पानी बेचकर खड़ा किया 60 बिलियन की कंपनी, Water Company Bisleri Success Story, दवा बनाने वाली एक कंपनी, जिसने बोतल में बंद पानी बेच दिया, लोगों ने कहा था पागल

Water Company Bisleri Success Story: जब लोग आपको कॉपी करने लगे तब समझ जाइए आप successful हो गए हैं। ठीक उसी तरह जिस तरह बिस्लेरी सफल हो चुकी है। आज अगर आप बिसलेरी की बोतल खरीदने जाते हैं तो आपको अपनी आंखें खुली रखनी पड़ती है।

क्योंकि आपके हाथ में पड़ने वाली बोतल बिसलेरी की जगह कई अजीबोगरीब नाम वाले लेकिन बिस्लेरी जैसी बोतल ही मिल जाती है, जैसे वेल्सरी, बिल्सेरी या फिर बिस्लार। ये आज हम इसी Bisleri की बात करने जा रहे हैं, जिसने India में लोगों को पानी खरीदकर पीने वाली आदत लगवाई और वो भी ऐसे कि आज पानी की pureness का दूसरा नाम Bisleri ही होता है.

Water Company Bisleri Success Story

Bisleri Success Story

इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कैसे Bisleri ने भारतीय बाजार को एक तरह से अपने कब्जे में ले रखा है तो आप पढ़ते रहिए हमारे इस आर्टिकल के end तक.

बिसलेरी का शुरूआती साल 

Bisleri की कहानी शुरू होती है Mumbai से वही Mumbai जिसे आज आप भारत की आर्थिक राजधानी कहते है. लेकिन Mumbai के ठाणे से शुरू हुआ बिसलेरी water plant भले ही देसी हो, लेकिन बिसलेरी नाम और कंपनी पूरी तरह से विदेशी थी और तो और ये कंपनी पानी बेचती भी नहीं थी. ये बेचती थी मलेरिया की दवा और इस मलेरिया की दवा बेचने वाली बिसलेरी कंपनी के फाउंडर थे, एक इटालियन बिजनेसमैन जिनका नाम था फेलिस बिसलेरी।

फेलिस बिस्लेरी (Felice Bisleri) के एक family डॉक्टर हुआ करते थे। जिनका नाम था डॉक्टर रोजिज (Doctor Rosis)। रोजिज़ पेशे से तो डॉक्टर थे लेकिन दिमाग उनका पूरा busiman वाला ही था. कुछ अलग करने की सनक उनमे शुरू से थी.

ये साल 1921 था, जब बिस्लेरी के मालिक फेलिस बिस्लेरी इस दुनिया को अलविदा कह गए और उनके पीछे छूट गई बिसलेरी कंपनी। बिसलेरी कंपनी को नए मालिक के रूप में मिले Doctor Rosis. Doctor Rosis के एक बड़े अच्छे दोस्त हुआ करते थे, जो भारत के पारसी परिवार से थे और जो पेशे से वकील और बिसलेरी कंपनी के legal advisor भी थे। उसका एक बेटा था खुशरू संतुक (Khushroo Santook). खुसरो अपने पिता की तरह ही वकालत करना चाहते थे। इसलिए तो उन्होंने गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से लॉ की पढ़ाई पूरी की. लेकिन उन्हें क्या पता था उनके पिता के दोस्त का एक आईडिया उनकी जिंदगी बदल देगा।

