ब्रेड की असली सच्चाई, The Dark Reality of Bread, Brown Bread vs White Bread

Brown Bread vs White Bread

Brown Bread vs White Bread: कभी packet घुमाकर देखा है जिस bread को, जिस brown bread को आप healthy समझते हैं उसमें क्या-क्या डला हुआ है? आज के दिन दुनिया भर में ब्रेड एक बहुत ही common food item है? इसे हर कोई हर समय खाता है? इंडिया में कितने जरिए है इसे खाने के? ब्रेड-जैम, ब्रेड-गुलाब जामुन, ब्रेड-हलवा, ब्रेड-रोल, ब्रेड-पकोड़ा, ब्रेड-ऑम्लेट?

लेकिन सवाल यहाँ पर ये है कि इस ब्रेड के अंदर actually में डाला क्या हुआ है? और ये आपकी health के लिए सही है या हानिकारक है? व्हाइट ब्रेड और ब्राउन ब्रेड के बीच में क्या अंतर HAI? रोटी से इसे कैसे compare किया जा सकता है? आज के इस स्टोरी में आइए जानते हैं ब्रेड की सच्चाई को गहराई से. 

Brown Bread vs White Bread

Brown Bread vs White Bread

ब्रेड एक्चुअली में होती क्या है?

सबसे पहले बेसिक्स से शुरुआत करते हैं. ये ब्रेड एक्चुअली में होती क्या है? basicllay देखा जाए तो ब्रेड 4 मैन चीजों से बनती है. पहला आटा या मैदा, दूसरा पानी, आटा या मैदा में पानी मिलाकर डो बनाया जाता है. जैसे हम रोटी बनाते वक्त भी करते हैं। तीसरा नमक यानी सॉल्ट और चौथा यीस्ट। आप पूछोगे यहाँ पर नमक डालने का क्या पर्पस बना ब्रेड में.

तो नमक होने के तीन मेन कारण होते हैं। पहला ये है कि नमक एक नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट है। यह एक नेचुरल प्रेज़रवेटिव का काम भी करता है. जिसकी वजह से ब्रेड को ज्यादा देर तक store करके रखा जा सकता है। दूसरा ब्रेड का taste better हो जाता है थोड़ा नमक डालने से और तीसरा और most importantly नमक की वजह से जो gluten stands होते हैं वो ज्यादा मजबूत बनते हैं. 

आटा गूंदने को इंग्लिश में कहा जाता है needing the dough और जब आप ये करते हैं जो आटे के अंदर gluten मौजूद होता है वो साथ जुड़ने का काम करता है जिसकी वजह से ब्रेड या रोटी हो गई वो एक piece में बने रहते हैं और नमक डालने से ये gluten stands और मजबूत होते हैं। फिर आता है हमारा चौथा यानी ईस्ट।

यीस्ट basically दोस्तों single celled micro organisms होते हैं जो कि fungi ग्रुप में आते हैं. हिंदी में हम इन्हें खमीर कहते हैं। जब ये micro organisms आटे में मौजूद कार्बोहाइड्रेट्स के साथ react करते हैं तो 2 चीजें release होती हैं, ethanol और carbon dioxide. इस पूरे process को आपने स्कूल में पढ़ा होगा fermentation बुलाते हैं।

अब इस reaction में जो कार्बन डाइऑक्साइड के bubbles release होते हैं. वो actually में gluten stands में ट्रैप हो जाते हैं. जिसकी वजह से एक ब्रेड फूलती है। तो आप नोटिस करोगे जैसे फोटो में आपको कि कैसे ब्रेड के अंदर ये इतने सारे oval shape के. गोल शेप के bubbles type के दिखने लग रहे हैं. लेकिन इस reaction में ethanol भी release होती है और जैसा कि आप जानते हैं ethanol, alcohol ही होती है.

तो उस alcohol का क्या होता है? जब हम इस fermented आटे को अवन के अंदर डालते हैं, bake करना शुरू करते हैं, तो वो ethanol evaporate हो जाता है और ethanol के evaporation से bread और ज्यादा फूलने लगती है। यहाँ पर एक interesting fact ये है कि  सारा alcohol यहाँ पर evaporate नहीं होता है. कुछ trap रह जाता है। ब्रेड में अल्कोहल भी पायी जाती है.

Experiments on Bread

American Chemical Society ने साल 1920 में कुछ एक्सपेरिमेंट्स किए थे और उन्होंने पता लगाया कि 0.4 से लेकर 1.9 percent के बीच में अल्कोहल अक्सर ब्रेड में पाई जाती है। इससे कोई डरने की बात नहीं है. इतनी छोटी मात्रा में अल्कोहल से कुछ नहीं होगा आपको। in fact उन scientist ने observe किया था कि इतना बचा हुआ जो अल्कोहल होता है इससे ब्रेड का flavour ही enhance होता है यानी टेस्ट better होता है ब्रेड का इसकी वजह से.

