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दवाइयों की असली सच्चाई और भारत में फार्मेसी बिजनेस का सफर, Madhukar Gangaadi Life Story

Madhukar Gangaadi Life Story

Madhukar Gangaadi Life Story: आज हम बात करेंगे भारत की मेडिकल इंडस्ट्री में गुणवत्ता, व्यापार, और विश्वास की। इस लेख में हम मेडप्लस हेल्थ सर्विसेज लिमिटेड के फाउंडर और सीईओ, मधुकर गंगाड़ी की कहानी से सीखेंगे, जिन्होंने मेडिकल स्टोर के मॉडल को बदलकर इसे बेहद प्रभावी और भरोसेमंद बनाया। उनकी यात्रा मेडिकल स्टूडेंट से लेकर एक सफल एंटरप्रेन्योर तक अद्भुत है।

Madhukar Gangaadi Life Story

क्या आपकी दवाई असली है?

क्या कभी आपने सोचा है कि जो दवाइयां आप खरीदते हैं, वो असली हैं या नकली? WHO की रिपोर्ट में बताया गया है कि वैश्विक नकली दवाओं का 30% उत्पादन भारत में होता है। यह आंकड़ा न केवल चौंकाने वाला है, बल्कि हमारे स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा भी है। नकली दवाएं न केवल बीमारी ठीक करने में नाकाम होती हैं, बल्कि हमारे शरीर पर गंभीर प्रभाव छोड़ सकती हैं।

बड़ा सवाल यह है कि दवा के नाम पर जो हमें बेचा जा रहा है, क्या वह हमारी बीमारी के लिए सही है? दवाई के निर्माण की प्रक्रिया इसका मुख्य हिस्सा है। अगर सही गुणवत्ता और मिक्सिंग प्रक्रिया को नहीं अपनाया गया तो दवा प्रभावी नहीं होती।

यही कारण है कि गुणवत्तापूर्ण दवाएं चुननी और उन्हें सही तरीके से उपयोग में लाना बेहद जरूरी है, खासकर एंटीबायोटिक्स जैसे मामलों में। गलत एंटीबायोटिक लेने से बैक्टीरिया में प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो सकती है, जिसे अन्य दवाइयों से मार पाना असंभव हो सकता है।

मेडप्लस की शुरुआत और विचारधारा

मधुकर गंगाड़ी ने 2005 में मेडप्लस की शुरुआत की, जब उन्होंने महसूस किया कि भारत में नकली दवाइयों की समस्या को सुलझाने की जरूरत है। उनके विजन का केंद्र बिंदु था ग्राहकों को “जेन्युइन” दवाइयां देना। उन्होंने अपने स्टोर्स को इंटरनेट से जोड़कर यह सुनिश्चित किया कि हर स्टोर पर सभी दवाएं उपलब्ध हों।

पहली 47 स्टोर्स – तेज़ी और विश्वास का सफर

सिर्फ चार महीनों में उन्होंने हैदराबाद में 47 स्टोर्स खोलकर यह दिखाया कि ग्राहकों का भरोसा कैसे जीता जा सकता है। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि ग्राहक के समय और पैसे की बचत हो। जहां सामान्य मेडिकल स्टोर्स पर सीमित दवाइयां मिलती थीं, वहां मेडप्लस के हर स्टोर ने इंटर-कनेक्टेड सिस्टम के जरिए फुलफिलमेंट को बढ़ाया।

पहली फंडिंग और ग्रोथ की कहानी

पहली शुरुआती फंडिंग $500,000 (तकरीबन 4 करोड़ रुपये) दोस्तों और रिश्तेदारों से जुटाई गई। इसके बाद 2007 में 100 करोड़ की फंडिंग मिली और बिजनेस मुनाफे की ओर बढ़ने लगा। धीरे-धीरे उन्होंने 4500 स्टोर्स के साथ ग्राहकों के बीच अपना नेटवर्क बनाया।

भारत में फार्मा इंडस्ट्री की व्यापकता

भारत दुनियाभर में जेनरिक दवाओं का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। 90% से अधिक जेनरिक दवाएं जो अमेरिका में बिकती हैं, वे भारत में बनाई जाती हैं। फिर भी, हमारे अपने देश में गुणवत्ता की समस्या बनी हुई है।

