने लगता है. कुछ महीनों तक तो इन दोनों का रिश्ता फिर से ठीक चलता है मगर 1968 के जुलाई महीने में कुछ ऐसा होता है कि इन दोनों के रिश्ते में फिर से तूफान खड़ा हो जाता है. दरअसल रहमानी के भाई आमिर अहमद का नौकर गणेश शमीम रहमानी को खबर देता है कि उसने शहर में देखा है कि डॉक्टर गौतम किसी लड़की को अपनी स्कूटर पर घुमा रहा था।

कुछ ही समय पहले डॉक्टर गौतम ने रहमानी को भरोसा दिलाया था कि अब वो किसी और लड़की से नहीं मिलेगा मगर जब शमीम रहमानी ये सुनती है कि डॉक्टर गौतम फिर से किसी को घुमा रहा था तो उसका गुस्सा सातवें आसमान पर चला जाता है। वो अगले दिन यानी 10 जुलाई 1968 को डॉक्टर गौतम को मिलने के लिए बुलाती है और फिर दोनों में इसी बात को लेकर बहुत ज्यादा झगड़ा होता है। झगड़े के बाद डॉक्टर गौतम अपने घर चला जाता है। मगर अगले दिन यानी ग्यारह जुलाई को शाम के लगभग 3 बजे फिर से वो शमीम रहमानी के घर आता है।

यहाँ इन दोनों में कुछ ऐसी बातें होती है कि अब लगने लगता है कि शमीम रहमानी और डॉक्टर गौतम का रिश्ता यहीं पर खत्म हो जाएगा। शमीम रहमानी इस रिश्ते को खत्म करने के लिए मान भी जाती है। मगर जब डॉक्टर गौतम आखिरी बार रहमानी के घर से निकलने लगता है तो शमीम रहमानी पीछे से उसे आवाज देती है और कहती है कल मुझे college का एक admission form भरना है. मेरी मदद करने के लिए तुम कल आखिरी बार आ जाना। उसके बाद तुम चाहो तो कभी मत आना.

Shamim Rehmani की ये बातें सुनकर doctor Gautam आने के लिए हामी भर देता है. इसके बाद वो यहाँ से निकलकर अपने hospital जाता है. यहाँ जरूरी काम खत्म करने के बाद अपने आला अधिकारियों को Doctor Gautam बताता है कि उसे ज़रूरी काम से civil hospital जाना है. दरअसल पहली बार तो doctor Gautam ने अपना transfer किसी तरह रुकवा लिया था. मगर जब Shamim Rahmani के साथ उसका रिश्ता बिगड़ने लगता है तो वो जानबूझकर transfer बलरामपुर hospital से civil hospital में करवा लेता है और वो इसी transfer से जुड़ी कागजी कार्यवाही करने के लिए civil hospital जाने की बात कह कर बलरामपुर hospital से निकल जाता है।

हालांकि वो civil hospital जाने की बजाय रात के लगभग साढ़े दस बजे शमीम रहमानी के घर पहुँचता है और दरवाजे पर दस्तक देता है। दरवाजे पर दस्तक की आवाज सुनते ही शमीम रहमानी घर से बाहर निकलती है और हवेली का पश्चिमी दरवाजा खोलती है जो drawing room से लगा हुआ था। drawing room से पश्चिम की ओर शमीम रहमानी का कमरा था। जबकि drawing रूम से पश्चिम की तरफ एक और कमरा था. जिसमें शमीम रहमानी के परिवार के दूसरे सदस्य रहते थे। शमीम रहमानी द्वारा दरवाजा खोलते ही डॉक्टर गौतम drawing रूम में दाखिल हो जाता है और यहीं पर शमीम रहमानी तथा डॉक्टर गौतम की लगभग 20 मिनट तक बातचीत होती रहती है।

ये बातचीत बहुत सामान्य नहीं थी क्योंकि बीच-बीच में दोनों एक दूसरे पर चिल्ला रहे थे और इस चीखने चिल्लाने की आवाज बाहर सोए घर के नौकर तक भी जा रही थी. इसी बहस के बीच ग्यारह बजे के आसपास घर के बाहर बरामदे पर सोए पड़ोसी कालिका प्रसाद को अचानक से दो गोली चलने की आवाज आती है. इसके अलावा इनका रामकृष्ण त्रिपाठी नाम का एक नौकर भी था. जो गोली की आवाज सुनते ही भागते हुए drawing room में आता है.