तो ये है दोस्तों traditionally ब्रेड बनाने का तरीका। इसी तरीके का लोग सदियों से इस्तेमाल करते आ रहे हैं दुनिया भर में ब्रेड बनाने के लिए। 

साल 1857 Louis Pasteur ने fermentation के process की एक scientific understanding दुनिया को बताई थी. इसके बाद हमें पता चला कि fermentation actually में होती क्या है. लेकिन इससे पहले लोग इस process का इस्तेमाल करते आ रहे थे बिना पता हुए कि यहाँ पर हो क्या रहा है. अब यहाँ पर हमारी जो रोटी है और ये जो ब्रेड है इसमें सिर्फ दो चीजों का अंतर है. रोटी बनाते वक्त हम yeast और नमक का इस्तेमाल नहीं करते।

इसलिए रोटी फूलती नहीं है उस तरीके से जिस तरीके से ब्रेड फूलती है। पर दूसरा इसकी वजह से हम ज्यादा देर तक preserve करके नहीं रख सकते रोटी को. रोटी को खुली हवा में छोड़कर रखेंगे। एक दिन बाद वो खाने लायक नहीं बचेगी। तो क्योंकि रोटी फूलती नहीं है इसलिए हम इसे फ्लैट ब्रेड की category में डालते हैं। रोटी जैसी ही फ्लैट ब्रेड दुनिया भर में बहुत popular है.

मेक्सिको में आपको मेक्सिकन टोटियास मिलेंगे जो कि रोटी जैसे बहुत दिखते हैं। अक्सर टोटियास कोन से बनाया जाता है. रोटी को हम wheats से बनाते हैं। South East asian countries में ऐसी ही बहुत सारी फ्लैट breads आपको मिलेंगी। अफ्रीकन देशों में ऐसी फ्लैट ब्रेड आपको मिलेंगे। तो exactly ये idea किसको आया कि हम इस normal flat bread में yeast डाल देंगे जिससे कि ये फूल जाएगी।

historians के लिए ये चीज एक डिबेट का मुद्दा है. ये speculate किया जाता है कि इसका origin 4000 BC में हुआ था. Egypt में बैठा कोई बेकर अपनी traditional flat bread बनाने लग रहा था लेकिन उसने आटे को साइड पर रखा हुआ छोड़ दिया कुछ घंटे के लिए और हवा में wild yeast मौजूद थी जो उससे आके interact करने लग गई.

फिर जब उस बेकर ने इस आटे को अपने पुराने जमाने के ओवन में डाला तो वो फूलने लग गया. हैरान हो गए सब ये क्या होने लग रहा है. उन्होंने देखा कि खाने में और भी ज्यादा सॉफ्ट है मजा आ रहा है. फिर से इसे बनाने की try  करते हैं. उन्हें लगा कि को हवा में रख देंगे तो ऐसी bread बन पाएगी।

लेकिन ये chance की बात होती थी कि हवा में कोई वाइल्ड ईस्ट है या नहीं है। अक्सर नहीं मिलती थी उन्हें। फिर किसी ने देखा कि हम पुराने आटे का इस्तेमाल कर सकते हैं. जिसमें ईस्ट है उसे नए आटे के साथ में रख सकते हैं जिससे ईस्ट इधर से उधर चली जाए और वहाँ पे भी ईस्ट पहुँच जाए। इस तरीके से धीरे-धीरे इंसानों ने develop किया है ये ब्रेड बनाने का process. 

Baking as Art in History

आज से करीब 2000 साल पहले 300 BC में ancient Rome में baking को एक art माना जाता था. बड़ा ही respectable profession हुआ करता था baking.  Wheat को अफ्रीकन देशों से import किया जाता था. Algeria, Tunisia और Egypt के region से आज के दिन जो है और Rome में import करके उनसे bread बनाई जाती थी.

time में आगे चले तो कहा जाता है कि Christopher Columbus पहली बार इस bread के concept को America लेकर गए और India में ये yeast वाली bread सबसे पहले Portugues लोग लाए थे Pow के form में सही सुना आपने। Portugues लोग इसे सबसे पहले गोवा लेकर आए और फिर Mumbai में. 

यही कारण है कि आज के दिन तक मुंबई का बड़ा पाव बड़ा फेमस है। आगे टाइम में चलते रहे तो 1800 तक ब्रेड एक बड़ी और natural homemade चीज थी जो staple खाना बन चुकी थी. दुनिया भर के cultures में इसे हर दिन खाया जाता था. ब्रेड बनाने को एक बड़ा अच्छा profession माना जाता था और ब्रेड की एंट्री हमें देखने को मिली art में religion में और spirituality में भी.

