विदेश में पढ़ने के लिए एजुकेशन लोन का डिस्बर्समेंट प्रोसेस क्या होता है? Abroad Education Loan Disbursement Process, Explained For All Lenders

Abroad Education Loan Disbursement Process

Abroad Education Loan Disbursement Process: क्या आप जानते है कि कई students को loan disbursement में delay की वजह से कई तरह के मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, जैसे कि अपने personal expenses को manage करना और session को time पर ज्वाइन न कर पाना, इत्यादि।

ऐसे challenges की वजह से students की performance impact होती है और जो कीमती समय उनको अपनी पढ़ाई पे ध्यान देने में लगाना चाहिए वो भी बर्बाद होता है. 

आज हम आपको यहाँ पर abroad education loan के disbursement process के बारे में बताएँगे। साथ ही हम ये भी जानेंगे कि कैसे आप ये ensure कर सकते है कि आपका loan time से लेंडर्स द्वारा डिस्बर्स हो.

दोस्तों ये article कई sections में divided है. 

पहले सेक्शन में हम बात करेंगे कि ट्यूशन फीस कैसे और कब डिस्बर्स होगा?  

दूसरे section में हम ये जानेंगे कि living expenses को कैसे डिस्बर्स किया जाता है.

तीसरा और आखिरी सेक्शन होगा reimbursement के ऊपर.

इससे पहले की हम ये जानें कि Loan disbursement का process क्या होता है? हमारे लिए ये जानना जरूरी है कि education लोन sanction और एजुकेशन लोन disbursement में क्या difference है? 

लोन सेंक्शन में बैंक requested लोन अमाउंट को borrower को देने के लिए agreement करता है और  loan disbursement में बैंक या तो सारा amount या partial amount आपको या आपकी beneficiary को transfer करता है. 

दोस्तों loan disbursement process के steps bank to bank अलग-अलग हो सकते है. आम तौर पे ये कुछ इस तरह से चलता है. 

पहले आपको loan का sanction letter दिया जाता है. इसके बाद आपको KYC और OSV यानी की original seal and verified processes को पूरे करने होते हैं।

OSV में lender आपके original documents की जांच करते हैं और उन्हें स्कैन्ड copies और original से मिलान करते हैं. OSV process में आपका ID proof, proof of address, university acceptance letter, university का fee structure इत्यादि देखा जाता है. 

इसके बाद या तो NACH फॉर्म या cheques bank को देने होते हैं. ये दोनों ही आपके approved loan अमाउंट के आधार पर बनाए जाते हैं. 

NACH फॉर्म एक तरह का डिक्लेरेशन फॉर्म होता है, जिसमें कस्टमर ये स्पेसिफाई करता है कि किस अकाउंट से लोन की ईएमआई deduct की जाएगी। जो चेक आप सबमिट करेंगे वो undated, ब्लैंक और क्रॉसड होंगे. इन दोनों ही ऑप्शन में कोई चिंता की बात नहीं है, क्योंकि ये सारे लेंडर्स आरबीआई द्वारा रेगुलेटेड होते हैं. 

अगले स्टेप में आपको एक लोन एग्रीमेंट मिलता है. जिसमें आपके लोन से रिलेटेड सारी डिटेल्स मेंशन होती है. जैसे कि आपका लोन अमाउंट, इंटरेस्ट रेट, रिपेयमेंट पीरियड, इत्यादि।

इन टर्म्स एंड कंडीशंस को समझने के बाद आपको लोन एग्रीमेंट पे साइन करना होता है. ये सिग्नेचर कुछ केसेस में फिजिकल और कुछ केसेस में डिजिटली किया जाता है. हर इंडिविजुअल जो लोन से डायरेक्टली या इनडायरेक्टली जुड़ा होता है उसे एग्रीमेंट पे साइन करना ही होता है

एग्जांपल के लिए अगर आपके अंकल को-एप्लीकेंट है, तो आपको आपके अंकल को, आपकी मदर और आपके फादर को एग्रीमेंट पे साइन करना होता है. अगर आप कोलैटरल के बेसिस पे लोन ले रहे हैं, तो आपको प्रॉपर्टी पेपर्स मोरगेज क्रिएशन के लिए हैंडओवर करने होंगे, वो भी ओरिजिनल में. 