Drawing Room में आते ही वो देखता है कि doctor गौतम खून से लथपथ नीचे पड़े हुए हैं. उसके शरीर का आधा हिस्सा कमरे में है. जबकि आधा हिस्सा drawing रूम में है रामकृष्ण त्रिपाठी ये भी देखता है कि शमीम रहमानी दाहिने हाथ में बंदूक लेकर भागते हुए. दूसरे कमरे में जा रही है। किसी को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए इसी के बाद घर का एक सदस्य शमीम रहमानी के भाई आमिर अहमद के घर पर साइकिल से भागते हुए जाता है और डॉक्टर गौतम के मरने की जानकारी उसे देता है।

इसके बाद वो पास के कैसर बाग कोतवाली में जाता है और रात के लगभग डेढ़ बजे इस घटना की जानकारी पुलिस को देता है। मामले की जानकारी होते ही पुलिस भी मौके पर आ जाती है। क्यों ये एक बेहद ही high profile घराने का मामला था. इसलिए police वाले बहुत ही सावधानी के साथ सबूत इकट्ठा करते है. इसके अलावा गवाहों के बयान भी दर्ज किए जाते है.

जब Shamim Rahmani से पूछताछ की जाती है तो अब एक बेहद ही चौकाने वाला खुलासा होता है. Shamim Rahmani police पूछताछ में बताती है कि मैंने doctor Gautam को नहीं मारा है बल्कि हम दोनों एक दूसरे से प्यार करते थे और हम दोनों बहुत जल्द शादी करने वाले थे एक तरफ एक गवाह का बयान था कि गोली चलाते तो किसी को नहीं देखा मगर गोली चलने के बाद उसने बंदूक शमीम रहमानी के हाथ में देखी थी.

दूसरी तरफ शमीम रहमानी कहती है कि गोली उसने नहीं चलाई तो अब सवाल था कि आखिर गोली किसने चलाई. अब यहाँ पर इस case में entry होती है Shamim Rehmani के cousin brother Iqbal उद्दीन खान की. गोली की आवाज़ आने के बाद घर में जो दूसरे व्यक्ति को देखा गया था वो Iqbal Khan ही था. Iqbal Khan Shamim Rahmani से बहुत ज्यादा प्यार करता था और वो शादी भी करना चाहता था मगर Shamim डॉक्टर गौतम से शादी करना चाहती थी. इस खुलासे के बाद कहा जाता है कि जब रात के अंधेरे में शमीम रहमानी और डॉक्टर गौतम को इकबाल ने एक साथ देखा तो उसने अपना आपा खो दिया और गुस्से में आकर उसी ने डॉक्टर गौतम पर गोली चला दी जिससे उसकी मौत हो गई.

शमीम रहमानी के परिवार वाले भी इकबाल को ही मुल्जिम बताते हैं. मतलब पुलिस के पास अब डॉक्टर गौतम की हत्या के दो प्राइम सस्पेक्ट थे. मगर समस्या ये थी कि पुलिस के पास किसी के खिलाफ कोई पुख्ता physical evidence नहीं थे. पुलिस ने जो बंदूक जब्त की थी और दावा किया था कि उसी बंदूक से गोली चलाई गई है. forensic जाँच में सामने आता है कि काफी समय से उस बंदूक से कोई गोली चली ही नहीं है। ऊपर से उस बंदूक के trigger पर ना तो शमीम रहमानी का fingerprint था और ना ही इकबाल का.

अब पुलिस पर आरोप लगने लगते हैं कि पुलिस ने शमीम रहमानी के परिवार वालों के प्रभाव में आकर जानबूझकर अदालत में गलत बन्दूक पेश ताकि शमीम रहमानी को बचाया जा सके. इसके अलावा पुलिस पर कमजोर सबूत इकट्ठा करने का भी आरोप लगता है कोर्ट में ये भी साबित नहीं हो पाता है कि गोली शमीम के कमरे से चलाई गई या दूसरे कमरे से. डॉक्टर हरिओम गौतम का कातिल कौन है? इस बात को साबित करने के लिए लंबे समय तक केस की सुनवाई चलती रहती है, कई गवाह पेश किया जाता है और फिर लखनऊ हाई कोर्ट में भी इस मामले की सुनवाई होती है.