इस फेमस painting को देखिए Jean Francois की जहाँ पर एक औरत ब्रेड बना रही है अपने घर पर. लेकिन फिर हमारी कहानी में एंट्री होती है दोस्तों industrial revolution की. Bread जैसा एक प्यारा home made खाना industry में बदल जाता है। commercialization की शुरुआत होती है Yeast से।

किसी ने कहा कि हम इस wild yeast का इंतजार नहीं कर सकते कि अपनी bread बनाने के लिए। हमें Yeast को किसी तरीके से trap करके रखना पड़ेगा ताकि जब चाहे हम इसे तब इस्तेमाल कर पाए। ऐसे बन के आया pressed yeast जिसे solid cubes में बेचा जाने लगा। साल 1867 में Vienna में कुछ bakers को credit दिया जाता है कि उन्होंने पहला pressed yeast बनाया।

आज के दिन इसे हम bakers yeast कहते हैं और आप packet में इसे खरीद भी सकते हैं। लेकिन फिर किसी ने सोचा कि हमें ये yeast चाहिए ही क्यों? हम इसका इस्तेमाल करते हैं एक गैस निकालने के लिए जिससे कि ये ब्रेड फूलती है। क्यों ना हम कोई और चीज इस्तेमाल कर रहे हैं ब्रेड को फुलाने के लिए और यहाँ पर एंट्री होती है दोस्तों सोडियम by carbonate की. जिसे हम baking सोडा कहते हैं। baking soda acid के साथ react करता है और उससे कार्बन dioxide release होती है जो कि ब्रेड को फुलाने का काम कर देती है।

लेकिन ये एसिड कहाँ से आता है? इस एसिड को डालने के लिए उन जमानों में लोगों ने कहा कि हम दूध का इस्तेमाल कर सकते हैं। butter milk का इस्तेमाल कर सकते हैं या कुछ lemon juice भी इसका काम कर सकती है. फिर किसी ने सोचा कि क्यों ना हम इस baking soda और acid को combine करके एक packet में बेचने लग जाए एक moisture free packet. जिसमें इस baking soda और ये कोई acidic substance डला है.

जैसे इसे पानी में डालोगे reaction शुरू हो जाएगा इन दोनों का तो ये भी चीज अच्छे से काम करी इसे बुलाया जाता है baking powde. baking powder में डला होता है baking soda plus कोई acidic चीज आपने Eno के बारे में तो सुना ही होगा। हम भटूरे बनाते वक्त आटे में Eno डाल देते है क्योंकि Eno में क्या होता है baking soda होता है और citric एसिड होता है। 

साल 1850s के around था कि पहली बार बेकिंग सोडा को बेचा जाने लगा और उसके कुछ सालों बाद बेकिंग पाउडर को बेचा जाने लगा। ये सबसे पहले chemicals थे जो ब्रेड में डाले जाने लगे. लेकिन इसके बाद जाकर था कि चीजें थोड़ी बिगड़ने लगी। साल 1873 में एडमिन लाख क्रॉयक्स ने स्विस स्टील रोलर को improve किया।

एक ऐसी मशीन बनाई इस आदमी ने जो बड़े efficient तरीके से गेहूं के अलग-अलग हिस्से को separate कर सकती थी। अब पहले आप ये देखिए दोस्तों कि एक wheat या गेहूं के एक दाने के अलग-अलग पार्ट्स होते हैं। सबसे पहले सबसे बाहर की layer को हम कहते हैं ब्रान जो ब्राउन कलर की दिख रही है, ज्यादातर nutrients, विटामिन्स और minerals इसी layer में होते हैं।

इसके नीचे आता है सबसे मोटा और सबसे बड़ा हिस्सा इसका जिसे endosperm कहते हैं। ये mostly starchy carbohydrate होता है, इसमें ज्यादा nutrients नहीं होते और इसके अंदर वाले पार्ट को फिर हम कहते हैं germs. 

अब जब हम whole wheat और refined wheat की बात करते हैं तो simply difference ये होता है कि जो बाहर की bran की outer layer है उसे निकाल दिया गया है। refined flour में बाहर की layer नहीं डली होती जो कि सबसे ज्यादा nutritious होती है. एक तरीके से वैसा ही हो गया जैसे कि जब आप एप्पल खा रहे हो आप जानते ही होंगे एप्पल में जो सबसे ज्यादा अच्छी चीजें हैं वो एप्पल के छिलके में होती है।

अब आप सारा छिलका काट के एप्पल खिला दो तो उतने nutrients नहीं मिलेंगे। आपको छिलका ही यहां पर सबसे healthy चीजें खानी है तो यही difference है यहां पर दोस्तों आटे और मैदा में भी. 

