India-Israel Relation FTA: भारत और इजराइल आने वाले समय में जल्दी ही free trade agreement (FTA) करने जा रहे है. क्या होगा इस free trade agreement का मायने? इससे भारत को क्या लाभ होंगे? इजराइल को इससे क्या फायदा होगा? इससे इजराइल के साथ भारत की मित्रता कितनी आगे बढ़ेगी? इन्ही सब बातों को विस्तार से इस स्टोरी में समझेंगे?
India-Israel Relation FTA:इंडिया और इजराइल के बीच हो रहा मुक्त व्यापार समझौता क्या है और इसको किसको ज्यादा फायदा होगा?
भारत और इजराइल के मित्रता के 30 साल पूरे हो चुके हैं। फिलहाल दोनों देशों के बीच लगभग 7 बिलियन डॉलर का व्यापार होता है और इस व्यापार में भारत के द्वारा भेजी जाने वाली वस्तुएं ट्रेड सरप्लस में है. यहाँ पर एक बड़ा ही लॉजिकल सा सवाल बनता है कि मुक्त व्यापार समझौता (Free Trade Agreemment) होता क्या है?
मुक्त व्यापार का सीधा सा शाब्दिक अर्थ है कि यदि इंडिया का सामान इजराइल जाए तो वहां की सीमा पर एंट्री करोगे तो उस पर कस्टम ड्यूटी या एक्साइज ड्यूटी ना लगे और अगर किसी वस्तु पर कस्टम ड्यूटी और एक्साइज ड्यूटी ना लगे तो वो किसी दूसरे देश में उसी प्राइस पर बिकेगी, जिस प्राइस वो सामान आपके अपने देश में बिक रही है।
उदाहरण के लिए मान लीजिए यहाँ इंडिया में गेहूं का उत्पादन बहुत अच्छे से होता है और इस गेहूं का जो प्राइस है वो 3 हजार रुपए प्रति बोरी है। अगर हम इस एक बोरी गेंहू को इसराइल में बेचने जाएं तो वो उतने प्राइस में ही इजराइल में भी बाइक यानि की 3000 रूपए प्रति बोरी।
अब आप पूछेंगे कि क्या बात कर रहे हो। उतने में कैसे बिक सकती है? क्योंकि ट्रैवल होगा तो उस पर पैसा खर्च होगा, उसमें ट्रैवलिंग का भी खर्च जोड़ देते हैं, अगर ये 3 हजार की एक बोरी है, तो इसे वहां तक पहुँचाने में 500 रुपए प्रति बोरी और खर्चा लग जाए तो फिर इस एक बोरी गेंहू का प्राइस 3500 रूपए हो जाएगा।
लेकिन उस देश की सरकार के द्वारा इस वस्तु की वहाँ बिक्री पर किसी प्रकार की रोक ना लगे ये सबसे जरुरी चीज है free trade agreement के लिए.
इसी को ध्यान में रखते हुए अगर इजरायल से कोई सामान इंडिया आए तो जो उसका ट्रेड या ट्रेवल में जो खर्चा हुआ है बस वो उतना लग जाए, उसके अलावा उस पर कोई अतिरिक्त टैक्स ना लगे. ये फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की सबसे बुनियादी जरूरत है।
भारत already अभी तक 13 देशों के साथ में फ्री ट्रेड एग्रीमेंट कर चुका है। अब सवाल ये है कि फ्री ट्रेड एग्रीमेंट से सिर्फ फायदे होते हैं कि नुकसान भी होते हैं।
इजराइल के case में भारत को FTA से नुकसान ही होता है? फिर हमारी सरकार ऐसा क्यों करती है? क्योंकि हमारी आबादी दुनिया की सबसे बड़ी आबादी है। अगर हम फैक्ट्स की बात करें, तो सिर्फ announcement की जरूरत है, एक-दो महीने के अंदर या साल भर में घोषणा हो जाएगा। क्योंकि दुनिया की सर्वाधिक आबादी वाला देश already बन चुका है भारत।
हमारी purchasing पॉवर जो है समर्थता जो है खरीदने की उसमें भारत दुनिया के तीसरे सबसे बड़े देश में शामिल होता है, जीडीपी के अनुसार। तो अब आप मुझे ये बताइए कोई भी वस्तु बिकने कहाँ जाना चाहिए? जहां ज्यादा लोग रहते हैं, जहां ज्यादा खरीदार मिलेंगे या जहाँ कम लोग रहते हैं। स्वाभाविक सी बात है जहाँ बाजार बड़ा होगा और जब वस्तुएं मार्केट में बिकने ही जाएंगी तो हमसे बड़ा मार्केट है कहाँ? सबसे ज्यादा खरीदार यहाँ पर है और सामर्थ्य वाले खरीदार है
