How was India Thousands Years Ago: हम आधुनिक भारत के लोग है. हम उस भारत के लोग है जो विश्व की छठवीं सबसे बड़ी इकोनॉमी बन गयी है. जो तकनीक के मामले में आज काफी उन्नत है. यहाँ संचार के साधन और यातायात के साधन किसी भी बड़े देश के बिलकुल बराबर है. हमारे हाथ में मोबाइल फ़ोन होता है. जिसमें हम बस कुछ ही सेकंड्स में किसी भी विषय के बारे में जानकारी हासिल कर सकते है.
हमें जहाँ जाना हो पल भर में दूरी तय कर लेते है. हवाई जहाज या ट्रेन के माध्यम से कुछ ही घंटों में उस स्थान पर पहुँच भी जाते है और अपना काम करके वापिस आ जाते है.
How was India Thousands Years Ago
इतनी सुविधाएँ है, आज हमारे पास! लेकिन यदि पल भर के लिए हमें किसी सुविधा से दूर रखा जाए तो बिलकुल हम बेचैन हो उठते हैं और ऐसा लगता है कि हमारा जीवन बिल्कुल मुश्किल हो चुका है, बिल्कुल घुटन सी महसूस होने लगती है तो सोचिए उस ज़माने में लोग किस प्रकार रहते होंगे जब ये सब कुछ उपलब्ध नहीं था.
सोचिए, आज से एक हज़ार साल पहले का भारत कैसा रहा होगा, कैसे लोग अपने रोज़मर्रा की ज़िंदगी में आने वाली चुनौतियों से निपटते रहें होंगे। तो दोस्तों आज हम इन्हीं सब सवालों का जवाब तलाशने की कोशिश करेंगे।
यह लेख बहुत ही रोचक और जानकारी से भरपूर है तो अंत तक जरूर पढ़े। दोस्तों आज जब हम भारत को देखते है तो हमें लगता जरूर है कि भारत एरिया के मामले में काफी बड़ा देश है. लेकिन एक हज़ार साल पहले का भारत इससे भी कई गुना विशाल था. बीते एक हज़ार साल में भारत देश ने विभाजन के कई दंश सहे है. जिसके चलते भारत के कई महत्वपूर्ण इलाके अलग हो गए और आज अपनी एक अलग देश की पहचान बनाकर दुनिया में अस्तित्व में है.लेकिन एक हज़ार साल पहले ऐसा नहीं था.
1000 साल पहले भारत का क्षेत्र
एक हज़ार साल पहले के भारत का मतलब था भारत, Pakistan, Iran, Afghanistan, Myanmar और Bangladesh. ये सभी मिलकर एक भारत का निर्माण करते थे. भारत देश क्षेत्रफल की दृष्टि से उस वक्त बहुत ज्यादा विशाल था. शायद इसलिए पहले मुगलों का भारत पर आगमन शुरू हुआ. उसके बाद अंग्रेजों ने भारत पर अपनी नज़रें जमाई और यहाँ राज किया।
1000 साल पहले भारत की जनसंख्या
अब भारत एरिया में तो बहुत था लेकिन इसकी जनसंख्या लगभग तीन से चार करोड़ के आसपास थी जो कि उस वक्त की दृष्टि से एक बड़ी जनसंख्या मानी जाती थी. क्योंकि एक हज़ार साल पहले भारत, चीन और Europe की जनसंख्या, जनसंख्या की दृष्टि में सबसे बड़ी मानी जाती थी.
1000 साल पहले भारतीयों की जीवनशैली
उस वक्त भारतीय लोगों का रहन सहन और जीवन शैली बहुत ही साधारण हुआ करती थी. एक आम भारतीय अपने पूरे जीवन काल में डेढ़ सौ से दो सौ किलोमीटर के आसपास के एरिया को ही घूम फिर पाता था. इसकी मुख्य वजह ये थी कि उस दौर में यातायात का मुख्य साधन या तो घोड़ा था या फिर बैलगाड़ी और हम जानते हैं कि इन दोनों ही माध्यम से बहुत ज्यादा दूर तक यात्रा करना संभव नहीं है.
खासकर एक आम व्यक्ति के लिए तो ये बहुत ही ज़्यादा मुश्किल हो जाता है. इसकी दूसरी वजह थी ज़रूरत। जैसे की प्राचीन भारत में लोगों के रोज़गार का मुख्य ज़रिया खेती हुआ करती थी और खेती के लिए ज़रूरी सभी आवश्यक चीज़ें अपने आसपास ही मिल जाया करती थी. इस वजह से उन्हें बहुत ज़्यादा दूर जाने की आवश्यकता भी महसूस नहीं होती थी.
1000 साल पहले भारत पर आक्रमण
देश में एक ऐसा समय काल आया भी था, जब देश एक पावर कॉम्प्लेक्स से जूझ रहा था. यानी उस वक्त देश में कोई भी एक शक्तिशाली शासक नहीं था जो पूरे देश को एक करके रख सके. बस इसी कमी के चलते हमारे देश पर मुगलों का आक्रमण शुरू हो गया और धीरे धीरे देश मुग़ल सल्तनत के अधीन हो गया.