आटा whole wheat से बनता है और मैदा यहां पर refined wheat. अब इन भाई साहब की इस नई मशीन की वजह से साल 1873 के बाद बहुत आसान हो गया मैदा को बनाना। उससे पहले भी मैदा बनाई जाती थी लेकिन इतना आसान नहीं था। तो ये सबसे पहली नुकसान दायक चीज थी जो bread के इतिहास में हुई।

अब दूसरी चीज जो इसके बाद हुई वो और भी खतरनाक थी जो आटा गेहूं से निकलता है वो white color का बनता है जब वो oxygen के साथ react करता है atmosphere में. लेकिन इस reaction को होने में थोड़ा time लगता है तो आटे को जो white color है वो थोड़े time के बाद ही मिलता है. 

लेकिन industries में बैठी इन बड़ी-बड़ी companies के पास टाइम नहीं था उनके लिए time ही पैसा था वो अपने customers को appease करना चाहते थे ज्यादा से ज्यादा white flour दिखाकर और वो इंतजार नहीं कर पा रहे थे.

उस रिएक्शन के होने का तो उन्होंने क्या किया? आटे को जबरदस्ती वाइटेन करना शुरू किया चोक, alum और बोरेक्स जैसे chemicals डालकर 1898 में पहली बार bleaching agents आने लगे। नाइट्रोजन, पैराक्साइड, बेन्जोय पैराक्साइड, क्लोराइन, क्लोराइन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, ओझोन ये बड़ी-बड़ी कंपनियां ब्लीच करने लगी आटे को।

बस इसलिए क्योंकि ये चाहती थी कि ये consumers की आँखों में दिखे कि ये देखो हमारा जो आटा है, सबसे व्हाइट कलर का है। इसके patents file किए जाने लगे, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देशों में उस वक्त कई लोग थे. जो इसके सख्त against थे. उन्होंने देखा कि यहाँ पर क्या होने लग रहा है? कई leaders ने इसके खिलाफ आवाज उठाई जैसे कि अमेरिकन chemist harvey wiley जिन्होंने slogan दिया था save the bread, save the nation.

लेकिन जब बात कोर्ट में गई तो ब्रेड बनाने वाली companies ने argue किया कि ये जो nitrates और chemicals use करने लग रहे हैं ये इतनी ज्यादा मात्रा में इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं तो कोई इतना हार्मफुल नहीं होगा।

इसलिए आज के दिन तक अमेरिका में आटे की ब्लीचिंग करी जाती है। एक बड़ा ही फेमस केमिकल ब्लीचिंग एजेंट जो ये लोग इस्तेमाल करते हैं उसका नाम है पोटेशियम ब्रोमेट। सन 1916 में पहली बार पोटेशियम bromate का इस्तेमाल किया गया ब्रेड पर. इससे ब्रेड ना सिर्फ और ज्यादा व्हाइट होती थी बल्कि और ज्यादा फूलती भी थी.

लेकिन प्रॉब्लम ये है कि आज हम इस केमिकल को जानते हैं कि इससे किडनी problems हो सकती हैं और थायरॉर्ड कैंसर होता है चूहों में. यही reason है कि इस chemical को यूरोपियन यूनियन कनाडा, ब्राजील और चाइना में बैन किया जा चुका है. इंडिया का क्या है यहाँ पर मई 2016 में एक लैब स्टडी करी गई थी सेंटर for science and रिसर्च के द्वारा।

इन्होंने हानिकारक पोटेशियम ब्रोमेट और पोटेशियम आयोडाइट चेक करने के लिए 38 अलग-अलग ब्रेड सैंपल्स को टेस्ट किया। 84% सैंपल्स में पाया गया कि या तो ये एक या दोनों chemicals मौजूद थे। अच्छी खबर यहाँ पर ये है कि स्टडी के कुछ दिन बाद all इंडिया ब्रेड manufacturer association ने खुद से decide किया कि वो पोटेशियम ब्रोमेट और पोटेशियम आयोडेट का इस्तेमाल नहीं करेंगे ब्रेड बनाते वक्त। 

एक महीने बाद जाकर इंडियन गवर्नमेंट ने भी बैन लगा दिया पोटेशियम ब्रोमेट पर। पोटेशियम आयोडाइट को रेफर कर दी एक scientific panel को। इसके बाद इसे बैन किया गया या नहीं इसको लेकर कोई न्यूज़ आइटम नहीं मिल पाया unfortunately हमारे researcher को। shocking चीज लेकिन ये है कि अमेरिका के अंदर आज के दिन ये दोनों chemicals permitted है।

आप सोचो कि अमेरिका जैसे develop देश में कैसे हो सकता है? अमेरिका वही देश है दोस्तों जहाँ से chronic capitalism की शुरुआत हुई है। बहुत सारे ऐसे chemicals जो दुनिया भर के अलग-अलग देशों में ban किए जा चुके हैं।

अमेरिका में आपको हमेशा दिखेगा कि उन्हें इस्तेमाल किया जाता है अक्सर। अच्छा फिर आते हैं हम artificial preservatives पर. मैंने बताया था नमक को इस्तेमाल किया जाता है as a natural preservative.