यहाँ पर बेंटले खरीदने वाले है तो साइकिल खरीदने वाले भी है। कहने का अर्थ ये है कि विविधता हमारे बाजार में है. तभी तो भारत already 13 देशों के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट रखता है और हर देश इसको अपनी उपलब्धि मानता है. तो इसका मतलब इसका तो मुनाफा दूसरे देशों को ज्यादा हुआ। ये वो तो नहीं है कि ये लोग फिर से उपनिवेशवाद की तरफ जा रहे हैं। ब्रिटेन, बोरिस जॉनसन से लेकर ऋषि सुनक तक सब इसी चीज में लगे हुए हैं और लिज ट्रस्ट भी इसी चीज में लगी थी कि हम इंडिया से जल्दी ही फ्री ट्रेड एग्रीमेंट हो जाये। इसका मतलब ये है हर देश इस बात की ख़ुशी में हैं और इस बात की अपेक्षा में है कि एक दिन भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौता हो जाएगा।
अब आप पूछेंगे कि आपने एक तरफा डिसीजन कैसे दे दिया? भारत के लिए FTA बेनिफिशियल नहीं होगा। तुलनात्मक रूप से बात करें तो भारत को हमेशा नुकसान ही हुआ है। भारत को इससे फायदा कब हो सकता है? मुक्त व्यापार का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इसी तरह की opportunity आपके देश की कंपनियों को दूसरे देश में जाकर काम करने की मिलती है। दूसरे देश के अंदर आबादी कम है फिर भी उस देश से आपके देश में निवेश बड़ी मात्रा में आता है।
1991 में आए प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव जी के समय पर LPG reform की तो वो था क्या? Liberalization, privatization और globalization. इसमें liberal होने का अर्थ क्या था? इसमें global होने का अर्थ क्या था? Liberal होने का मतलब था कानून थोड़े कमजोर किए जाए यानी इतनी सख्ती ना बरती जाए फॉरेन इन्वेस्टमेंट के लिए कि हम अपना ही नुकसान करें और globalize होने का मतलब ये था कि दुनिया भर के देशों को अपने यहाँ आने के लिए हम आमंत्रित करेंगे कि आप आइए और अपना सामान लाइए, अपनी फैक्ट्री लगाइये। क्योंकि जब कोई कंपनी आएगी हमारे यहाँ पर मुक्त व्यापार के तहत तो वो investment भी लेकर आएगी और किसी देश में investment का आना उस देश की जीडीपी को grow करता है।
अब चर्चा करते हैं कि इस देश के साथ तो भारत व्यापारिक surplus में ही है. आप सीएनबीसी की न्यूज़ देख सकते हैं, 22 फरवरी की. यहाँ पर भारत और इजराइल एक दूसरे के साथ मुक्त व्यापार समझौता करने के जबरदस्त इच्छुक हैं और उसके बिल्कुल नजदीक है. उम्मीद की जा रही है कि इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू जल्दी ही भारत आने वाले हैं और ऐसी संभावना है कि उस विजिट के दौरान भारत और इजराइल एक दूसरे के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर कर लें।
फिलहाल के लिए इंडिया और इजराइल को आप नक्शे पर समझे। और भारत और इजरायल आपस में जुड़ने के लिए और कौन से-कौन से मंच साझा कर रहे हैं. भारत और इजरायल ने हाल ही में I2U2 Group नामक गठबंधन भी बनाया है। इंडिया, इजराइल, यूएई और यूएसए, चारों देश मिलकर के एक नया गठबंधन बनाए हैं, जो व्यापार को बढ़ावा देगा। यहाँ पर इंडिया और इसराइल इस के तहत संभव है कि FTA करने में अपना interest show कर रहा हो.
ये जानकारी इंडिया में जो इजराइल के ambassador हैं नार गिलों उन्होंने ट्विटर पर ये जानकारी दी कि इंडिया और इजराइल कितना ज्यादा एक दूसरे के साथ आगे बढ़ने के लिए तत्पर हो रहे हैं.