यहाँ से मामला finally सुप्रीम कोर्ट में जाता है, यहाँ सुप्रीम कोर्ट के सामने भी बहुत मजबूत physical evidence नहीं थे. मगर एक गवाही थी जो इस बात की ओर इशारा करती है कि गोली किसी और ने नहीं बल्कि Shamim Rahmani ने चलाई है. दरअसल गोली की आवाज करीब से सुनने वाले लोगों में Kalika Prasad भी शामिल थे. जब गोली चली थी तो Kalika Prasad Shamim Rehmani के घर के ठीक बाहर थे.

court में Kalika Prasad गवाही देते है कि गोली चलने की आवाज के तुरंत बाद वो एक आवाज सुनता है जो संभवत Shamim Rahmani की ही आवाज थी. Shamim Rahmani माँ से कहती हुई सुनाई देती है कि डॉक्टर ने मुझे धोखा दिया है। उसने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी है. इसलिए मैंने उसकी हत्या करके कुछ भी गलत नहीं किया है। कालिका प्रसाद आगे ये भी बयान देता है कि थोड़ी देर बाद शमीम रहमानी को ये कहते हुए भी सुना कि भैया ये बंदूक लो और मुझे भी मार दो। अब मैं और ज्यादा जीना नहीं चाहती हूँ।

कोर्ट रहमानी के इस extra judicial confession को एक अहम सबूत मानता है तथा circumstantial evidence के आधार पर supreme court द्वारा शमीम रहमानी को 1975 में डॉक्टर हरिओम गौतम की हत्या के जुर्म में उम्रकैद की सजा सुनाई जाती है. court में सुनवाई में ये भी साफ हो जाता है कि गोली भी किसी और ने नहीं बल्कि शमीम रहमानी ने ही चलाई थी. court के मुताबिक जब आखिरी बार यानी 11 जुलाई 1968 को doctor गौतम शमीम रहमानी से मिलने रात के लगभग साढ़े दस बजे उसके घर आता है तो यहाँ पर बीस से पच्चीस मिनट तक दोनों में लड़ाई होती रहती है.

फिर डॉक्टर गौतम बाहर निकलकर अपना स्कूटर start करके जाने लगता है. तभी एक बार फिर से शमीम रहमानी उसे आवाज देकर अंदर बुला जैसे ही डॉक्टर गौतम अंदर आता है. शमीम रहमानी एक गोली उसकी तरफ चलाती है. मगर किसी तरह डॉक्टर गौतम खुद को गोली से बचाने में कामयाब हो जाता है. हालांकि वो दोबारा जैसे ही खड़ा होता है, शमीम रहमानी दूसरी गोली चला देती है. जो सीधे डॉक्टर गौतम के माथे को चीरती हुई निकल जाती है.

माथे में गोली लगते ही डॉक्टर गौतम वहीं पर गिर जाता है और फिर वहीं पर उसकी मौत भी हो जाती है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा सजा दिए के बाद शमीम रहमानी को जेल भेज दिया जाता है. मगर कुछ ही समय बाद उत्तर प्रदेश के तत्कालीन गवर्नर चिन्ना रेडी द्वारा शमीम रहमानी को माफी दे दी जाती है और उम्र कैद की सजा पाने वाली शमीम रहमानी महज दो साल जेल में बिताकर वापस आ जाती है.

कमाल की बात तो ये थी कि एक तरफ राज्यपाल ने खुद शमीम रहमानी को माफी दे दी थी. ऊपर से तब के कई तत्कालीन सांसद ने शमीम रहमानी को माफी देने की मांग की थी. कथित तौर पर से बाहर आने के बाद शमीम रहमानी के पास बॉलीवुड में काम करने की कई offer आते हैं. मगर शमीम रहमानी ने उन offers को ठुकरा दिया और जेल से छूटने के कुछ ही समय बाद हमेशा-हमेशा के लिए लखनऊ को छोड़कर दिल्ली चली गई और एक गुमनाम जिंदगी जीने लगी।

इस case की सुनवाई के दौरान भी माहौल लगभग वैसा ही बन गया था। जैसा केएम नानावती केस की सुनवाई के दौरान देखने को मिला था। case की सुनवाई के दौरान अक्सर काफी भीड़ लग जाती थी. अखबारों में भी बड़े पैमाने पर इस case को cover किया जाता था। इसके अलावा विदेशी मीडिया ने भी इस case में खूब interest लिया था। लंबे अरसे तक शमीम रहमानी और डॉक्टर गौतम के प्यार के किस्से लखनऊ में चर्चा में रहे थे। मगर समय के साथ इस case की चर्चा भी खत्म होती गई। दोस्तों आपने कभी इस case के बारे में पहले सुना था या नहीं comment करके जरूर बताएं।

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