इसके अलावा हम अदरक, garlic, honey, clothes, cinnamon इन सारी चीजों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं as natural preservatives ताकि खाना ज्यादा देर तक टिका रहे. आचार जब हम बनाते हैं तो वैसे आचार क्यों इतना ज्यादा दिन तक रखा जा सकता है क्योंकि उसमें ये natural preservatives डले होते हैं. जैसे कि नमक, ginger garlic. 

अब कुछ जगहों पर ब्रेड में भी ये natural preservatives डाले जाते हैं लेकिन पिछले 100 सालों में artificial preservatives बड़े popular हुए. 7 जुलाई 1928 को पहली बार अमेरिका में एक बेकरी में स्लाइसड ब्रेड को बेचा जाने लगा। अभी तक वैसे जब भी मैं ब्रेड की बात कर रहा था ये ब्रेड ऐसी दिखती थी.

लेकिन जब आप अपने दिमाग में ब्रेड की पिक्चर imagine करते होंगे तो आप ये sliced breads imagine करते होंगे। ये सिर्फ 1928 में ही था कि इसे पहली बार बेचा गया, बनाया गया और इसका एक बहुत बड़ा नुकसान था. नुकसान ये था कि ये बहुत आसानी से बासी पड़ जाती थी, तो release होते ही ये ब्रेड एक बहुत बड़ी फ्लॉप रही।

लेकिन अगले कुछ सालों में धीरे-धीरे और preservatives का जब इस्तेमाल किया जाने लगा। shape में improvements हुई तो लोगों को ये slice bread और पसंद आने लगी। साल 1943 में अमेरिका ने एक बैन लगाया था slice ब्रेड के ऊपर ताकि स्टील बचाया जा सके.

लेकिन उस point of time तक लोगों को ये slice bread इतनी पसंद आने लग चुकी थी कि लोगों ने protest करना शुरू कर दिया। उसके against दो महीने बाद इस बैन को हटाना पड़ा। न्यूयॉर्क टाइम्स पर headline छपी slice bread put back on sales, housewives thumbs safe again. सबसे बड़ा reason यहाँ पर यही था. आप देख सकते हो headline से convenience जो बड़ी-बड़ी ब्रेड पहले मिलती थी. उन्हें काटना पड़ता था. बहुत मेहनत लगती थी उस ब्रेड को काट के रखने में। slice bread का मतलब था कि ब्रेड निकाली और खा लिया।

अब सीधा फास्ट फॉरवर्ड करते हैं, आज के जमाने में और एक typical ब्रेड को investigate करके देखते हैं कि उसके अंदर क्या-क्या ingredients मौजूद हैं। पिछली बार की तरह मैं ये assume कर रहा हूँ कि किसी भी कंपनी ने झूठ नहीं बोला है. जो चीज सच-सच है वो अपने ingredient list में लिख दी है। तो घुमाइए packet को और ये देखिए एक typical white bread के पीछे क्या लिखा हुआ है?

सबसे पहले लेबल पर है refined wheat flour 53% यानी मैदा। मैदा जैसे मैंने बताया गेहूं के छिलके को काटकर जब गेहूं पिसे जाते है तो उससे मैदा बनती है। अब बात क्या है छिलके में जो फाइबर मौजूद होता है वो आपके ब्लड शुगर को स्टेबल रखने में मदद करता है बिना छिलके के. जो इस मैदा के गेहूं के अंदर carbohydrates होते है वो बड़ी जल्दी आपकी ब्लड steam में sugar के form में release होते है और एक sugar spike आपको देखने को मिलती है वो insulin spike होता है।

इसे एक दो बारी खाने से तो कुछ नहीं होगा लेकिन साल भर साल अगर आप मैदा का एक खाते रहेंगे तो आपकी बॉडी में insulin resistance हो जाएगी जिससे eventually बाद में जाकर आपको type 2 diabetes हो सकती है। लेकिन यहाँ पर short term में भी एक बुरा असर है। आपका जो bad cholesterol होता है वो मैदा खाने से बढ़ जाता है।

खाने की ज्यादा craving होती है आपको और mood swings भी आपको देखने को मिलते हैं। वैसे ये अलग-अलग खाने से आ रही sugar spikes को manage करना अपने आप में ये एक बहुत बड़ा topic है. इस पर बहुत detail में बात करी जा सकती है। क्योंकि इन sugar spikes को effectively manage करने से ही आप अपनी थकान दूर कर सकते हैं। आप ज्यादा energies feel कर सकते हैं दिनभर। 

दूसरा ingredient यहाँ पर है sugar. sugar यानी added sugar extra add किया गया है उसे ऐसा नहीं है कि वो naturally मौजूद है यहाँ पर. जैसा कि आपको सबको पता है कि हमारी body को कोई भी added sugar की जरूरत नहीं है तो जितनी ज्यादा आप sugar avoid कर सको, added sugar avoid कर सको उतना ज्यादा अच्छा है आपके लिए by comparison natural sugars जो आपको fruits, फल, milk, grains यहाँ पर मिलेंगी ये sugars आपके लिए healthy होती है. 