भारत में सबसे पहले इजरायल के डिप्लोमेटिक संबंध है वो 1992 में शुरू हुए थे। इन्हीं डिप्लोमेटिक टाइस की वजह से इस साल हम लोग 30 साल पूरा होने का महोत्सव मना रहे हैं। 1992 में नरसिम्हा राव की सरकार द्वारा इजराइल के साथ अपने सबसे पहले इंटरनेशनल डिप्लोमेटिक रिलेशन स्थापित की थी.
इसे स्थापित होने के पीछे आपको post cold war era भी समझना होगा। 1991 में officially cold war को खत्म माना जाता है क्योंकि उस समय यूएसएसआर खुद पंद्रह देशों में टूट गया था। उसके बाद इंडिया ने इजरायल के साथ दोस्ती बनाना शुरू की थी. इजराइल का cold war से क्या लेना-देना था?
ये माना जाता था कि जो इजराइल है, वो एक तरह से अमेरिका का extended arm है, अरब world के अंदर। यानी इजराइल और कुछ नहीं अमेरिका ही है, ऐसा ट्रीटमेंट किया जाता था. इसलिए इजराइल के साथ कभी हम लोगों ने पहले इतनी नजदीकी नहीं दिखाई थी. क्योंकि कोल्ड वॉर एरा में अमेरिका के किसी भी मित्र के साथ में दोस्ती दिखाने का मतलब था यूएसएसआर विरोधी होना। इसलिए कोल्ड वॉर खत्म होने के बाद हमने अपने एलपीजी रिफॉर्म्स के बहाने इनके साथ अपने डिप्लोमेटिक संबंध स्थापित किए. ये मानते हुए कि इजराइल से दोस्ती करके हम अमेरिका हितेषी नहीं बन रहे हैं. अपितु इजराइल को एक इंडिपेंडेंट नेशन ट्रीट कर रहे हैं।
इजराइल जो है वर्तमान में भारत के लिए तीसरा बिगेस्ट डिफेंस सप्लायर बन के उभरा है. केंद्र में जब वाजपेयी सरकार आई थी तो एरियल शेयर ऑन पहले ऐसे इजराइली पीएम बने थे जो भारत आए थे और दोनों देशों के बीच सम्बन्ध और प्रगाढ़ हुए थे.
ये जो आप खबर पढ़ रहे हैं ना, जो 3 फरवरी 2022 की है। नेतन याहू जो है उनका 2022 में आने की बात आ रही थी वो इसलिए नहीं आए थे क्योंकि इलेक्शन थे. अब चर्चाएं फिर से है कि इंडिया ने इन्हें फिर से आमंत्रित किया है 2023 में, क्योंकि इंडिया इनके साथ में संभवतः FTA (India-Israel Relation FTA) करना चाहता है।
फिलहाल इंडिया इजरायल के जो relation हैं, उसमें इंडिया ज्यादा चीजें export करता है और अगर FTA होता है तो भारत संभवतया, इजराइल के माध्यम से अपना सामान दुनिया के अन्य देशों को एक्सपोर्ट करेगा। लेकिन इंडिया ने इस बीच एक बहुत बड़ा स्ट्रैटेजिक काम इजराइल में किया है. इंडिया ने इजराइल का एक स्ट्रेटेजिक पोर्ट जिसका नाम है हाइफा है उसको अधिग्रहित किया है, 1.2 बिलियन डॉलर में, अडानी के द्वारा। असल मायने में इस पोर्ट का भारत use करने वाले हैं अन्य देशों के साथ ट्रेड में.
इजराइल ने अन्य देशों के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट already किए हुए हैं। तो अगर वो किसी भी देश और जो नहीं भी किए हैं, तो जो भविष्य में करेगा। उसके लिए अगर इंडियन कंपनीज इजरायल जाकर काम करने लगती हैं। strategic पोर्ट पर अपना सामान जाकर के जैसे मुंद्रा पोर्ट पर companies ने अपने stock यार्ड बना रखे हैं, ऐसा वहाँ पर इंडियन companies बना लेती हैं अपना स्टॉक यार्ड और इजराइल से उसी सामान को उठाकर बेचती है जिनके साथ इंडिया ने फ्री ट्रेड नहीं कर रखा है। तो इससे इंडिया का फायदा होगा इस FTA की वजह से।
जैसे आज भी आपके पास में जो चाइनीज सामान है वो आसियान country से घूमकर कई बार आता है। बहुत से product आप एप्पल का अगर खरीदते हैं तो उसके अंदर कई बार जब बैटरी ओपन करके देखेंगे तो आपको वहां पर made in वियतनाम या made in फिलीपींस दिखाई देगा। जबकि कंपनी तो अमेरिका की है, वहां से क्यों आ रही है? क्योंकि इंडिया और वियतनाम के बीच में फ्री ट्रेड एग्रीमेंट हो रखा है। इसका मतलब उस पर टैक्स बचा लिया गया।
ऐसे ही यूट्यूब जब लोगों को पैसे देता है, तो यूट्यूब है अमेरिकी कंपनी, लेकिन transaction आता है कई बार आयरलैंड की कंपनी से. हो सकता है कि साथ भारत का टैक्सेशन कम हो आयरलैंड के साथ। ये जो टैक्स बचाने की कला है ना इसका उपयोग भारत कर पाएंगे क्योंकि इजराइल के माध्यम से आप वहां से सामान को आगे भेज पाएंगे।
इंडिया ये मानता है कि India-Israel Relation FTA से इजराइल के रास्ते जो यूरोप है उसमें उसकी एंट्री आसान हो जाएगी। जैसे फिलहाल इंडिगो के द्वारा टर्किश एयरलाइंस के साथ जो एग्रीमेंट किया गया. उसके पीछे का बड़ा वजह क्या था? टर्किश एयरलाइंस के इस्तांबुल एयरपोर्ट बेस को use में लेकर यूरोप में एंट्री मारेंगे। यहाँ पर ये होगा कि तुर्की की फ्लाइट आ रही है, यूरोप से, यूरोप में आ रही है। exactly वैसे ही इंडिया ने शिपिंग पोर्ट बना दिया हाइफा के अंदर। यहाँ से भारतीय जहाज भी बनकर कहीं जाएंगे तो कहेंगे इजराइल से आ रहा है। समझ में आया? ये एक तरीका होता है, indirect तरीका ये बताने का कि आप दूसरे देश का उपयोग व्यापार में कर सकते हैं.
तो इंडिया और इजराइल के बीच का जो ट्रेड है वो 7.5 बिलियन डॉलर का पहुंच चुका है और लगातार यह बढ़ रहा है। इन्होंने कहा है कि हमारे ट्रेड के अंदर जो इन्क्रीमेंट है वो लास्ट एक साल में ही 50% का हुआ है. जहां लास्ट ईयर का ट्रेड 5 बिलियन डॉलर था. अब 7.5 बिलियन डॉलर का इंडिया और इजरायल के बीच में ट्रेड है और ये भविष्य में और बढ़ेगा। इंडिया क्या भेजता है इजराइल को? इलेक्ट्रॉनिक्स के equipment भेजता है, पेट्रोलियम पदार्थ भेजता है, precious metals stone भेजता है, ऑर्गेनिक केमिकल्स भेजता है इजराइल को.
अब इंडिया इम्पोर्ट क्या करता है इजराइल से? तो 3 बिलियन डॉलर का सामान हम इंपोर्ट करते हैं. जब हम एक्सपोर्ट ज्यादा करते हैं, इम्पोर्ट कम करते हैं, तो हमें क्या होता है? मुनाफा, trade surplus कितना हुआ? लगभग 1.7 billion डॉलर का हमें trade surplus हुआ। डिफेंस का जो equipment है वो नंबर तीन पर हमारे लिए इजरायल से ही आता है। इसके साथ-साथ electronics equipments, navigation के equipment, pesticides, integrated circuits, पोटेशियम का जो पोटाशिक fertilizer है, डायमंड भी हम उनसे मंगाते हैं। इंडिया जो है वो इजराइल का एशिया में दूसरा बड़ा सप्लाई पार्टनर है और कुल मिलाकर इजराइल का seventh टॉप most trading पार्टनर है इंडिया।
हम इनके साथ करने क्या जा रहे हैं? हम फ्री ट्रेड एग्रीमेंट करने जा रहे हैं. that means बॉर्डर पर टेक्सेशन नहीं लगेगा। हालांकि दुनिया भर में और भी कई प्रकार के ट्रेड के तरीके हैं जो हम इनके साथ कर सकते थे लेकिन फिलहाल हम फ्री ट्रेड एग्रीमेंट कर रहे हैं. जिसमें कंट्रीज एक दूसरे के टैक्स टैरिफ्स को खत्म करने की बातें एक-दूसरे के साथ करती हैं, अब FTA का फायदा क्या होता है?
FTA होने से व्यापार बढ़ता है। दोनों ही देश एक-दूसरे के पास और ज्यादा सुगमता से जाते हैं। व्यापार बढ़ेगा, रोजगार बढ़ेगा,आर्थिक समृद्धि आएगी, बेरोजगारी दूर होगी। कंपनीज का एक-दूसरे के साथ, दूसरे देशों में एक दूसरे के साथ विश्वास बढ़ेगा। विदेशी मुद्रा भंडार आपका increase भी होगा।
लेकिन इसके reverse भी possible है। तो ऐसी स्थिति में जो FTA को लेकर के concern होते हैं, वो ज्यादा बड़े होते हैं कि हमें नुकसान होगा कि हमें फायदा होगा। इतिहास गवाह है कि भारत को एफटीए करके नुकसान ज्यादा हुए हैं. जैसे भारत ने साउथ कोरिया, इंडोनेशिया, जापान, सिंगापुर, मलेशिया, थाईलैंड, वियतनाम जैसे देशों से जब व्यापार किया है तो हमें trade deficit जो है ना वो काफी बड़ी मात्रा में हुआ है.
मतलब इनके यहाँ से भारत में सामान ज्यादा आया है क्यों? क्योंकि साउथ कोरिया अपने आप में उसकी टेक्नोलॉजी ज्यादा विकसित है. आप हुंडई देख ले या फिर सैमसंग देख ले या एलजी देख ले. ये बड़ी-बड़ी कंपनियां साउथ कोरिया से आती है, developed country है। तो ये देश के अंदर गजब तरीके से माल बेचती है।
ऐसे ही इंडोनेशिया से बड़ी मात्रा में तेल आता है, जापान से technology आती है। सिंगापुर से आईटी आता है। इस तरह से मलेशिया से तेल आता है। तो जब हम import ज्यादा करते हैं, तो हमारे इंपोर्ट से घाटे भी ज्यादा होते हैं, trade barrier हटने के कारण।
भारत के द्वारा अब तक 13 देशों के साथ एफटीए किए गए हैं, जिसमें श्रीलंका का नाम भी शामिल है, साफता शामिल है, नेपाल शामिल है, भूटान, थाईलैंड, सिंगापुर, अशियान, सेका, साउथ कोरिया, मलेशिया, मॉरिशस, यूएई और ऑस्ट्रेलिया अभी ताजा-ताजा जुड़ा है.
अब सवाल बनता है, इंडिया और इजरायल के बीच में डिफेंस को लेकर के क्या पार्टनरशिप है? देखिए, शुरुआत जब हुई थी, तब हम इजराइल से 7.9 % अपनी आवश्यकता का डिफेन्स purchase करते थे. लेकिन अब 13% तक 1999 में पहुंच गया था और 2015 में इंडिया ने जो इजराइल से जो इम्पोर्ट में growth की है वो 42 % तक हमारी growth हो चुकी है।
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इंडिया, इजरायल से कौन-कौन से डिफेंस इक्विपमेंट इम्पोर्ट करता है? हमारे द्वारा बराक मिसाइल सिस्टम हो या डिफेंस मिसाइल स्पाइडर सिस्टम हो या फिर टोही विमान हो जो सर्चिंग के लिए काम में लेते हैं, जिसका नाम हेरान है जो कि एक UAVs है, इसे इम्पोर्ट किया जाता है। इसके साथ-साथ हम स्पाइस 2000 बॉम्ब भी इम्पोर्ट करते है जिसकी वजह से हमने पाकिस्तान के अंदर घुस करके सर्जिकल स्ट्राइक की थी. यह बॉम्ब घर में छेद कर के, कमरे में जा के फटा था. जिसकी वजह से पाकिस्तानियों ने कहा था कि हमारे ऊपर तो हमला ही नहीं हुआ था. इस बॉम्ब के अंदर ही कैमरा लगा भी लगा होता है.
laser guided बॉम्ब्स जो हैं वो भी हम इजराइल से purchase करते हैं. इसके अलावा इजराइल इंडिया के साथ मिलकर आत्मनिर्भर और मेक इन इंडिया के तहत ARAD करके जो गन है या फिर ये CARMEL करके जो गन है इन्हें बनाने की बात कर रहा है। हम साइबर सिक्योरिटी की बात करते हैं तो आपने बहुत ज्यादा नाम pegasus सॉफ्टवेयर का सुना होगा। वो इजराइली ही था। तो इजराइल और इंडिया काफी तरह से एक-दूसरे के साथ हैं और strategically हमारा एक दूसरे के लिए महत्व भी बहुत ज्यादा है।