नौवीं सदी के अंत में में देश में पहली बार किसी विदेशी गुट ने आक्रमण किया था और वो भी अफ़ग़ानिस्तान के रास्ते भारत में प्रवेश किया था. उस वक्त देश में पल्लव, चोल, राष्ट्रकूट और चालुक्य वंश जैसे कुछ ऐसे राजघराने थे जो ताकतवर थे. इसके अलावा पूरा देश कई छोटे छोटे शासक तक ही सीमित था. वो पूरे देश पर शासन करने का कभी सपना नहीं देखते थे और यही उस वक्त की सबसे बड़ी कमज़ोरी थी. इसी कमज़ोरी को मुगलों ने अच्छी तरह से समझ लिया था.
1000 साल पहले के भारत में हिन्दू शासक
ग्यारहवीं सदी के आखिर में पृथ्वीराज चौहान जो की भारत के आखिरी हिन्दू शासक थे. उन्हें भी मोहम्मद ने हरा दिया और उन्हीं के साथ ही हिन्दू शासकों का अंत हो गया. पृथ्वीराज चौहान के अंत के साथ ही कहीं ना कहीं हिंदुओं के दबने का इतिहास भी शुरू हो गया. ये कहना गलत नहीं होगा उसके बाद उत्तर का क्षेत्र पूरी तरह से मुगलों के हाथ में आ चुका था. उत्तर का क्षेत्र अर्थव्यवस्था के लिहाज से बहुत मायने रखता था क्योंकि उधर की भूमि बहुत उपजाऊ तो थी ही साथ ही साथ यही वो क्षेत्र था जो भारत को चीन, यूरोप, रूस और सेंट्रल एशिया से जोड़ता था.
1000 साल पहले दिल्ली का महत्व
इस समय हर शासक का सपना होता था कि वो दिल्ली पर राज कर सके. क्योंकि दिल्ली देश का केंद्र होने के साथ साथ व्यापार का भी केंद्र थी. हमारे देश को सोने की चिड़िया कहा जाता था, ये बात तो आपने सुनी ही होगी पर ऐसा क्यों कहा जाता था वो कारण भी आज आप जान लीजिए। असल में आज से एक हज़ार साल पहले का जो समय था वो भारत के लिए आर्थिक रूप से बहुत ही अच्छा था.
1000 साल पहले भारत की आर्थिक स्थिति
आज हम GDP की बात करते है. हम देखते है कि इंडिया आर्थिक मोर्चे पर चीन से पीछे है. Exports की बात हो या GDP की बात हो दोनों ही मामले में चीन आज हमसे काफी आगे दिखाई देता है. पर आज से एक हजार साल पहले ऐसा नहीं था. दोस्तों शायद आपको यकीन नहीं होगा लेकिन आज से एक हजार साल पहले पूरी दुनिया में एक्सपोर्ट होने वाली चीजों में से तीस प्रतिशत goods and services का export भारत करता था.
जबकि चीन पच्चीस प्रतिशत और Europe ग्यारह प्रतिशत export करता था. भारत सबसे ज्यादा कपड़े, मसाले एवं खाने की चीज export करने के लिए जाना जाता था।
भारत विशेष रूप से मसालों के लिए बहुत famous था। यहाँ तरह तरह के मसाले मिल जाते थे। तभी तो यूरोपीय देशों में भारत के बारे में आज भी कहा जाता है कि हम भारतीय बहुत ही मसालों का प्रयोग करते हैं। लेकिन ये आज की बात नहीं है बल्कि हम बहुत पुराने वक्त से मसालों का उपयोग करते आ रहे हैं। या यूँ कहें कि मसालों के जनक हमी है तो ये भी कहना गलत नहीं होगा।
1000 साल पहले भारतीयों का गांव और शहर
यदि लोगों की जीवनशैली की बात करें तो लोग ग्रामीण जीवन जीना पसंद करते थे. इसलिए कुल आबादी का दस प्रतिशत ही मात्र शहर में रहते थे, बाकी के नब्बे प्रतिशत लोग गाँव में ही रहा करते थे. गाँव की जीवनशैली बहुत ही सरल थी, अधिकतर लोग खेती पर ही निर्भर करते थे. इसलिए हर गाँव में पानी की व्यवस्था करना बहुत ही आवश्यक होता था.
जिन गाँव में प्राकृतिक रूप से तालाब बने हुए थे. वहाँ पर तो कोई समस्या नहीं थी, पर ऐसे गाँव जहाँ तालाब नहीं थे वहाँ तालाब खुदवाया जाता था ताकि बरसात का पानी उसमें संचय किया जा सके. खेतों की सिंचाई के लिए किसान मुख्य रूप से बरसात के पानी पर ही निर्भर रहा करते थे.
