Mystery of Burj Khalifa: 6 जनवरी 2004 दुबई के रेत में खुदाई का काम शुरू होता है. दुनिया की सबसे ऊंची इमारत बनाने के लिए. साल 2004 के end तक actually में दुनिया की सबसे ऊंची इमारत थी TAIPEI-101. ताइवान में ये इमारत जिसकी height 500 मीटर से थोड़ी सी ज्यादा थी. लेकिन दुबई में जो लोग achieve करने की कोशिश कर रहे थे, वो अपने आप में unimaginable और रिकॉर्ड breaking था.
वो building को इतना ऊंचा बनाना चाहते थे कि ये ना सिर्फ दुनिया की सबसे tallest building हो बल्कि सेकंड टॉलेस्ट बिल्डिंग से 62% ज्यादा ऊँची हो. इतना difference बन जाए tallest और सेकंड टॉलिस के बीच में कि अगली बारी कोई इस रिकॉर्ड को तोड़ना चाहे तो वो दो बार सोचे।
बुर्ज खलीफा से पहले जितनी भी world tallest बन बिल्डिंगे रही थी वो पिछली world के tallest बिल्डिंगों से 5 या 10% ज्यादा ऊँची होती थी. ज्यादा से ज्यादा 19% ज्यादा ऊँची होती थी.
लेकिन यहां पर सीधा 829 meters तक ले जाने की बात करी जा रही थी. हाइट में करीब 62% का difference. करीब साढ़े 5 साल का समय लगता है इस building (Burj Khalifa) को construct करने में. 1 October 2009 को Burj Khalifa की construction खत्म होती है और दुनिया को हैरान करके रख देती है ये इमारत।
Burj Khalifa के success को देखकर कई देशों ने announcements करी कि वो इससे भी ज्यादा ऊँची इमारत बनाएँगे। कईयों ने कोशिश भी करी लेकिन सारे plans अभी तक flop रहे हैं. 13 साल से ज्यादा हो गए हैं और अभी तक Burj Khalifa का record कोई beat नहीं कर पाया है.
क्या कारण है कि इसके पीछे आखिर क्यों इतना मुश्किल है इसके हाइट के record को beat करना और practically देखा जाए तो आखिर कितनी ऊंची इमारत बनाना possible है इंसानों के लिए. आइए इस स्टोरी में जानने की कोशिश करते है.
Mystery of Burj Khalifa:दुबई के बुर्ज खलीफा की अनसुनी कहानी
दुनिया का सबसे पहला और सबसे ऊँचा स्ट्रक्चर:The Great Pyramid of Giza
दोस्तों The great pyramid of Giza करीब 4000 सालों के लिए इंसानों के द्वारा बनाया गया दुनिया का सबसे ऊँचा स्ट्रक्चर रहा था. इसे बनाया गया थे साल 2500 BC के around. यह एक tomb के तौर पर बना थे फैरो कुफू के लिए और इसकी Height है 145 meters.
इस रिकॉर्ड को सिर्फ 1300 साल के बाद ही तोडा गया जब इंग्लैंड में एक कैथेड्रल बना जिसकी हाइट थी 160 meters. अगले 500 सालों तक इस रिकॉर्ड को एक church के बाद, दूसरे church ने ही तोड़ा। जब तक साल 1889 में एफिल टावर नहीं बन गया।
लेकिन आईफील टावर भी एक बिल्डिंग नहीं है। मतलब ऐसी बिल्डिंग नहीं है जहाँ पर लोग रह सकते हैं या लोग काम करने के लिए जा सकते हैं। अगर प्रॉपर बिल्डिंगों की बात करें तो शिकागो होम insurance की 1884 में बनी बिल्डिंग को कहा जाता है कि वो दुनिया की पहली skyscraper है। क्योंकि वो एक ऐसी बिल्डिंग थी जो इंसानों के लिए बनाई गई थी. जहाँ पर लोग काम करने के लिए जा सकें। as an ऑफिस space use कर सकें।
इससे पहले जितनी भी ऊँची इमारतें थी उन्हें या तो राजा महाराजाओं के लिए बनाया जाता था या फिर भगवानों के लिए बनाया जाता था। तो ये एक बहुत बड़ा turning point था इंसानों के इतिहास में. हालांकि ये बिल्डिंग कोई इतनी ऊँची नहीं थी सिर्फ 55 मीटर्स की थी. ग्रेट पिरामिड ऑफ गीजा से भी छोटी थी. लेकिन इसके बाद से ही ऐसी innovation और technology आ पाई कि हम रहने लायक ऊँची बिल्डिंगे बना सके.
शुरुआत में न्यूयॉर्क और शिकागो बड़ी-बड़ी बिल्डिंग्स बननी शुरू हुई
तो शुरुआत में जो competition था ऊँची-ऊँची बिल्डिंगे बनाने का ये सिर्फ न्यूयॉर्क और शिकागो के शहरों में देखने को मिला क्योंकि अमेरिका दुनिया की largest और most productive economy थी nineteenth century के end तक और ये दो शहर central शहर थे जहाँ पे सबसे ज्यादा economic boom देखने को मिल रही थी. इन शहरों में बहुत से लोग आकर रहना चाहते थे.
बड़ी companies के द्वारा बड़ी ऑफिस spaces की demand थी और लोगों को बेहतर तरीके से शहर में accommodate करने के लिए ये skyscraper बनाने की जरूरत पड़ी।
यहाँ पर कुछ honourable mentions है जैसे कि न्यूयॉर्क की empire state building जो साल 1931 से लेकर 1971 तक दुनिया की सबसे ऊँची building बनी रही थी. 40 साल तक इसने रिकॉर्ड को hold किया और अगर मॉडर्न जमाने में compare करोगे तो इसने इस रिकॉर्ड को सबसे ज्यादा समय तक hold किए रखा।
1971 में इसको beat किया न्यूयॉर्क की ही एक और बिल्डिंग ने जिसका नाम था world trade center और इसकी ऊंचाई 417 मीटर्स थी. empire state building के 381 मीटर से 9% ज्यादा।
बड़ी-बड़ी बिल्डिंग्स का बनना जब अमेरिका से एशिया की तरफ शिफ्ट हुआ
साल 1998 में ये competition अमेरिका से बाहर निकला और एशिया की तरफ शिफ्ट हुआ। जब मलेशिया के कुआलालम्पुर में बनाए गए थे 452 मीटर हाइट की पेट्रोनास टावर। इन्हें साल 2004 तक world के tallest बिल्डिंग का दर्जा दिया गया. जिसके बाद TAIPEI 101 ने इन्हें बीट किया और 2009 में सबसे बड़े मार्जिन से बुर्ज खलीफा ने इन सब को बीट कर दिया। 510 मीटर से सीधा 828 meters की छलांग।
बुर्ज खलीफा इतना लंबा क्यों बनाया गया
शुरू में जब Burj Khalifa की planning करी जा रही थी तो इसकी initially proposed height 550 मीटर तक रखी गई थी। planning के वक्त धीरे-धीरे कहा गया कि नहीं और बढ़ा देते हैं, और बढ़ा देते हैं और इतनी बढ़ा ली। reason था कि दुबई का जो डाउन टाउन एरिया होगा उसकी ये बिल्डिंग सेंटर अट्रैक्शन होगी.
1990s से पहले असल में बात क्या है, दुबई एक फिशिंग और फॉल डाइविंग का एक गांव हुआ करता था. जिसने रिसेंटली तेल डिस्कवर किया था. लेकिन लेट 1990s और early 2000 तक आते-आते दुबई के लीडर्स चाहते थे कि वो अपनी इकॉनमी diversify करें। तेल पर डिपेंडेंस से आगे बढ़े.
वो चाहते थे कि दुबई एक इंटरनेशनल टूरिज्म hub बन जाए। इंटरनेशनल अटेंशन देने के लिए और इन्वेस्टमेंट लाने के लिए यहाँ पर उन्हें कुछ ऐसा करना था जिससे कि पूरी दुनिया हैरान होकर रह जाए। बुर्ज खलीफा इतनी लंबी बिल्डिंग है कि अगर आप इसके ऊपर से नीचे तक छलांग लगाओगे तो आपको 13 सेकंड लग सकते हैं, नीचे आने में, अगर कोई एयर रेजिस्टेंस ना हो तो।
अगर आप हवा को और एयर रेजिस्टेंस को अकाउंट में लेकर चलोगे तो ऊपर से कूदकर नीचे तक आने में आपको 20 सेकंड तक का समय लग सकता है। बुर्ज खलीफा इतनी ऊंची है कि अगर आप इसके नीचे खड़े होकर sunset देखोगे और जल्दी से लिफ्ट लेकर ऊपर तक जाओगे तो आप sunset को दोबारा देख सकते हो.
बुर्ज खलीफा को बनाने का मकसद क्या था और इसे बनाने में कितना खर्चा हुआ?
इस पूरी building को बनाने में 1.5 billion dollars की cost पड़ी। 12000 से ज्यादा workers लगे जो कि सौ अलग-अलग nationalities से आए थे और 22 मिलियन man hours का समय लगे थे. लेकिन जिस purpose से इस building को बनाया गया था वो purpose काफी successful रहा. आज के दिन दुबई ना सिर्फ एक बढ़िया इंटरनेशनल tourism की destination बन चुका है. बल्कि एक economic hub भी बन चुका है.
ढेर सारी companies अपने offices आकर दुबई में खोलना चाहती हैं, लोग आकर दुबई में रहना चाहते हैं, property खरीदना चाहते है और जिस downtown के area में बुर्ज खलीफा को बनाया गया है वहाँ property का प्राइस इतना बढ़ गया है कि 1.5 बिलियन dollars तो बड़ी आसानी से recover हो गए.
बुर्ज खलीफा से बड़ा बिल्डिंग क्यों नहीं बन पा रही है?
अब सवाल ये उठता है कि ऐसा क्या है बुर्ज खलीफा में जिसकी वजह से इसको बीट करना इतना मुश्किल हो रहा है और इससे ऊंचा अगर बनाने की कोशिश करी गई तो realistically कितना ऊंचा इंसान बना सकते है. ये जानने के लिए पहले ये समझना होगा कि क्या problems आती है जब इतनी ऊँची buildings बनाई जाती है तो जब building इतनी ऊँची बनेगी तो उसे खुद का वजन सपोर्ट करना पड़ेगा।
इतनी height पर बहुत तेज़ हवाएँ चलती है तो उसे ensure करना पड़ेगा कि हवाओं से कोई damage ना हो और Burj Khalifa ने इन सारे challenges को overcome किया अपने innovative design के चलते। इसका design अगर आप ऊपर से देखोगे तो यह बिल्डिंग Y shape में है, एक tripod की तरह, 3 wings आ रहे है building के जिन्हें support किया गया है एक hexagonal core के साथ जो center में लगाया गया है.
इस structural system को कहा जाता है buttressed core और इसे invent किया गया था. Burj Khalifa के structural engineer Bill Baker के द्वारा। इस structural system को पहली बार इस्तेमाल किया साउथ कोरिया में एक सैमसंग टावर पैलेस-3 बना था। जिसकी height 264 meters थी.
उसके success के बाद architects ने realize किया कि actually में अगर हम इस system को इस्तेमाल करेंगे तो बहुत ऊंचा जा सकते हैं और सिर्फ इसी की मदद से ही Burj Khalifa इतनी ऊंची बन पाई। इतनी ऊंची कि इससे second tallest building 300 मीटर छोटी थी और Burj Khalifa सिर्फ दुनिया की दूसरी building थी जिसमें इस buttressed core system का इस्तेमाल किया गया।
इसी system की मदद से जो हवाएं बहती हैं, उस हवा का impact कम किया जा सकता है। इसे आप तुलना कीजिए न्यूयॉर्क की नई residential बिल्डिंग से जो बहुत ऊंची बनाई गई है. ये बिल्डिंग्स सुपर tall की category में आती है. लेकिन उन्होंने इस buttressed core system का इस्तेमाल नहीं किया है तो उसके लिए क्या करना पड़ रहा है. उन buildings में हवाओं से बचने के लिए कुछ floors खाली छोड़ने पड़ रहे हैं जिससे हवा pass through कर सके. जैसे कि ये 432 मीटर की पार्क avenue building.
इसके अलावा बुर्ज खलीफा की जो foundation है उसके नीचे 192 concrete और steel columns लगाए गए हैं। ये column 50 मीटर नीचे तक जाते हैं, जमीन के अंदर। लेकिन ऊपर की बिल्डिंग को बनाने के लिए concrete को ऊपर भी transfer करना पड़ेगा, ले जाना पड़ेगा ऊपर तक और ये करने के लिए दुनिया के largest concrete pumps बनाए गए थे.
Burj Khalifa को बनाने के लिए building के exterior की बात करें तो एक लाख square meter से ज्यादा glass इस्तेमाल किया गया building के बाहर जो कि आप photos में देख ही सकते हैं.
वर्ल्ड का सबसे बड़ा LED स्क्रीन लगा है बुर्ज खलीफा पर
यहाँ पर ज्यादा हैरान कर देने वाली बात ये है कि Burj Khalifa के बाहर लगा है, दुनिया का largest एलईडी स्क्रीन। सही सुना आपने world’s biggest एलईडी स्क्रीन। यही कारण है जिसकी वजह से आप बुर्ज खलीफा के ऊपर light shows देख सकते हो।
रंग-बिरंगे designs और patterns देख सकते हो और तो और मूवी के trailers भी देख सकते हो. हाल ही में पठान फिल्म के release होने से पहले शाहरुख खान Burj Khalifa के सामने खड़े थे जब Burj Khalifa के ऊपर पठान फिल्म का trailer दिखाया जा रहा था.
ये कैसे possible हो सकता है? पूरा का पूरा मूवी का trailer यहाँ building पर दिखाया जा रहा है. शायद आपको लगे कि ये projection करी जा रही है projector के through building पर project किया जा रहा है trailer को. लेकिन ऐसा नहीं है! building के ऊपर एलईडी lights लगाई गई है जैसे कि आपके computer screen और टीवी में छोटी-छोटी एलईडी lights मौजूद होती है और total में 1.2 मिलियन एलईडी lights इस बिल्डिंग पर लगाई गई।
एक सवाल आपके दिमाग में आएगा जब ऐसा किया जाता है जो लोग बुर्ज खलीफा के अंदर रह रहे हैं, होटलों में रह रहे हैं, घरों में रह रहे हैं, उनके लिए प्रॉब्लम नहीं होगी, उन्हें अपने शीशे पे हमेशा कोई फिल्म चलती हुई दिखती रहेगी, ये लाइट दिखती रहेंगी।
इसका जवाब है दोस्तों, नहीं। अगली बार बुर्ज खलीफा पर जाओ लाइट शो के दौरान थोड़ी और पास से देखना जो ये लाइटें हैं ये पूरी बिल्डिंग पर स्प्रेड आउट होकर नहीं लगी हुई हैं ये सिर्फ फ्रेम्स पर लगी हुई हैं और उतना ही काफी है जब आप इसे दूर से देखते हो ऐसा लगे कि वीडियो चल रहा हो.
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इन बड़ी-बड़ी skyscraper के बाहर जो frames लगाए होते हैं, जो लगाए होते हैं वो अक्सर दूर बने होते हैं aluminum composite से. आज के दिन same materials का लोग इस्तेमाल करते हैं दीवारों पर डिजाइन बनाने में भी. अपनी दुकानों के बाहर जो sign boards लगे होते हैं वहां पर भी अक्सर लोग इसका इस्तेमाल करते हैं. ढेर सारे uses हैं इसके।
इतनी ऊँची बिल्डिंगों में एक और problem रहती है. मान लो अगर आप 168 floor पर रहने लग रहे हो, Burj Khalifa के और आग लग जाती है building में तो क्या आप सीढ़ियों से 168 फ्लोर नीचे उतरोगे। ऐसे ही scenarios के लिए emergency के cases के लिए building में हर 25 floor बाद pressurized और air conditioned refuse areas है. इसके अलावा stair cases को fire proof कंक्रीट के साथ बनाया गया है ताकि आग फैले ना।
भविष्य में कौन सी बिल्डिंग हैं, जो बुर्ज खलीफा से भी ज्यादा ऊँची बन सकती है?
आने वाले टाइम में ऐसी कौन सी बिल्डिंग हैं जो बुर्ज खलीफा से भी ज्यादा ऊँची बन सकती है। यहाँ एक interesting चीज note करने वाली है कि पिछले 12 सालो में हालांकि कोई बिल्डिंग बुर्ज खलीफा को beat नहीं कर पाई है. लेकिन फिर भी जो 20 tallest बिल्डिंग हैं आज के दिन उनमें से 17 ऐसी हैं जो बुर्ज खलीफा के बाद बनाई गई है।
जैसे कि Merdeka 118, जिसकी हाइट 679 मीटर्स है और जो कुआलालम्पुर में अभी बनने लग रही है। ये mid 2023 में officially खुलेगी। लेकिन ये already दुनिया की सेकंड tallest बिल्डिंग बन चुकी है।
अच्छी कोशिश है लेकिन 679 मीटर्स, 828 मीटर से अभी भी बहुत दूर है। लेकिन कई ऐसी बिल्डिंग है जो प्लान करी गई है कि बुर्ज खलीफा से ऊँची होंगी। उनमें से कम से कम दो ऐसी बिल्डिंग हैं जो already बननी शुरू हो चुकी है। पहली है सऊदी अरबिया की जेडा टावर।
अगर ये प्लान के हिसाब से कंस्ट्रक्ट करी जाएगी तो ये पहली बिल्डिंग होगी एक किलोमीटर की हाइट क्रॉस करने वाली। इसका डिजाइन बुर्ज खलीफा से काफी सिमिलर है. क्योंकि दोनों बिल्डिंग्स का architect same है एड्रियन स्मिथ। एक बार फिर से एड्रियन स्मिथ ने वो Y shape डिजाइन को फॉलो किया है ताकि structural integrity आ सके।
एक बार फिर से इस बिल्डिंग को बनाने के पीछे purpose है सऊदी अरबिया की economy को diversify करना ताकि वो सिर्फ तेल पर ना rely करे और बुर्ज खलीफा की तरह ही ये बिल्डिंग को इस्तेमाल किया जाएगा एक नया district बनाने के लिए। jeddah economic city.
इस बिल्डिंग की construction साल 2013 में शुरू हुई थी और करीब one fourth के around tower construct हो चुका था. लेकिन unfortunately early 2018 में इस construction को रोक दिया गया और तब से ये construction वापस शुरू नहीं हुई है।
बात क्या थी 2017 और 2019 के बीच में सऊदी अरब में एक एंटी करप्शन पर्च हुई थी और जो मेजर इन्वेस्टर थे इस प्रोजेक्ट में इन्वेस्ट करने वाले उन्हें अरेस्ट कर लिया गया था और फिर कोविड 19 pandemic आ गया और ये delay अभी तक exist करता है। publicly ये कोई नहीं जानता कि इस बिल्डिंग की construction कब शुरू करी जाएगी वापस. लेकिन अगर करी जाएगी तो बुर्ज खलीफा का रिकॉर्ड यही building तोड़ सकती है।
एक दूसरा प्रोजेक्ट भी है यहाँ पर जिसकी बहुत high potential है जो दुबई के अंदर ही है जो कि है दुबई का क्रीक टावर। स्पेनिश आर्किटेक्ट के द्वारा डिजाइन किया गया ये क्रिक टावर एक बड़ा ऑब्जरवेशन टावर होगा दुबई में। इस साल 2016 और 2018 के बीच में प्लान किया गया था और फाउंडेशन already क्लियर हो चुकी है लेकिन फिलहाल इस पर भी कंस्ट्रक्शन का काम रुका हुआ है। originally प्लान किया गया था कि 2020 के एक्सपो में इसकी inauguration करी जाएगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
इस टावर की exact height कितनी होगी ये अभी तक रिवील नहीं किया गया है. लेकिन माना जाता है ये 838 मीटर और 1300 मीटर के बीच में हो सकती है। हो सकता हाइट के मामले में ये टावर जेडा टावर को बीट कर दे लेकिन टॉलेस्ट बिल्डिंग की कैटेगरी में ये टावर नहीं फिट बैठेगा क्योंकि प्लान यही है कि यहां पर रहने की और ऑफिस की कोई जगह नहीं होगी।
इसे बस एक ऑब्जर्वेशन डेक की तरह प्लान किया जाए जैसे कि आइफिल टावर है. लेकिन इसकी भी कंस्ट्रक्शन रुकी हुई है और नहीं पता कब वापस शुरू होगी तो ये दोनों नहीं तो और कौन-सी बिल्डिंग हो सकती है आने वाले फ्यूचर में जो बुर्ज खलीफा को beat कर सकती है. अब ये सवाल थोड़ा इमेजिनरी बन जाता है क्योंकि बाकी जो प्लान्ड प्रोजेक्ट्स है, उनकी प्लानिंग करी गई है, announcement करी गई है, ज्यादा काम उन पर शुरू हुआ नहीं है।
जैसे कि कुवैत के देश में प्लान किया गया मुबारक अल कबीर टावर। इसे पहली बार साल 2007 में propose किया गया था और इसकी हाइट इन्होंने propose करी कि 101 मीटर तक होगी। इसका overall डिजाइन एक बार फिर से बुर्ज खलीफा की डिजाइन से काफी मिलता-जुलता। लेकिन इस पर कोई construction शुरू नहीं हुई है तो कोई नहीं जानता कि actually में ये कब बनकर तैयार होगा।
ये सिर्फ एक proposed प्लान है। ये प्लान अगर आपको कमाल का लग रहा है तो इससे भी ज्यादा अजीबो गरीब प्लान है, The Sky Mild टावर टोक्यो में। एक 1.7 किलोमीटर ऊंची बिल्डिंग जिसमें 5 लाख लोग रह सके. फोटो देखिए इस proposed building की, इसकी भी overall shape काफी मिलती-जुलती है, बुर्ज खलीफा से.
लेकिन अगर इतनी ऊंचाई तक किसी tower को लेकर जाना है तो हवा को कंट्रोल करना बहुत ही मुश्किल हो जाता है और इसी reason से इस proposed डिजाइन में इतने बड़े-बड़े gaps छोड़े गए हैं ताकि हवा बीचों-बीच flow कर सके.
इस building के proper vertical slots हैं और ये project एक visionary mega city project में included है. इसका नाम होगा next टोक्यो तो शहर के पास एक नेक्स्ट टोक्यो बनाने की कोशिश करी जाएगी जैपनीज सरकार के द्वारा। अभी तक ये प्लान पूरा theoretical है, construction शुरू नहीं हुई है लेकिन अगर होती है तो estimate किया जाता है कि साल 2045 में जाकर ये complete होगा।
तो मोटे-मोटे तौर पर देखा जाए तो इसका बहुत कम chance है कि अगले 25 सालो में भी कोई ऐसी बिल्डिंग बनेगी। जो बुर्ज खलीफा के डिजाइन को बीट करता है। जो innovative डिजाइन जिसकी मदद से बुर्ज खलीफा इतनी ऊंची बनी है।
वैसे भी पिछले 10 सालो में 800 मीटर से ऊंची बिल्डिंग के कई projects हैं जो प्लान किए गए थे. लेकिन बाद में उन्हें cancel करना पड़ा। जैसे कि अजर भाई जान के देश में साल 2012 में एक किलोमीटर लंबी बिल्डिंग का प्लान किया गया था कैंसिल हो गया. 2013 में चाइना में 838 मीटर Sky City Scraper बनाने का प्लान किया गया था। गवर्नमेंट की approval नहीं मिली, environmental concerns की वजह से. इस project को भी cancel कर दिया गया 2016 में।
अब टोक्यो के Sky Mild Towers से आगे के जो प्लान है उससे भी ऊंचा बनाने के जो प्लान है वो इतने imaginary है कि वो science fiction की category में आते हैं। जैसे कि टोक्यो में ही XSeed 400 building का प्लान। ये एक विजनरी प्रोजेक्ट है, टोक्यो में इतनी ऊंची इमारत बनाने का जो इमारत 4 किलोमीटर ऊँची होगी। माउंट फुजी की hight से भी ऊँची होगी।
एक मिलियन लोग इसमें रह सकेंगे। दिखने में ये ऐसी दिखेगी। खुद ही में ही पहाड़ी जैसी इसको 1995 में प्लान किया गया था. लेकिन ये सिर्फ एक प्लान ही है जिस पर कोई काम नहीं हुआ है।
ऐसे ही एक प्लान है space elevator बनाने का केबल का इस्तेमाल करके हम इतना ऊँचा structure बनाए कि वो धरती से बाहर space में निकल जाए और उसकी मदद से हम earth से space में transport कर पाए आसानी से. एक ऐसी theoretical चीज है.
अब सवाल ये है कि practically बात करें तो कितना ऊँचा एक बिल्डिंग बनाया जा सकता है. बुर्ज खलीफा के structural इंजीनियर बिल बेकर का कहना है कि अगर हम buttressed core का जो डिजाइन है, उसका एक modified version इस्तेमाल करें तो एक ऐसी बिल्डिंग बनाई जा सकती है जिसकी हाइट दो मील से ज्यादा हो यानी तीन किलोमीटर से ज्यादा लंबी बिल्डिंग बनाना possible है। उनका कहना है कि theoretically तो हम माउंट एवरेस्ट से भी ऊंची एक building बना सकते हैं।
लेकिन practically problem क्या आएगी। जितनी ऊंची बिल्डिंग होती चली जाती है उतना ही ज्यादा वजन आप डाल रहे हो नीचे के फ्लोर पर वो जो force है. नीचे की building के हिस्से पर पड़ता है और ऊपर जो हवा का force आता है बिल्डिंग के ऊपर।
यही दो सबसे बड़े challenges आएंगे एक ऊंची बिल्डिंग बनाने में। अब हम innovative डिजाइन, इंजीनियरिंग और तो बिलकुल construction techniques का तो इस्तेमाल कर सकते हैं. लेकिन तब क्या होगा जब आपका material ही जवाब दे जाए.
कौन सा ऐसा मटेरियल है जो कंक्रीट, स्टील और एल्युमीनियम की जगह फ्यूचर में ले सकता है
आज के दिन हमें जितने भी materials पता है जैसे कि concrete, steel, aluminium इन सब की एक limit है. अगर हमें इनकी limit से ज्यादा जाना है तो हमें ऐसे materials का आविष्कार करना पड़ेगा। जो इन सबसे ज्यादा हल्के हो और ज्यादा durable हो, एक promising material जो यहां पर बताया जा रहा है.
वो होगा carbon fibre light weight fibers है जो carbon के बने हैं. उन्हें एक mess की तरह weaven किया गया है। steel से ज्यादा मजबूत होता है, हल्का होता है और शायद ये हमें मौका दे सकता है और ऊँची बिल्डिंगे बनाने का.
लेकिन इन सब complex इंजीनियरिंग problems से पहले एक human बॉडी की भी problem आएगी। जैसे ही buildings 1.5 किलोमीटर से 3 किलोमीटर का मार्ग क्रॉस करेगी। altitude इतना ज्यादा high हो जाएगा कि वहां पर air प्रेशर में differences हो जाएंगे। आप कभी लेह लद्दाख गए हो तो आपने नोटिस किया होगा कि कैसे पहले एक-दो दिन वहां पर उल्टियां आने लग जाती है।
dizziness होती है क्योंकि आपकी बॉडी को acclimatize करना पड़ता है। इतनी हाइट पर जो ऑक्सीजन की कमी होती है हवा में उसके लिए अब किसी पहाड़ी पर चढ़ते-चढ़ते तो ये धीरे-धीरे किया जा सकता है।
लेकिन अगर एक इतनी ऊंची building बना ली हमने जो 2 किलोमीटर लंबी है। उसमें हम instantly elevator में बैठ के नीचे से ऊपर जाएंगे तो same problems हमारी बॉडी face करेगी। unless उस building के अंदर आप air प्रेशर कंट्रोल करो और ऐसा करना बहुत महंगा पड़ेगा, पहली चीज तो और इसका मतलब दूसरी चीज ये होगी कि आप balconies नहीं बना सकते इतने high floors पर. मतलब बना सकते हो लेकिन फिर उनमें कोई जा नहीं पाएगा।
इन चीजों का ध्यान रखना पड़ेगा और human body की प्रॉब्लम से भी पहले आती है socio economic limitations जो सबसे बड़ा कारण है कि इतनी ऊँची बिल्डिंग क्यों नहीं बनती? पैसा कोई guarantee नहीं है कि हर building बुर्ज खलीफा जितनी successful निकलेगी।
उसके आस-पास इतनी economic बूम देखने को मिलेगी। investors को हजारों-करोड़ रुपए spend करने पड़ेंगे ऐसी बिल्डिंग को fund करने के लिए और ऐसी बिल्डिंग को fund करने का मतलब हुआ बहुत higher risk.
कितने लोग fund करना चाहेंगे? इसके अलावा लोकल गवर्नमेंट सपोर्ट की भी जरूरत होगी और बहुत सी सरकारें ऐसी चीज सपोर्ट नहीं करेगी क्योंकि ज्यादातर देशों में पैसों का और बेहतर इस्तेमाल किया जा सकता है। इंडिया जैसी developing countries में अगर सारा पैसा सरकार इन्हीं चीजों में लगा दे कि कितनी ऊंची हम building बना सकते हैं। तो इसे एक बहुत बड़ी wastage कहा जाएगा।
यही कारण है कि चाइना में भी हाल ही में चाइनीज सरकार ने लॉ पास किया था कि 500 मीटर से ऊपर कोई बिल्डिंग नहीं बनने देंगे। हम देश और उससे ऊपर बिल्डिंग बनाने का मतलब है कि ये सिर्फ vanity के लिए किया जा रहा है, दिखावे के लिए किया जा रहा है।
practically वो पैसे की wastage है, energy consumption ,बहुत ज्यादा high होगी, सरकार का भी पैसा वेस्ट होगा कोई जरूरत नहीं है इसलिए हम बैन लगा देते हैं। चाइनीज सरकार के loss के according जिस शहर में 3 मिलियन तक की population है उसमें हाइट लिमिट सेट करी हुई है स्काइस्क्रैपर के लिये 250 meters तो एक चीज यहाँ बहुत ध्यान देने वाली है दोस्तों कि दुनिया भर में ऐसे बहुत कम शहर है जहाँ के socio-economic factors allow करते हो कि वहां दुनिया की tallest बिल्डिंग बन पाए।
करीब 100 साल पहले ये शहर थे न्यूयॉर्क और शिकागो जहाँ पर economic बूम देखने को मिला था. इतनी भारी संख्या में वहां पर लोग आ रहे थे। डिमांड थी कम जगह पर और घर बनाने की और ऑफिसेस बनाने की. इसलिए वहां पर ऊँची बिल्डिंगे बनी। इक्कीसवीं सदी में कुछ हद तक ये चीज चाइना के शहरों में और ताइवान के शहरों में देखी गई। इसी reason से बहुत सी ऊंची बिल्डिंग वहां पर आपको देखने को मिलेगी वहां के शहरों में.
लेकिन इतनी ऊंची भी नहीं कि profitable ना बचे हो और बची फिर middle eastern countries जैसे कि यूएई और सऊदी अरेबिया जहाँ पर oil dependence कम करना चाह रही है सरकार। सरकार के पास oils है लेकिन ऐसा है तो ये चीज इन जगहों पर करनी कुछ हद तक possible हो पाई। तो यही कारण है दोस्तों अभी के लिए अगले कई सालों तक तो at least बुर्ज खलीफा ही दुनिया की tallest बिल्डिंग रहेगी।
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