आजाद भारत में बिसलेरी 

भारत अभी-अभी आजाद हुआ था और देश में नए किस्म के व्यापार की डिमांड बढ़ रही थी. रोजिज के व्यापारी दिमाग ने इस बीच एक बिजनेस आइडिया खोज निकाला। उन्होंने सोचा पानी का बिजनेस आने वाले दिनों में काफी सफल हो सकता है. हालांकि औरों के लिए ये सोच ठीक वैसी ही थी जैसे आज के समय में कोई कहे उसे ताजी हवा को packet में बंद करके बेचना है. इसके बावजूद डॉक्टर रोजीज ने इस बिजनेस में वो देखा जो किसी को नहीं दिख रहा था। उन्होंने अपने इस बिजनेस आइडिया पर खुशरू संतुक को मनाकर उनका समर्थन ले लिया। अब डॉक्टर रोजीज के आईडिया को जमीन नसीब हुई 1965 में। यही वो साल था जब खुशरू संतुक ने मुंबई के ठाणे इलाके में पहला बिस्लेरी water plant लगाया था। हालाँकि खुसरू को उनके इस फैसले के लिए लोगों ने पागल तक घोषित कर दिया था। आम लोगों के नजरिए से देखा जाए तो उन दिनों भारत जैसे देश में पानी बेचने का idea किसी पागलपन से कम नहीं था।

शुरू में अमीरों का पानी था बिसलेरी

हाल ही में आजाद होकर बन चुके इस देश की आधी से ज्यादा जनता अपनी दो वक्त की रोटी के जुगाड़ में जुटी रहती है। ऐसे में भला उन दिनों कोई एक रूपए में पानी की बोतल खरीद कर क्यों पीता। आज बिसलेरी की water bottle बीस रुपए में आराम से बिकती है। लेकिन तब इसकी एक रुपए की कीमत भी बहुत ज्यादा थी. ऐसे में लोग खुसरू को पागल ही कह सकते थे। लेकिन डॉक्टर रोजिज ने बहुत दूर की सोची थी. दरअसल उन दिनों में मुंबई में पीने के पानी की quality बहुत ही ज्यादा खराब थी। गरीब और आम आदमी तो किसी तरह इस पानी को पचा लेता था। लेकिन अमीरों के लिए ऐसा पानी पचा पाना बड़ा मुश्किल हो गया था। ऐसे में अमीर लोगों के लिए ये पानी किसी अमृत से कम नहीं था। ये वजह थी कि बिसलेरी के मालिक डॉक्टर रोजिज बिसलेरी water business की सफलता को लेकर पूरी तरह निश्चित थे। लेकिन अभी काम पूरा नहीं हुआ था। क्योंकि ये पानी अमीरों तक कैसे पहुंचेगा? ये बात अभी तय नहीं थी।

लेकिन अब शुरुआत हुई और Bisleri water और Bisleri soda के साथ Bisleri company ने Indian market में कदम रखा. शुरुआती दिनों में Bisleri के ये दोनों product केवल अमीरों की पहुँच पर ही सीमित थे। और five star hotels और महंगे restaurant में मिलते थे. क्योंकि उन्होंने ये समझ लिया था कि अमीर लोगों को यहीं से इस Bisleri की आदत लगवा सकते हैं। लेकिन company ये भी जानती थी कि अपने products को सिर्फ एक class के लोगों तक सीमित रख के सफलता नहीं मिलेगी। इसलिए कंपनी ने धीरे-धीरे अपने products को आम लोगों तक पहुंचाना शुरू किया। आम लोगों की पहुंच तक आने के बाद भी ज्यादातर लोग इस कंपनी का सोडा खरीदना ही पसंद करते थे। यही वजह रही खुशरू संतुक को पानी का बिजनेस कुछ खास नहीं जमा। इसलिए अब वो इस ब्रांड को बेचने का मन बनाने लगे। यानी कि वो अब पानी का कारोबार बंद करना चाहते थे।

पार्ले कंपनी कैसे बनी बिसलेरी का मालिक 

खुशरू संतुक की बिसलेरी कंपनी बेचे जाने की खबर पुरे इंडियन बिजनेस वर्ल्ड में जंगल की आग की तरह फैल गई। और इसी तरह ये खबर पहुंची पार्ले कंपनी के कर्ता धर्ता चौहान brothers के पास। वहीं पारले बिस्किट जिसमें जी आता है. बस फिर क्या था बिसलेरी water plant की शुरुआत के केवल चार साल बाद यानी 1969 में बिसलेरी को रमेश चौहान ने चार लाख रुपए में खरीद लिया। इसके बाद देशभर में अपने पांच स्टोर के साथ बिसलेरी-पार्ले की हो गई शुरुआत। ये 1970 का दशक था। जब रमेश चौहान ने बिसलेरी sealed water के दो नए ब्रांड बबली और स्टिल के साथ बिसलेरी सोडा को market में उतारा।