नकली दवाइयों की समस्या

सरकारी अस्पतालों और डिपो में भी नकली दवाइयों का पाया जाना चिंताजनक है। जो संस्थाएं अपनी कीमतें कम रखने पर ज्यादा ध्यान देती हैं, वे गुणवत्ता की अनदेखी कर सकती हैं।

विश्वास का संकट

छोटे मेडिकल स्टोर्स या डॉक्टर और केमिस्ट के बीच संबंधों पर सवाल खड़े किए जाते हैं। कई बार डॉक्टर केवल उन ब्रांड्स की दवा लिखते हैं, जिनसे उन्हें कमिशन मिलता है।

इसलिए, ग्राहकों को यह जरूर देखना चाहिए कि जो दवा वे ले रहे हैं, उसका निर्माता विश्वसनीय है या नहीं।

मेडप्लस की रणनीति – ग्राहक को प्राथमिकता

  1. गुणवत्तापूर्ण दवाएं: मेडप्लस ने शुरुआत से यह सुनिश्चित किया कि उनकी सभी दवाएं प्रतिष्ठित और प्रमाणित निर्माण संयंत्रों में बनी हों।
  2. छूट और बचत: ग्राहकों को समय-समय पर 20% तक छूट देकर उन्होंने ब्रांड के प्रति वफादारी बढ़ाई।
  3. इंटर-कनेक्टेड सिस्टम: हर स्टोर आपस में जुड़ा, जिससे इन्वेंट्री की समस्या खत्म हो गई।
  4. ब्रांडेड जेनरिक्स: मेडप्लस अब अपनी पहचान के तहत गुणवत्तापूर्ण दवाइयां बना रही है, ताकि लोग ब्रांड पर भरोसा कर सकें।

भारत के लिए नवाचार और संभावनाएं

भारत में सस्ती दवाओं का निर्माण एक मजबूत पक्ष है, लेकिन असली चुनौती इनोवेशन और रिसर्च हैं। कई विशेषज्ञ यह बात मानते हैं कि हमें केवल सस्ती दवाएं बनाने तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि नई खोजों और गुणवत्ता मानकों को बढ़ाना चाहिए।

आने वाले 10 सालों का विजन

मधुकर गंगाड़ी का विजन है कि मेडप्लस आने वाले वर्षों में भारतीय फार्मा बाजार का 20% हिस्सा ले, जो कि 50,000 करोड़ रुपये से अधिक होगा। उनका उद्देश्य वैश्विक गुणवत्ता मानकों को अपनाकर मेडप्लस की पहचान को और मजबूत करना है।

भारत की अगली बड़ी बिजनेस संभावनाएं

मधुकर के अनुसार, भारत में कम लागत वाले आवास (Low-Cost Housing) एक बड़ा बाजार बन सकते हैं। अगर कोई उद्यमी 600 वर्ग फुट का घर 10-12 लाख रुपये में प्रदान कर सके, तो यह हर भारतीय के लिए एक बड़ी सफलता होगी।

आपके घर की फर्स्ट एड किट में क्या होना चाहिए?

हर घर में निम्नलिखित चीजें जरूर होनी चाहिए:

  • बुखार की दवा (जैसे पैरासिटामॉल)
  • दर्द निवारक दवाएं
  • ORS पाउडर (डिहाइड्रेशन के लिए)
  • बैंडेज और एंटीस्पेटिक क्रीम
  • डायरिया रोकने वाली दवा

निष्कर्ष

भारत की फार्मा इंडस्ट्री बदल रही है, लेकिन चुनौतियां अभी भी हैं। नकली दवाओं से लड़ने से लेकर गुणवत्तापूर्ण उत्पादों को बढ़ावा देने तक, यह इंडस्ट्री बड़े बदलाव के कगार पर खड़ी है।

मेडप्लस जैसे ब्रांड दिखाते हैं कि सही मूल्य और विश्वसनीयता के साथ आप ग्राहकों के दिलों में जगह बना सकते हैं। अगले दशक में भारत के उद्यमी और इनोवेटर्स वैश्विक मंच पर अपनी छाप छोड़ सकते हैं, बशर्ते वे बड़े सपने देखने की हिम्मत करें।

आपकी सेहत, आपके फैसले। सही जानकारी लें और सही चुनाव करें।

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