इसके बाद अगले ingredients पर. यहाँ पर आते हैं नमक और Emulsifier-481. अब नमक में सोडियम होता है और इस Emulsifier-481 में और भी ज्यादा सोडियम होता है। अगर आप access amount में सोडियम consume करेंगे तो आपको high ब्लड प्रेशर हो सकता है। लेकिन कितना ज्यादा सोडियम बहुत ज्यादा होता है। अब ब्रेड के पीछे देखेंगे तो आपको दिखेगा कि इस ब्रेड के 100 ग्राम में 497 मिलीग्राम sodium है। 

आमतौर पर लोग 4 से 5 slices खाते हैं ब्रेड की. एक टाइम पर उन slices का वजन around 200 grams हो गया. इस ब्रेड को 30 ग्राम बटर के साथ खाएंगे तो वहां से 250 मिलीग्राम सोडियम और ऐड हो गया. ये होता है दोस्तों आपकी daily requirement का आधा. daily requirement के अगर आप नीचे रहोगे तो safe है. 

अच्छा है लेकिन ध्यान में रखने वाली चीज है ये 4-5 slices ब्रेड के आपने बटर के साथ खाए तो आपकी आधी daily requirement पूरी हो जाती है. research हमें बताती है कि अमेरिका में जो dietary sodium है उसका top contributor actually में ब्रेड ही है तो इतनी ब्रेड अगर आप खा रहे हो तो अपने बाकी खाने में नमक पर थोड़ा ध्यान दीजिये।

अगला ingredient लिस्ट में आता है class two preservative e-282. इसका मतलब है कैल्शियम propionate. जून 2019 में एक स्टडी पब्लिश करी गई थी इंटरनेशनल journal of molecular epidemiology and genetics में जिसमें बताया कि ये chemicals specifically allergies cause कर सकता है, intolerances हो सकती है और स्किन rashes और migraine headaches आ सकते हैं। 

इससे पहले एक और स्टडी करी गई थी अगस्त 2002 में जिसे journal of paediatrics and child health में publish किया गया था। जिसमें बताया कि बच्चों को अगर ये preservative वो daily consume करें। उन्हें irritability हो सकती है, वो ज्यादा irritated feel करेंगे, restless होएंगे और attention span पे उनके effect पड़ेगा।

इसके बाद है acidity regulator e 270 जो कि lactic acid होता है और antioxidant e 300 जो कि ascorbic acid होता है। ये दोनों generally recognize किए जाते हैं कि safe हैं और permitted for use हैं ज्यादातर जगहों में। 

ये status है आज के दिन का as per existing research. अब आप बोलोगे कि मैं कितना cynical होकर बात कर रहा हूँ कि existing research थोड़ा positive sense में भी तो मैं सोच सकता हूँ कि कुछ हानिकारक ना हो इसमें. सही बात है आपकी लेकिन जो इतिहास हमें बताता है उससे तो यही पता चलता है कि chance यहाँ पर fifty-fifty type का है कि कोई chemical और कोई preservative बाद में health के लिए हानिकारक निकल जाए.

जरा उन लोगों के बारे में सोचकर देखिए जो 1970-80s  में रहते थे वो potassium bromate जैसे chemical को अपनी पूरी जिंदगी खाते हुए आए और बाद में एक दिन जाकर उन्हें पता लगता है कि ये तो health के लिए कितना हानिकारक है. 

यूरोपीय food safety authority की वेबसाइट को देखिए। पिछले ही साल एक बड़ा common फ़ूड कलर ई-117 बैन किया गया. उन लोगों के बारे में सोचिए जो इस फ़ूड item को अपनी पूरी जिंदगी खाते आ रहे हैं. जिसमें ये फ़ूड कलर डला हुआ था। उन्हें अब आकर पता चलता है कि भाई अब तो हमारी सरकार ने इसे बैन कर दिया है।

ये सिर्फ एक example है ऐसे बहुत से substances हैं जो साल भर साल बैन होते रहते हैं और यहाँ पर सबसे strict regulations मैं कहूँगा यूरोपियन फ़ूड सेफ्टी authority की ही है। लेकिन अमेरिका की भी जो food regulation authority है वो भी टाइम to टाइम बहुत से हार्मफुल chemicals को ban करती रहती है।

एफडीए की वेबसाइट में देखिए, एफडीए remove seven synthetic flavoring substances from food एंड टिप्स लिस्ट. इन्हें क्यों हटाया गया? एफडीए कहती है क्योंकि data और research ने हमें दिखाया कि in synthetic substances को जब जानवरों पर इस्तेमाल किया जाता है तो उन्हें कैंसर हो जाता है। ये सोचकर आपके दिमाग में जरूर आएगा कि अब तक जो खिलाया गया है हमें उसका क्या? 

इस पर कोई बात नहीं करता है। ना ही किसी को accountable ठहराया जाता है इन चीजों को लेकर। सरकारों के तरफ से ऐसा ही कहा जाता है कि भाई जो खा लिया उसका कुछ नहीं हो सकता वो खा लिया तुमने। अब आगे से मत खाना और जैसा मैंने बताया अक्सर एक देश की सरकार किसी चीज को ban करती है. दूसरे देशों में वही चीज allowed होती है।

Banned Bread! Why does the US allowed additives that Europe says are unsafe. The Guardian के article को देखिए food additive or carcinogen. the growing list of chemicals banned buses but used in US India Times dot com का article ever wonder how many food editives Indians consume that are banned in other countries. 

इन गिने-चुने article के अलावा mainstream मीडिया में ये चीजें कभी कवर नहीं की जाती। ऐसा कैसे हो सकता है जिस चीज को यूरोप में बैन किया गया है खाने के लिए उसे इंडिया में और अमेरिका में खाने दिया जा रहा है लोगों को. Anyways बात करते हैं ब्राउन ब्रेड की कुछ लोग कहते हैं कि चलो व्हाइट ब्रेड की जगह ब्राउन ब्रेड खा लेते हैं वो ज्यादा healthy होती है।

main difference ब्राउन ब्रेड में ये है कि मैदा की जगह whole wheat flower का इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन इस famous ब्राउन ब्रेड के packet के पीछे आप देखेंगे तो आपको दिखेगा कि यहाँ पर whole wheat flour इस्तेमाल किया गया है 53% लेकिन बाकी ingredients को देख सकते हैं कि कितने preservatives डाल रखे हैं artificial.

एक बड़ी फेमस कंपनी की ये ब्राउन ब्रेड है जिसमें बड़ी interesting चीज देखने को मिलती है। सबसे पहले ingredient लिखा हुआ है wheat flour 32% उसके बाद लिखा हुआ है refined wheat flour यानी मैदा यानी ब्राउन ब्रेड में ये मैदा भी डाल रहे हैं और आटा भी डाल रहे हैं और फिर इसे ब्राउन ब्रेड कहने लग रहे हैं।

चीटिंग करता है तो अब ये लोग कंपनी वाले कहेंगे कि देखो हमने तो नहीं कहा कि ब्राउन ब्रेड का मतलब है completely 100% whole wheat bread और सबसे कमाल की चीज ये लोग क्या करते हैं ब्राउन ब्रेड को और ब्राउन बनाने के लिए artificial कलर add कर देते हैं food पर।

e150, ae150, be150, cd. ये सारे caramel के कलर types हैं। caramel वही चीज है जिससे कई cold drinks में भी डाला जाता है जिससे कि इन cold drinks का brown कलर आ जाए। कई caramel की coloring में cancer substances produce होते हैं और petition भी डाली गई थी USA FDA के सामने। दो type की caramel coloring को ban करने के लिए।

इसकी detail में मैं दोबारा बात नहीं करूँगा। caramel की भी बात मैंने cold drinks वाले video में करी थी। इसके बाद एक company अपनी bread को advertise कर whole wheat bread कहकर। ingredients में कोई मैदा नहीं डाली गई है। लिखा है wheat flour 52%. 52% का मतलब क्या है भाई? बाकी 48% में क्या डला हुआ है? कोई explanation नहीं दे रखी है इन्होंने और वो जो बाकी केमिकल्स हैं यहाँ भी आपको मिल जाएंगे।

अब आप में से कुछ लोग बड़े परेशान और confused हो रहे होंगे कि पहले मैंने कोल्ड ड्रिंक्स को बुरा कहा. अब मैं ब्रेड जैसी चीज को बुरा कहने लग गया हूँ और ये artificial कलर्स preservatives को कितनी चीजों में डले हैं तो भाई हम खाएं क्या? सब कुछ खाना छोड़ दें। मैं imagine कर सकता हूँ आपके लोगों के दिमाग में पक्का यही चीज आ रही होगी।

ये बात सच है कि ये जो artificial preservatives colors हैं ऐसी चीजें बहुत सारे हमारे food items में आपको मिल जाएंगी। लेकिन यहाँ पर healthy खाना क्या है? ये जानना इतना मुश्किल नहीं है और बहुत सारी healthy choices आपके पास actually में available है. breakfast में आप दलिया खा सकते हैं for example जो कि actually में whole grains से बनता है।

उसे दूध में cook करके खा सकते हैं या oats खा सकते हैं। oats को दूध में मिलाकर खा सकते हैं जो कि फिर से whole grains हैं, healthy grains हैं. oats को आप vegetables के साथ खा सकते हैं. बाजरे की खिचड़ी खा सकते हैं. आप दही के साथ fruits खा सकते हैं. नाश्ते में बादाम, अखरोट, casual nuts जैसी nuts खा सकते हैं. इन सबके साथ sprouts भी एक बहुत अच्छा option होते हैं. हमारा traditional इडली सांभर खा सकते हैं आप highly nutritious breakfast है वो. 