ये केवाईसी और ओएसवी की स्टेज में किया जाता है. कुछ केसेस में ये साइनिंग प्रोसेस के दौरान भी किया जाता है. ये सब paperwork हो जाने के बाद आपका loan account ready होता है और इसके बाद आपको आपको लोन अकाउंट का एक्सेस मिल जाता है.

सभी बैंकों के लिए चाहे वो public sector bank हो या private sector bank, tuition fees disbursement का एक similar pattern होता है. bank tuition fees को directly university या college के खाते में disbursed करता है. 

disbursement process को initiate करने के लिए आपको एक simple सा  disbursement form भरना होता है. इस फॉर्म में आपके college के account details और tuition fees से related information आपको भरनी होगी। इस फॉर्म को भरने के बाद, आप बैंक में जमा कर दीजिये और इसके बाद का पूरा काम बैंक अपने आप करेगा। 

एक अच्छी बात ये है कि ये फॉर्म सिर्फ आपको एक बार भरना होता है. बाद के डिस्बर्सल के लिए आपको सिर्फ बैंक को ईमेल के द्वारा बस कम्यूनिकेट करना होता है. 

अब बात करते हैं एनबीएफ़सी और इंटरनेशनल lenders के disbursement process के बारे में. ये lenders university के साथ खुद coordinate करके ये ensure करते हैं कि आपकी फीस due date से पहले disbursed हो जाए. 

कुछ cases में जहाँ students को visa interview के दौरान अपने account में funds दिखाने होते है, वहाँ पे lender amount को student के account में transfer करता है, लेकिन ये amount blocked होता है just like a non renewable FD. 

फिर भी अगर आपको किसी भी वजह से funds पहले चाहिए तो आप इन lenders को special request raise कर सकते है. कुछ universities में आपको fees third party app जैसे कि global pay, flywire या

transfer wise के through pay करनी होती है. 

अगर आपकी university में भी ऐसी कोई बाध्यता है तो आपको lender को इस बारे में पहले से ही inform करना होगा. हर scenario में tuition fees या तो semester wise या फिर annual basis पे disbursed की जाती है.

disbursement process के पहले आपको form A2 भरना होता है. foreign remittance declaration

form A2 एक ऐसा document है, जो India से पैसे बाहर transfer करते दौरान भरना अनिवार्य है. ये जो form है ये आपको authorized dealer को submit करना होगा जो कि आपके पैसे India से बाहर भेजेगा। ये third party app के केस में भी required होता है। 

अब बात करते हैं living expenses के disbursement के बारे में. 

Living expenses के केस में funds को एक forex account में transfer किया जाता है. ज्यादातर banks में भी ये recommended होता है कि living expenses का कुछ हिस्सा आप अपने forex travel card जिसको एफटीसी भी कहते हैं इसके रूप में ले लें. 

ये एक debit card की तरह function करता है और आपकी initial expenses को manage करने के लिए ये काफी अच्छा tool साबित हो सकता है. 

अपने stay destination में पहुँचने के बाद और अपने forex account को setup करने के बाद आप बचे हुए living expenses को अपने forex account में disbursed करवा सकते है. अगर आप college campus में रह रहे है तो आपकी living expenses का कुछ हिस्सा specifically accommodation cost, college

campus के account में directly disbursed किया जाता है. 

अब आते है उन expenses पे जो fly करने की पहले होते है जैसे की laptop purchase, flight ticket booking, इत्यादि. loan apply करते समय इन खर्चों को ध्यान में रखना जरूरी है और ये भी ज़रूरी है कि loan application में आप इन खर्चों को मेंशन करे. ऐसा करने पे लोन अमाउंट पे ये चीजें भी ऐड कर दी जाएगी. 

अगर आप इन पे ऑलरेडी पैसा खर्च कर चुके हैं तो चिंता करने की कोई बात नहीं. बस आप इनकी receipts और बिल्स को संभाल के रखें. इन बिल्स को देने पे बैंक आपको इनका पैसा रिम्बर्स कर देगा. 

जब तक ये expenses आपके लोन एग्रीमेंट का पार्ट है. इस process को reimbursement कहते हैं और ये सिर्फ फ्लाई करने के पहले के लिए ही वैलिड नहीं है. बल्कि ये जो reimbursement का process है, ये किसी भी expense के लिए जैसे कि fees payment के लिए भी valid है. 

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