पार्ले कंपनी की रिसर्च ने बिसलेरी को पहुँचाया भारत के आम जन तक 

पार्ले की research टीम लगातार इस खोज में लगी थी कि आखिर कैसे बिस्लेरी को आम लोगों तक पहुँचाया जाए। कोई भी product लोगों की पसंद में सफल नहीं होता। बल्कि उसे सफलता मिलती है, लोगों की जरूरत से और ये बात जब पार्ले कंपनी को समझ आई। क्योंकि उसने पहले भी इंडियन market में अपने products को जरूरी बनाया था। इसलिए पार्ले की research team ने भी लोगों की ऐसी ही एक जरूरत को खोज निकाला। उन्होंने पाया देशभर के रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन, सड़क किनारे, ढाबे जैसे कई और public places पर पीने के पानी की quality अच्छी नहीं होती। इस वजह से लोग मजबूरी में प्लेन सोडा खरीदकर पीते हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए पार्ले ने लोगों तक साफ पानी पहुंचाने के लिए अपने distributors की संख्या बढ़ा दी। product की बिक्री बढ़ाने के लिए पार्ले कंपनी ने ब्रांड promotion का सहारा लिया और packaging में कई तरह के बदलाव की। इतना कुछ करने के बाद बिसलेरी water market में अपनी रफ्तार पकड़ने लगा.

PET मटेरियल ने कैसे बदली बिसलेरी कंपनी की तक़दीर

लेकिन सबसे ज्यादा Bisleri को अगर किसी ने फायदा दिलवाया तो वो था, 1985 के दौरान PET यानी एक तरह का plastic material जिसने इस Bisleri को पूरी तरह से बदल डाला। क्योंकि ये plastic material हल्का मजबूत और recycle किया जा सकने वाला। ऐसा packaging material था जिसे किसी भी आकार में ढाला जा सकता था. इसी कारण Bisleri की सबसे बड़ी चुनौती यानी packaging की समस्या हल हो गयी और उसी से उसके दाम भी कम हुए. जिसके साथ ही अंत में PET कंटेनर की quality भी बढ़ाई गई। जिससे बिस्लेरी को लगातार फायदा होता गया।

Sealed Water Bottle Industry पर बिसलेरी की 60% हिस्सेदारी

जिस आइडिया को कभी पागलपन कहा गया था. उस आइडिया से बिस्लेरी ने भारत की sealed water bottle industry पर 60% हिस्सेदारी पा ली है। अपनी 135 plants के दम पर Bisleri रोजाना दो करोड़ लीटर से ज्यादा पानी बेचने वाली कंपनी बन गई है। Bisleri अपने product को पांच हजार से ज्यादा distributors ट्रकों और पैंतीस सौ distributors के जरिए साढ़े तीन लाख retail आउटलेट्स तक पहुँचा रही है।

बिसलेरी कंपनी का नेटवर्थ

2019 में भारत में बिसलेरी की market value 24 billion dollar थी. माना जा रहा है कि दो हजार तेईस तक इसकी market value 60 billion dollars होगी। इस समय बिस्लेरी का revenue दो हजार करोड़ से भी ज्यादा है और company ने 2022 तक ये आंकड़ा पांच हजार तक लाने का टारगेट रखा है। तो दोस्तों ये थी बिस्लेरी की पूरी कहानी। आपको ये कहानी कैसी लगी? आप हमें comment करके बता सकते हैं। video को like और share करते हुए channel को subscribe भी कर सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *