Indian Navy submarine docks in Indonesia: भारत ने चीन को उसी की भाषा में जवाब दिया है. कुछ ऐसा किया है जिसकी कल्पना शायद चीन ने करी तो होगी लेकिन थोड़े दिनों बाद करी होगी. मतलब इतना जल्दी हो जाएगा ऐसी कोई फीलिंग शायद ही इनके पास रही. हाल ही में हुआ क्या है कि भारत ने चीन को धता बताते हुए जिस समुंदर पर वो सोचता है कि उसकी दादागिरी है, उसमें अपनी सबमरीन ले जाकर डॉक कर दी है.
हमारा लड़ाकू जहाज, हमारी लड़ाकू पनडुब्बी जो है वो चीन के सामने आकर खड़ा हो गया है और चीन से इसके ऊपर प्रतिक्रिया का भारत इंतजार कर रहा है और चीन को बता दिया है कि हम तो भाई साउथ चाइना सी में आ चुके हैं. दरअसल साउथ चाइना सी में भारत ने अपना एक सबमरीन डॉक कर दिया है. इस स्टोरी में जानेंगे कि इसके पीछे कारण क्या है राजनीतिक और सामरिक दृष्टि से इसका भारत के लिए महत्व क्या है.
जब मैंने आपसे कहा कि उसी की भाषा में जवाब दिया है तो जरा उसकी भाषा तो समझ लें कि वो कैसी भाषा use करता है? चलिए मैं आपको कुछ खबरें दिखाता हूँ. जिससे आप इस बात को relate कर पाएंगे कि मैं बोल क्या रहा हूँ? ये आपके सामने एक न्यूज़ की कटिंग है जो 2016 में इंडिया टुडे में पब्लिश हुआ था। इसका हैडिंग है:- “In a first, Chinese Navy frigates dock in Bangladesh”
चीन हमारे साथ में, हमेशा ना कुछ इस प्रकार का खेला-खेलता रहा है कि वो psychological प्रेशर create किया है, हर बार जैसे इंडिया के पड़ोस के मुल्क चाहे बांग्लादेश, श्रीलंका, पाकिस्तान या फिर मॉरीशस, मालदिवज इन सबके अंदर अपने weapons से लदी हुई जहाजों को ले जाकर खड़ा कर देता था, जिससे इंडिया को ये लगे कि ये लोग यहाँ तक आ सकते हैं तो मुझ तक भी आ ही जाएंगे। कुछ ऐसा ही देखिए न्यूज़ है।
इनका एक लड़ाकू जहाज जो पानी का युद्धपोत है. ये बांग्लादेश के बंदरगाह पर आकर खड़ा हुआ। आप सोचिए बिल्कुल अपने पश्चिम बंगाल के नजदीक आकर के फ्रिगेट आकर खड़ा हो जाए, ये कितनी बड़ी और चिंता की बात है।
अब ये चिंता की बात 2016 से हमें दे रहा था। कोई बात नहीं! इंडिया इंतजार कर रहा था। इंडिया ने बांग्लादेश को समझाया। इंडिया ने बांग्लादेश से कहा कि देखो चाइना आपके यहाँ पर बना रहा है मिसाइल को maintenance करने का hub. एक तरीके से इंडिया को सब तरफ से घेरने का ये कार्यक्रम कर रहा है। ऐसी स्थिति में इंडिया ने अपने द्वारा बांग्लादेश को समझाया ही, दुनिया को भी बताया कि हम अपने तरीके कैसे आजमाने जानते हैं।
आपने एक खबर और भी थोड़े दिन पहले पढ़ी होगी। ये खबर है सोलह अगस्त 2022 की। चाइना ने अपना एक स्पाइ सिप, जहाज जो कि गुप्त जानकारी लेने के लिए आया था उसको भी इन्होंने श्रीलंका के पोर्ट पर ले जा के खड़ा कर दिया था। ये वहां बैठकर के इंडिया की चीजें सुनने लगा हुआ था। योंआंग वांग 5 करके था उस स्पाई शिप का नाम. ऐसी स्थिति में इंडिया को ये लग गया कि पड़ोसी मुल्कों में चाहे बांग्लादेश हो, चाहे श्रीलंका हो या फिर पाकिस्तान हो, ये वहां ले जाकर के अपनी चीजें dock करते हैं और भारत परेशान करने का कार्य करते हैं.
अब हम आपको एक तस्वीर दिखाते हैं, जो तस्वीर निश्चित ही आपको गौरवान्वित करेगी। तस्वीर क्या है? यहाँ पर टीएनआई एंग कार्टन लॉट, करके एक ट्विटर हैंडल पर आपको एक न्यूज़ दिख रही है. जिसमें दिखाई दे रहा है कि भारत का आईएनएस सिंधु केसरी, जो सबमरीन है.
ये अब इंडोनेशिया पहुंचती है और इंडोनेशिया में present इंडोनेशिया की नेवी हमारी submarine का गाजे-बाजे के साथ स्वागत करती है. ये जो आप ट्वीट देख रहे हैं, ये ट्वीट इंडोनेशिया की नेवी की तरफ से है और इसमें इस बात का गजब ही welcome किया गया है कि भारत की submarine, पनडुब्बी चीन के दक्षिण में south चाइना see में जाकर खड़ी हो जाती है और यह अपने आप में चीन के लिए आँखों में आँखें डालने जैसा है।
खबर बनती है “Indian submarine INS Sindhukesari docks in Indonesia amid South China sea tensions”. जी हाँ भारत ने इंडोनेशिया के साथ में हाल ही के दिनों में एक agreement किया था जिसमें ये कहा था कि आपके समुंदर में हम अपनी submarines को लाएंगे और उसी क्रम में हमने ये कारनामा करके दिखा दिया है।
“In a first, Indian Navy submarine docks in Indonesia” खबर सब तरफ है। उम्मीद है आप सभी को इस खबर का महत्व समझ में आएगा। लेकिन उससे पहले कौन गया? कहाँ गया और कैसे गया ये सारी जानकारी आपको इस स्टोरी में मिल जाएगी।
तस्वीर में देखिए, हमारी सिंधु केसरी को। सिंधु केसरी वो पनडुब्बी है जो पानी के नीचे चलती है, युद्ध के हिसाब से काम में ली जाती है, गुपचुप यात्राएं करती है, इनकी यात्राओं को खास इसलिए माना जाता है कि कोई इनकी यात्राओं को ट्रैक ना कर पाए, सोनार से इन्हें पकड़ ना पाए. हमारी सिंधु केसरी बंगाल की खाड़ी से होते हुए इंडोनेशिया पहुंची है।
ये पहली बार है जब साउथ चाइना सी को लेकर चीन और अशियान देशों के विवाद के बीच भारत की कोई पनडुब्बी जकार्ता पहुंची है, इंडोनेशिया पहुंची है। इंडोनेशिया चीन के साथ फिलहाल समुद्री विवाद में फंसा हुआ है. भारतीय नौसेना ने कहा है कि यह तीन हजार टन वजन की डीजल और इलेक्ट्रिक पनडुब्बी है।
मतलब ऐसी है कि ये जब चलती है ना खड़े रहने के लिए डीजल का use करती है लेकिन जब इसे सेंधमारी करनी होती है, चुपके से कहीं निकलना होता है तो ये electric बटन use करके निकलती है. ताकि इसकी आवाज ना आए और आवाज ना आए तो सोनार से इसके बारे में पता नहीं चलता और जब सोनार से पता नहीं चलता तो ऐसी स्थिति में इसकी खोज लगा पाना बहुत मुश्किल होता है.
भारत की तरफ से बुधवार को आईएनएस सिंधु केसरी को सुंडा घाटी से होते हुए जकार्ता तक पहुंचा दिया गया. भारतीय वारशिप अक्सर इंडोनेशिया और अन्य ASEAN देशों का दौरा करते रहते हैं. लेकिन ये पहली बार है कि जब भारत ने अपनी सबमरीन को, खतरनाक हथियारों के साथ लैस करके साउथ चाइना सी में इतनी लंबी दूरी तक पहुंचा दिया हो।
ASEAN यानी association of south east asian nation जो है ये दस देशों का समूह है। इनमें कौन से दस देश हैं? म्यांमार, Lao PDR, Thailand, Cambodia, Vietnam, Malaysia, Singapore, Indonesia, Brunei, Philippines. ये दस देश, ASEAN country कहलाते हैं। भारत इन ASEAN के बारे में क्या सोचता है, क्या करता है ये भारत की सामान्यता look east policy के नाम से जाना जाता है।
साउथ चाइना sea की क्या कहानी है? अब चाइना आसियान country नहीं है। अब होता क्या है? आसियान countries के बीचों-बीच का जो पानी है, चूँकि ये चाइना के दक्षिण में है, इसलिए इसे साउथ चाइना sea के नाम से जाना जाता है. अब ये चाइना के दक्षिण वाला जो पानी है इस पानी के अंदर nine डैश लाइन की कल्पना चीन करता है. चीन ये मानता है कि इस पानी में मेरे पूर्वजों ने कभी भेड़-बकरियां तैराई थी इस वजह से वो इस पानी को अपना मानता है और परिभाषा देता है nine डैश लाइन की. ये nine डैश लाइन बढ़ते-बढ़ते इंडोनेशिया के नजदीक तक पहुँच जाती है जिसकी वजह से इंडोनेशिया को आपत्ति होती है.
ये जितने भी देश हैं चाहे ब्रोनेही हो, चाहे फिलीपींस हो, चाहे वियतनाम हो, चाहे मलेशिया हो इन्हें चीन के इसी क्लेम से बहुत दिक्कत है। उनका मानना है कि चीन उनके साथ धोखा कर रहा है। साउथ चाइना सी के अंदर जबरन अपना कब्जा स्थापित कर रहा है। इसी कब्जे के चलते इस पानी को लेकर अक्सर इन देशों का चीन के साथ विवाद बना रहता है और इसी विवाद को counter करने के लिए यहाँ पर ये देश आपको फिलीपींस दिखाई दे रहा है. इसने अपनी नौसेना के लिए दुनिया की सबसे तेज चलने वाली ब्रह्मोस मिसाइल भारत से खरीद ली है.
हाल ही में पांच दिन पहले अपनी नौसेना के बीस जवानों को भारतीय नौसेना से ट्रेनिंग भी दिलवाकर ले गया है. ऐसी स्थिति में यहां पर पूरी तरह से ब्रह्मोस पहुंच चुकी है. इनकी नौसेना के पास यानी इंडिया अब पूरी तरह से यहां पर ऐसी स्थिति के अंदर। इस पूरे पानी में अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए. ये जो फिलीपींस आपको दिख रहा है यहाँ ब्रह्मोस भेज चुका है.
ये जो इंडोनेशिया आप देख रहे हैं यहाँ पर अपनी सबमरीन भेज चुका है. ये दर्शाने के लिए कि साउथ चाइना सी में अगर कोई भ्रम हो तो ऐसा मुगालता मत पालना क्योंकि दुनिया की सबसे तेज मिसाइल इंडिया फिलीपींस को दे चुका है और उसे लगाकर इंडोनेशिया पर सबमरीन भेज चुका है. ये गजब का incidents चल रहा है। इसी incidents को आप यहाँ पर देखने के लिए एक चीज और समझे।
root कौन सा लिया था इन्होंने जाने के लिए? क्योंकि ये एक बहुत बड़ा सवाल है कि इंडिया यहाँ पर पहुंचा तो सही. लेकिन root कौन सा लिया था? देखिए यहाँ पहुंचने का तरीका क्या था हमारे पास? ये हमारा बंगाल की खाड़ी है? ये आपको अंडमान निकोबार island हैं। ये Strait of Malacca से होते हुए साउथ चाइना सी की एंट्री दुनिया के अक्सर देश करते हैं.
लेकिन भारत ने यहाँ पर एक अलग route अपनाया। इंडोनेशिया के दक्षिण में एक और Strait है जिसका नाम है Sunda Strait. इंडिया ने तरीका क्या अपनाया कि वो मलेशिया से होते हुए ये वाला Strait of Malacca अपनाने की जगह. इंडोनेशिया के अपने जो भूभाग है उनके बीच में एक रास्ता और है, जिसे हम Sunda Strait के नाम से जानते हैं. उससे हो करके साउथ चाइना सी में अपनी submarine को पहुंचा दिया है।
इंडियन नेवी submarine का जिसका नाम है सिंधु केसरी का जब ये इंडोनेशिया के जकार्ता तक पहुँचता है तो यहाँ पर ढोल-नगाड़े बजाकर स्वागत किया जाता है चौबीस फरवरी की ये तस्वीरें आप देख रहे हैं। इसका मतलब ये है कि इंडिया ने अपनी जो ग्लोबल पहचान है वो बहुत अच्छे से बनाकर दिखा दी है।
चलिए मैं आगे आपको लेकर चलता हूँ आपको कुछ खबरें और दिखाता हूँ जिससे कि आप इसको अच्छे से समझने लगे।The Indian Submarine was in Indonesia’s Jakarta from 22 to 24 Feb 23.
बाईस से लेकर चौबीस तारीख तक हम यहाँ थे। ये खबर दिखाई। साउथ चाइना सी पार करना हमारे लिए बहुत मायने रखता था। अब आप पूछेंगे अब तक पहली बार क्यों पहुंची है? इससे पहले क्यों नहीं पहुंच पा रही थी?
असल में भारत के प्रधानमंत्री और इंडोनेशिया के जो कि विवोडो के बीच में वर्ष दो हजार अठारह में एक एग्रीमेंट किया गया था, क्या एग्रीमेंट किया गया था? कि हम दोनों एक दूसरे के साथ मेरी टाइम सिक्योरिटी यानी समुद्री सुरक्षा पर काम करेंगे और जब समुद्री सुरक्षा पर काम करेंगे तो उस काम को करने के लिए इन दोनों ने मिलकर के agreemnt किया और जोको विवोडो जो है उन्होंने यहाँ पर इंडोनेशिया के साथ मिलकर के ये निश्चय किया कि हम आपकी सुरक्षा के लिए अपनी नेवी को भेजेंगे और हमने वही किया।
ऐसा करके हमने चीन की ना केवल दादागिरी पर रोक लगाई है बल्कि और जो आशियान देश है उनमें भी विश्वास जताया है कि आप तो बस हमारा साथ दे दो. इंडिया आपको चैलेंज देने के लिए साथ में आएगा। अब ताइवान, मलेशिया, फिलीपींस, वियतनाम को भी इंडिया से लेकर पनडुब्बी की गरज जगने लगेगी, उन्हें लगेगा कि अब कुछ भी हो ये जो चाइना इतना बड़ा एरिया अपना क्लेम करता है, इस क्लेम एरिया पर अगर कोई हमारा साथ देने के लिए खड़ा हो जाए, ये दस देश हैं, इधर से भारत साथ हो जाए, तो चीन फिर मुकाबला नहीं कर पाएगा और ऐसा अगर होता है, तो निश्चित ही एक बहुत बड़ी चीज बनेगी।
अब आपके दिमाग में सवाल आएगा। चाइना का claim कैसे चाइना decide करता है? चाइना कहता है once upon ए टाइम जब हमारे यहाँ पर शासन राजा-महाराजाओं का हुआ करता था। तो राजा महाराजा इस पूरे क्षेत्र को उसने नौ लाइनों में बाँट दिया, ये nine dash line बोले इन नौ लाइनों के अंदर जो भी पानी था वो हमारे राजा महाराजाओं के समय मछली पकड़ने के काम आता था अब ऐसी स्थिति में इसके भीतर जितने भी island है अब वो चाइना कहता है कि वो मेरे है.
असल मायने में पता है चक्कर क्या है? मछली तो मात्र एक बहाना है असल बहाना तो इस क्षेत्र के अंदर तेल और गैस के भंडार है. साथियों ये जो आपको यहाँ पर reefs दिखाई दे रही है, shallow water दिखाई दे रहा है. यहाँ पर बहुत सी जगह पर चीन के द्वारा अपने द्वारा कृत्रिम island बनाए गए है और उन कृत्रिम islands पर वो naval base बना रहा है क्योंकि इन पानी के reaves में वो अपने द्वारा drill करके तेल और गैस निकालने की योजना बना रहा है
मैं आपको एक मैप के अंदर जानकारी दिखाता हूँ ये जो आपको इंडोनेशिया दिखाई दे रहा है. इस इंडोनेशिया के ऊपर की तरफ यहाँ पर एक island है। इस island का नाम नाटूना island है, नाटूना मतलब मना ना करें जो. नाटूना जो island है उस island के आसपास का जो पानी है वो technically इंडोनेशिया का हुआ। चाइना कहता है कि नाटूना आइसलैंड के आस-पास का पानी आपका नहीं होगा।
क्यों नहीं होगा? बोले वो साउथ चाइना सी का हिस्सा है। ऐसी स्थिति में इंडोनेशिया का नाटूना आइलैंड के जो ऊपर वाला पानी है जिसे इंडोनेशिया नॉर्थ नाटूना सी के नाम से जानता है. चीन उस पर अपना कब्ज़ा करना चाहता है कि नॉर्थ नाटूना मेरा है। चीन का ये सोचना ही इंडोनेशिया को गवारा नहीं है और इस वजह से ये दोनों भीड़ मरते हैं और इस लड़ाई में ये नाटूना आइलैंड बहुत बड़ा रोल प्ले करता है।
क्योंकि नाटूना के ऊपर वाला जो पानी है इसको exclusive economic zone में रखते हुए नाटूना सी के नाम से जाना है. चीन कहता है कि ये मेरे nine डैश लाइन में आता है। इस वजह से naatuna भी मेरा है और इसका पानी भी मेरा है।
असल मायने में यहाँ तेल और गैस के रिच भंडार है. जिसे इंडोनेशिया निकालता है तो चाइना को दर्द होता है। ऐसी स्थिति में इंडोनेशिया चाहता है कि कोई इसकी रक्षा करे. भारत पहुंच गया है, ये है नार्थ नाचना सी का मामला। 2017 के अंदर तो इन दोनों के बीच में काफी ज्यादा खटपट हो गई थी इस वजह से इंडोनेशिया भारत के पास आया। बोले अपन के common interest हैं चलिए agreement करते हैं और 2018 में भारत सरकार ने यहाँ के जोको विविडो जो यहाँ के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं उनके साथ में agreement कर लिया और agreement करके यहाँ पर पूरी तरह से अपना साथ दे दिया।
यहाँ पर बहुत से island हैं. जैसे स्पार्टले आइलैंड जो आपको यहाँ पर दिखाई दे रहा हैं. पारासल आइलैंड भी यहीं पर हैं. स्पार्टले और पारासल ऐसे island हैं जो कि चाइना के द्वारा पूरी तरह से develop कर लिए गए हैं. तो कुल मिलाकर बात ये हैं कि इन साउथ चाइना सी के अंदर चीन के द्वारा इन आसपास के मुल्कों को गजब परेशान किया हुआ है.
ऐसी स्थिति में उन्हें सैन्य सहायता पहुंचाना इंडिया के लिए एक opportunity भी है और अपनी धाक जमाने जैसा भी है. तभी तो ये जो फिलीपींस है, इस फिलीपींस को हाल ही में भारत ने ब्रह्मोस पहुंचाकर ट्रेनिंग तक दे दी है कि ये लोग ब्रह्मोस मिसाइल खरीद लो बेच भी दी, बेचकर ट्रेनिंग भी दे दी, आपको जानकर आश्चर्य होगा, संभव है, इंडोनेशिया अब अगला वो देश हो, जो हमारी ब्रह्मोस खरीदे,
हमारे ब्रह्मोस बड़ी गजब है। वो नेवी के भी use में आती है, एयरफोर्स के भी use में आती है और थल सेना के use में भी आती है। सब लोग हंसी-खुशी उसका उपयोग कर सकते हैं। इंडिया उसका सौदा इनके साथ भी करने की तैयारी बना रहा है।
यहाँ पर जो पूरा मामला जो मैं आपको बता रहा हूँ. ये मामला पाँच सौ अरब डॉलर के गैस और तेल के भंडार का है। क्योंकि यहाँ पर असल में चाइना ये मानता है सेंटर for strategic इंटरनेशनल studies के अनुसार यहाँ पर पूरी तरह चीन उस गैस की value पांच सौ करोड़ आंक करके कब्ज़ा लेना चाहता है और इंडोनेशिया अपने नार्थ नटुना को बचाना चाहता है।
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चाइना tension with इंडोनेशिया in north सी. आप यहाँ पर सुर्ख़ियों के अंदर देख सकते हैं जो आपको यहाँ पर दिखाई पड़ रहा है आप इसे समझ सकते हैं। उम्मीद है आपको ये बात क्लियर हो रही हो। अब साउथ चाइना सी की इतनी अहमियत है क्यों? केवल इंडोनेशिया के लिए ये अह अहम है या फिर हमारे लिए भी अहम है, हम थोडा-सा इस बारे में भी जानना चाहेंगे।
असल मायने में ये जो साउथ चाइना सी है ना, यहाँ से होकर के लगभग दो सौ छियालीस लाख करोड़ रुपए का सालाना कारोबार होता है। जिसमें से भारत का तेरह दशमलव आठ लाख करोड़ का कारोबार शामिल है। दुनिया भर में होने वाले समुद्री trade का लगभग एक तिहाई कारोबार इस साउथ चाइना सी से होता है।
अब आप पूछेंगे ऐसा क्यों? क्योंकि जो देश भी चीन के साथ व्यापार करना चाहते हैं वो भी इसी देश के through करते हैं, इसी समुद्र के through करते हैं। इतना ही नहीं, जो देश अमेरिका के साथ व्यापार करना चाहते हैं, या आसियान countries के साथ व्यापार करना चाहते हैं, वो भी साउथ चाइना सी के होकर करते हैं,
चाइना से सामान मंगाना है, इंडिया आना है, यहीं से आएगा। चाइना को तेल मंगाना है, gulf country से तो यहीं से आएगा। चाइना से आसियान देशों को अपना सामान बेचना है, इसी समुद्र से बेचेंगे। इंडिया को अमेरिका जाना है, via pacific ocean यहीं से जाना है। इंडिया को जापान जाना है, यहीं से जाना है।
कहने का मतलब ये दुनिया के एक तिहाई व्यापार का बहुत बड़ा रास्ता है. ऐसी स्थिति में इस पर चाइना अपनी दादागिरी करके दुनिया के एक तिहाई route को अपने कब्जे में रखना चाहता है। एक तरह से इस route पर जब इसका कब्जा होगा इसकी मर्जी और इसकी दादागिरी चलेगी तो दुनिया को उसका लोहा मानना पड़ेगा और उसके साथ व्यापारिक रूप से संबंध अच्छे रखने होंगे।
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