Story of Syria: सीरिया की कहानी: बेबीलोन से लेकर गृहयुद्ध तक, सीरिया, जो कभी सभ्यता का गढ़ था, आज संघर्ष और उथल-पुथल का प्रतीक बन चुका है। उसकी ज़मीन पर जहां कभी बेबीलोन और अमोराइट जैसी सभ्यताएँ फली-फूलीं, वहीं आज वह गृहयुद्ध और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के चक्रव्यूह में उलझा है। यह लेख सीरिया की ऐतिहासिक गहराइयों से लेकर उसके वर्तमान तक की कहानी को सामने लाने का प्रयास है।
Table of Contents
Story of Syria
सीरिया का प्राचीन इतिहास
सीरिया का इतिहास मेसोपोटामिया की प्राचीन सभ्यताओं से शुरू होता है। इस क्षेत्र को मानव सभ्यता के शुरुआती केंद्रों में से एक माना जाता है। लगभग 2400 ईसा पूर्व सुमेरियाई सभ्यता यहां प्रचुर धन-दौलत के साथ फली-फूली। बेबीलोन, जो आज इराक का हिस्सा है, उस समय सांस्कृतिक और व्यापारिक गतिविधियों का बड़ा केंद्र था। खुदाई के दौरान उर शहर में शाही मकबरे मिले, जिसमें सोने के गहने, औज़ार और हथियारों का खजाना देखा गया। इनसे यह पता चलता है कि यह क्षेत्र कितना समृद्ध और शक्तिशाली था।
अमोराइट्स का उदय और बेबीलोन साम्राज्य
सुमेरियनों ने अमोराइट जातियों को पिछड़ा और असभ्य कहकर खारिज कर दिया, लेकिन यही अमोराइट्स बाद में सीरिया और मेसोपोटामिया में समृद्ध शहरी राज्य स्थापित करने में सफल हुए। इतिहासकारों का कहना है कि इन राज्यों ने न केवल व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में बढ़त हासिल की, बल्कि बेबीलोन साम्राज्य की नींव रखने में अहम भूमिका निभाई।
एबला की खोज और प्राचीन सभ्यता के सबूत
1974 में एबला शहर के महलों की खुदाई ने दुनिया को हैरान कर दिया। यहां संग्रहीत हजारों मिट्टी की पट्टिकाओं (क्ले टैब्लेट्स) से पता चला कि इस क्षेत्र की सभ्यता कितनी समृद्ध और व्यवस्थित थी। इन पट्टिकाओं पर व्यापार, कानून, और दस्तावेज़ शामिल थे, जो यह दर्शाते हैं कि सीरिया का प्राचीन इतिहास कितना समृद्ध और व्यवस्थित था।
सीरिया पर रोमन साम्राज्य का प्रभाव
64 ईसा पूर्व में रोमन जनरल पॉम्पेई ने सीरिया को अपने साम्राज्य का हिस्सा बना लिया। रोमन शासन के दौरान सीरिया सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से फला-फूला। एंटीओक जैसे शहर बड़े व्यापारिक और सांस्कृतिक केंद्र बने। यह दौर सीरिया के लिए विकास का समय था, लेकिन यह उनका दम भी धीरे-धीरे घोंटने लगा।
ओटोमन साम्राज्य और यूरोपीय राजनीति
1517 से 1918 तक सीरिया ओटोमन साम्राज्य का हिस्सा रहा। ओटोमन शासकों ने “फूट डालो और राज करो” की नीति अपनाई, जिसमें कबीलों और समुदायों को विभाजित करते हुए सत्ता को साधा गया। इसके साथ ही, यूरोपीय ताकतों जैसे ब्रिटेन और फ्रांस ने अपने व्यापारिक हितों के लिए इस क्षेत्र में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया।