ये जो सारे खाने के options मैंने आपको बताए healthy options है. आप जानते हैं इन सब में क्या चीज common है. ये सब घर में बना हुआ खाना है। जो चीज आप घर में fresh बनाते हैं। raw ingredients से बनाते हैं उनमें आपको ये artificial preservatives और colors डालने की जरूरत नहीं पड़ती। तो ये घर में बनाई हुई चीजें इसलिए हमेशा healthy होती है। ये नहीं कह रहा कि सारा घर का बनाया हुआ खाना healthy होता है.

obviously अगर आप बहुत ज्यादा butter डालोगे fry करोगे चीजों को जैसे भटूरे खाओगे वो कोई healthy नहीं होते इतने लेकिन फिर भी आप में से कुछ लोग insist करेंगे कि नहीं भाई मुझे तो ब्रेड ही खानी है. ब्रेड में कौन-सी ब्रेड अच्छी है। तो अगर आपको ऐसा लगता है कि ब्रेड ही खानी है तो उस traditional तरीके पर वापस आ जाइए जिसकी बात मैंने स्टोरी के शुरू में करी थी.

historically industrialization से पहले जैसे ब्रेड को बनाया जाता था वो एक healthy तरीका था ब्रेड बनाने का। अब इस category में आप अपनी रोटी को भी include कर सकते हो. बाजरे की बनाओ, चने के आटे की बनाओ, गेहूं के आटे की बनाओ। खुद से घर में बनाओगे तो आपको कोई chemicals add करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

obviously ये ज्यादा healthy option है। लेकिन ये flat bread हुई. अगर लेकिन आपको normal फूली हुई ब्रेड खानी है तो वो भी आप अपने घर में बना सकते हो। कई इंटरनेट पर recipes आपको मिल जाएंगी। एक ये बड़ी अच्छी step by step recipe है निशा मधुलिका के द्वारा। और अगर आप वो commercially packet yeast भी नहीं खरीदना चाहते तो आप ancient dips की तरह ब्रेड बना सकते। 

wild yeast bread जिसे sound of bread भी कहा जाता है ये वाली बनाने में patience जरूर लगेगा थोड़ा। इसके लिए एक अच्छी recipe है पार्थ बजाज के द्वारा ये दोनों videos आप देख सकते है. अगर आपको घर में अपने traditional तरीके से वो वाली bread बनानी है फूलने वाली तो इसके अलावा अगर आपके पास option है किसी local bakery से bread खरीदने का तो वो भी एक अच्छा option हो सकता है. इंडिया में ज्यादा ऐसी ब्रेड खरीदने के लिए लोकल बेकरी शायद आपको मिलेगी नहीं क्योंकि यूरोप में ज्यादा common है. इस तरीके की ब्रेड बनाना specially ये जो ब्रेड होती है. 

लेकिन फिर भी आप इनसे कोई ब्रांड मैं आपको बता दूँ तो आप ingredient list check कर सकते हैं और एक ब्रांड जो सबसे ठीक लगता है दिखने में वो है अक्षय कल्प organic. इनकी अब ingredients list चेक करेंगे तो यहाँ पर इन्होंने claim किया है कि hundred percent whole wheat flour है. कोई मैदा नहीं कोई preservatives नहीं, कोई chemical agents नहीं।

genuinely research करते हुए पता लगा है कि अलग-अलग companies की ब्रेड के पीछे ingredient list check करो और किन में क्या-क्या डला है। तो ये थी दोस्तों आपके ब्रेड की असली सच्चाई। यहाँ पर एक चीज मैं आपको कहना चाहूंगा, एक बड़ी सिंपल चीज याद रख लीजिए। अगर सुनकर बहुत confusion हो रहा है, क्या healthy है, क्या नहीं healthy है?

ज्यादातर चीजें जो आप दुकान से खरीदते हैं, खाने की जिन्हें हफ्तों तक, महीनों तक स्टोर करके रखा जा सकता है. उन सब में किसी ना किसी तरीके के preservatives और chemicals डले होते हैं. तभी वो इतने टाइम तक स्टोर करी जा सकती है। उस टाइप के खाने को हमेशा avoid करने की कोशिश कीजिए।

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