हर गांव अपने आप में बहुत ही खास हुआ करता था. उस ज़माने में शायद ही कोई ऐसा गाँव रहा हो जहाँ पर कोई मंदिर ना हो. गाँव में एक आम मंदिर होने के साथ साथ कुलदेवी का भी मंदिर हुआ करता था. जिसके बारे में लोगों की मान्यता रहती थी कि वो गाँव की देवी है और कोई भी शुभ कार्य करने से पहले वो लोग उस मंदिर पर पूजा अर्चना किया करते थे.
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1000 साल पहले के भारत का बाजार
एक हजार साल पहले भी बाज़ार हुआ करते थे. लेकिन वो बाज़ार आज की तरह आधुनिक नहीं होते थे उसमें से बस कुछ जरूरत की चीजें मिला करती थी. लोग दुकान भी लगाते थे. लेकिन उन दुकानों में अधिकतर कपड़े, खाने के सामान, मसाले, इत्र, पूजन सामग्री इत्यादि ही मिला करती थी।
उस ज़माने में मुद्रा का भी चलन था। लोग सामान खरीदने के बदले मुद्रा दिया करते थे। लेकिन ऐसा नहीं था कि मुद्रा नहीं हो तो लोग सामान नहीं खरीद सकते थे। मुद्रा की जगह कुछ और चीज़ देकर भी सामान ख़रीदा जा सकता था. जैसे कपड़े खरीदने के लिए गेहूं, फल के बदले चावल, इत्यादि देकर भी लोग सामान खरीद लेते थे.
1000 साल पहले भारत में न्याय व्यवस्था
दोस्तों उस दौर में न्याय व्यवस्था पंचों के हाथ में होती थी. वैसे तो हर गाँव किसी ना किसी राजा के अधीन होता था. पर गांव की हर एक समस्या राजा तक नहीं पहुँचती थी क्योंकि उसका निराकरण गाँव में ही किया जाता था और वो पंचों के द्वारा किया जाता था. पंच आम तौर पर वही व्यक्ति बनते थे जिनका गाँव में कुछ रुतबा होता था.
1000 साल पहले भारत में रोजगार की स्थिति
दोस्तों जैसा की हमने बताया कि उस दौर में व्यापार के बहुत ज्यादा साधन नहीं होते थे. कृषि पर ही लोग ज्यादा निर्भर थे. इसीलिए पीढ़ी दर पीढ़ी लोग परंपरागत बिज़नेस को ही आगे बढ़ाते थे. यदि कोई कारीगर है तो वो अपने बच्चे को कारीगरी सिखाता था. यदि कोई चित्रकार है तो अपने बच्चे को वही काम सिखाता था.
1000 साल पहले भारत की शिक्षा व्यवस्था
दोस्तों उस दौर की शिक्षा व्यवस्था भी गुरुकुल के माध्यम से ही संचालित होती थी. गुरुकुल में विद्यार्थी पढ़ने के लिए आते थे और विभिन्न विषयों पर शिक्षा अर्जित करते थे. विद्यार्थी ना सिर्फ अपने देश के बल्कि कई विदेशी मुल्कों से भी आते थे.
1000 साल पहले के भारतीय समाज में शादी और संस्कार
दोस्तों आज की तरह ही उस वक्त भी शादी एक बहुत ही महत्वपूर्ण संस्कार हुआ करती थी और उसे उतनी ही धूमधाम के साथ कराया जाता था. हर गाँव का ये रिवाज था कि एक ही गांव में, एक ही गोत्र में शादी नहीं होगी और इसलिए हर किसी की शादी किसी दूसरे गाँव में और दूसरे गोत्र में होती थी. शादी का कार्यक्रम आज की तरह एक या दो दिन में नहीं समाप्त होता था बल्कि एक हज़ार साल पहले की शादियां सात से दस दिनों तक चलती थी.
बारात का आना और उनकी मेजबानी करने में ही चार से पाँच दिन लग जाया करते थे. आज की तरह नहीं था कि जिसके घर में शादी है, बस उसी के लिए उत्साह हो! उस समय किसी की भी शादी होने पर पूरा गांव बहुत ही उत्साहित होता था. मानो उन्हीं के घर बारात आ रही हो और उनके पुत्र पुत्री की शादी होने वाली हो.
उस दौर में कारखाने आदि नहीं हुआ करते थे यही कारण था कि तब के लोग वायु प्रदूषण जैसी चीज़ों के बारे में नहीं जानते थे. दोस्तों आज से एक हज़ार साल पहले का भारत कुछ इस तरह था. हाँ चुनौतियां थी, लेकिन लोगों में जिंदादिली थी, लोग तब जिंदगी को इतने खुली मानसिकता के साथ जीते थे. जितना आज नहीं जी पाते हैं.
दोस्तों आपकी नजर में एक हजार साल पहले का भारत या आज का भारत, दोनों में से कौन सा ज्यादा अच्छा है comment करके जरूर बताएं।