1916 का साइक्स-पिकोट समझौता मिडिल ईस्ट के लिए निर्णायक मोड़ साबित हुआ। यह एक गुप्त समझौता था, जिसने सीरिया और अन्य अरब क्षेत्रों को फ्रांस और ब्रिटेन के बीच विभाजित कर दिया। जमीन पर निवास कर रहे अरबों की भावनाओं को इस प्रक्रिया में नज़रअंदाज़ कर दिया गया, जिससे क्षेत्रीय असंतोष का जन्म हुआ।
सीरिया की आज़ादी की लड़ाई
प्रथम विश्व युद्ध के बाद, फ्रांस ने सीरिया पर कब्जा कर लिया। राजा फैसल का निर्वासन और फ्रेंच औपनिवेशिक शासन ने राष्ट्रवाद को जन्म दिया। 1925 का महान सीरियाई विद्रोह इस आंदोलन का अहम हिस्सा रहा। कई आंदोलन और विरोध प्रदर्शन के बाद, 1946 में सीरिया ने स्वतंत्रता हासिल की, और शुक्री अल-कुवतली देश के पहले राष्ट्रपति बने।
बाथ पार्टी और हाफ़िज अल-असद का उदय
1947 में अरब सोशलिस्ट बाथ पार्टी की स्थापना हुई, जिसने सीरिया में समाजवादी विचारधारा को बढ़ावा दिया। 1963 में इस पार्टी ने सत्ता संभाल ली, और कुछ ही वर्षों में हाफ़िज अल-असद जैसे नेता उभरे। 1970 में असद ने सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत की और सीरिया को एक सख्त सैन्य शासन में बदल दिया।
सीरिया के संघर्ष: हामा नरसंहार और सैन्य दबदबा
1982 में हामा शहर में मुस्लिम ब्रदरहुड के विद्रोह को कुचलने के लिए सीरियाई सेना ने हजारों नागरिकों को मार डाला। यह घटना असद शासन की क्रूरता का प्रतीक बन गई। इसके अलावा, 1967 में छह दिवसीय युद्ध के दौरान सीरिया ने गोलन हाइट्स पर अपनी पकड़ खो दी। यह सब घटनाएँ सीरिया पर बढ़ते बाहरी और आंतरिक तनाव को दर्शाती हैं।
बशर अल-असद और अरब स्प्रिंग
2000 में हाफ़िज अल-असद की मृत्यु के बाद उनके बेटे बशर अल-असद ने सत्ता संभाली। बशर ने सुधारों का वादा किया, लेकिन उनके शासन में असंतोष चरम पर था। 2011 में अरब स्प्रिंग ने सीरिया में विरोध की लहर पैदा की, जो जल्द ही गृहयुद्ध में बदल गई। देश कई गुटों में बंट गया – असद सरकार, विद्रोही समूह, आईएसआईएस, और कुर्द बल।
वर्तमान सीरिया: संघर्ष और मानव त्रासदी
सीरिया का गृहयुद्ध अंतरराष्ट्रीय शक्तियों के बीच एक प्रॉक्सी युद्ध बन गया। अमेरिका, रूस, और अन्य देशों की भूमिका ने संघर्ष को और जटिल कर दिया। लाखों लोग शरणार्थी बन गए, और सीरिया की पीढ़ियां इस संघर्ष में खो गईं। एक तस्वीर जिसमें चार साल की एक बच्ची ने कैमरे को बंदूक समझकर आत्मसमर्पण किया था, यह बताने के लिए काफी है कि इस लड़ाई ने कितनी मासूमियत छीन ली है।
सीरिया की कहानी से सीख
सीरिया के इतिहास को समझना आज की दुनिया में बेहद जरूरी है। यह दिखाता है कि गलत राजनीति, औपनिवेशिक विभाजन, और बाहरी हस्तक्षेप किस तरह एक समृद्ध देश को बरबादी के कगार पर धकेल सकते हैं। यह कहानी हमें यह भी याद दिलाती है कि मानवीय त्रासदियां सिर्फ आँकड़े नहीं होतीं; इनके पीछे लाखों लोगों के दर्द और संघर्ष छिपे होते हैं।
सीरिया का अतीत गौरवशाली था, वर्तमान संघर्षपूर्ण है, और भविष्य में शांति की उम्मीदें बनी हुई हैं। इस यात्रा को समझते हुए, हमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि इतिहास से सबक लेकर हम ऐसे हालात बनने न दें।
Leave a Reply