साइनाइड मोहन, एक ऐसा नाम जो कभी एक साधारण शिक्षक था, लेकिन आज भारत के सबसे खतरनाक सीरियल किलर्स में से एक के रूप में जाना जाता है। मोहन कुमार ने 2003 से 2009 के बीच कर्नाटक में 20 से अधिक लड़कियों की हत्या की। उसकी कहानी डरावनी है, लेकिन उसकी चालाकी उसे और भी खतरनाक बनाती है। आइए जानते हैं, इस अपराध की पूरी दास्तान।
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Serial Killer Cyanide Mohan
एक साधारण शिक्षक से सीरियल किलर बनने का सफर
मोहन कुमार का जन्म 6 अप्रैल 1963 को कर्नाटक के एक गरीब परिवार में हुआ। पढ़ाई-लिखाई में अच्छा था, और 1984 में सरकारी स्कूल में शिक्षक बन गया। उसके जीवन में सब सामान्य लग रहा था, लेकिन उसके अंदर छिपा एक खूनी इंसान धीरे-धीरे बाहर आने लगा।
मोहन कुमार ने शादी की, लेकिन निजी जीवन में असफलता और लालच उसे अपराध की ओर ले गई। उसने दो बार शादी की, और गुपचुप तरीके से तीसरी शादी भी की। लेकिन असल में वह अपना असली चेहरा सबसे छिपा रहा था।
मोहन कुमार का अपराध कैसे सामने आया?
2009 में कर्नाटक के बारीमर गांव की रहने वाली 22 वर्षीय अनीता अचानक गायब हो गई। अनीता का शव हासन के बस स्टैंड के लेडीज टॉयलेट में मिला। उसके शरीर में साइनाइड का जहर पाया गया। मामला आत्महत्या जैसा लगा, लेकिन यह सवाल खड़ा हुआ कि अनीता ने अपने गांव से 160 किलोमीटर दूर जाकर क्यों आत्महत्या की होगी?
पुलिस को उसके फोन की जांच में ऐसे सुराग मिले, जो उसे साइनाइड मोहन तक ले गए।
- फोन कॉल्स का जाल: अनीता के फोन से मिला नंबर कावेरी नामक लड़की के भाई श्रीधर का निकला। कावेरी भी गायब थी।
- संदिग्ध नंबर: पुलिस ने कावेरी, विनता, और पुष्पा के कॉल रिकॉर्ड्स की जांच की। तीनों लड़कियां गायब थीं।
- आईएमईआई नंबर का सुराग: सभी गायब लड़कियों के सिम कार्ड का इस्तेमाल एक ही मोबाइल में हो रहा था।
कैसे गायब करता था लड़कियों को?
मोहन कुमार शादी का झांसा देकर लड़कियों को फंसाता था। वह खुद को उनकी जाति का और एक दहेज विरोधी सरकारी अधिकारी बताता। इस बहाने वह लड़कियों को उनकी ज्वेलरी लेकर घर छोड़ने को कहता।
लड़कियों को होटल ले जाकर वह पहले उनके साथ रात गुजारता और फिर उन्हें शादी का वादा करता। शादी के पहले वह कहता कि गर्भ निरोधक गोली लेनी होगी। इन गोलियों में असल में साइनाइड होता। वह उन्हें यह गोली टॉयलेट में जाकर लेने को कहता और लड़कियां वहीं दम तोड़ देतीं।
साइनाइड मोहन की गिरफ्तारी
पुलिस ने एक गवाह, सुमित्रा, की मदद से मोहन को पकड़ने का प्लान बनाया। सुमित्रा से फोन करवाकर मोहन को मिलने बुलाया गया। जब मोहन आया, तो पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
पूछताछ में मोहन ने अपने सारे जुर्म कबूल कर लिए। उसने बताया कि साइनाइड वह सोना साफ करने के बहाने खरीदता था और इसी का इस्तेमाल लड़कियों की हत्या में करता था।
कब और कैसे दिया गया सजा?
2009 में गिरफ्तारी के बाद मोहन कुमार पर कई मामलों का मुकदमा चला। 2013 में उसे मौत की सजा दी गई। लेकिन 2017 में हाईकोर्ट ने इसे उम्रकैद में बदल दिया।
पुलिस रिकॉर्ड्स के मुताबिक, उसने कम से कम 20 लड़कियों की हत्या की। माना जाता है कि यह संख्या इससे कहीं ज्यादा हो सकती है।
निष्कर्ष
साइनाइड मोहन की कहानी दिखाती है कि कैसे लालच और भ्रम कितने भयानक अपराधों को जन्म दे सकते हैं। वह आजीवन जेल में बंद है, लेकिन उसके शिकार परिवारों का दर्द कभी समाप्त नहीं होगा।
क्या आप मानते हैं कि मोहन कुमार को जो सजा मिली, वह पर्याप्त है? अपनी राय हमें कमेंट में बताएं।
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