अररिया लोकसभा सीट का राजनीतिक समीकरण, Political Equation of Araria Lok Sabha Seat, Loksabha Election 2024

Political Equation of Araria Lok Sabha Seat: 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर, न्यूज़4लाइफ के नए सीरीज “बिहार के लोकसभा क्षेत्रों का राजनीतिक समीकरण” के दूसरे एपिसोड में हम बात करेंगे बिहार के “अररिया” लोकसभा क्षेत्र के राजनीतिक समीकरण के बारे में और ये भी जानेंगे कि अररिया लोकसभा सीट से किस पार्टी के उम्मीदवार 2024 के लोकसभा चुनाव भी जीत सकती है.

Political Equation of Araria Lok Sabha Seat:अररिया लोकसभा सीट का राजनीतिक समीकरण

अररिया जिला भले ही 1990 में बना हो. लेकिन लोकसभा सीट 1967 में ही अस्तित्व में आ गया था। इन 56 सालों में लोकसभा क्षेत्र की तस्वीर भी बदली और तासीर भी। 2009 में नया परिसीमन लागू होने के बाद यह सीट आरक्षित से सामान्य हो गई। अच्छी बात ये रही कि पूरा अररिया जिला ही एक संसदीय क्षेत्र बन गया। इसमें 6 विधानसभा क्षेत्र हैं।

आगामी लोकसभा चुनाव 2024 में एक ओर जहां अररिया सीट पर बीजेपी को अपनी साख बचाने की चुनौती है तो वहीं दूसरी ओर आरजेडी की राह भी आसान नहीं होगी। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रदीप कुमार सिंह (618434) विजयी हुए थे। दूसरे स्थान पर राजद के सरफराज आलम (481193) रहे थे। वहीं तीसरे स्थान पर बसपा के राम नारायण भारती (10294) रहे थे। हालांकि नोटा को मिले 20618 वोट ने सबको चौंका दिया था।

2019 के लोकसभा चुनाव में अररिया से कुल 12 उम्मीदवार मैदान में थे। पहले स्थान पर भाजपा के प्रदीप सिंह, दूसरे पर राजद के सरफराज आलम थे। जबकि तीसरा स्थान नोटा का था।

अररिया लोक सभा सीट का जातीय समीकरण बहुत जटिल है। मुस्लिम मतदाताओं के मुकाबले, हिंदू मतदाताओं की संख्या अधिक है। मुस्लिम आबादी 42.9% व हिन्दू आबादी 56.6 % है। वहीं 32 % मुस्लिम वोटर हैं। अगर सांप्रदायिक आधार पर ध्रुवीकरण होता है तो कोई मुस्लिम उम्मीदवार उसी हालत में जीत सकता है, जब उसे हिंदू समुदाय का भी कुछ प्रतिशत वोट मिल सके।

हालांकि हिन्दु के समान मुस्लिम समुदाय भी कई जातियों में बंटी है। दो प्रमुख जातियां हैं- कुल्हैया और शेखरा। कुल्हैया की आबादी सबसे अधिक है। इसके अलावा अंसारी, शेरशाहबादी, सब्जफ्रोश और फकीर, आदि जातियां भी हैं। जबकि हिंदुओं में यादव और मंडल वोट सबसे अधिक हैं। हरिजन और आदिवासी वोट भी चुनाव के दृष्टिकोण से बहुत अहम हैं। कुर्मी और कोइरी भी हैं। ब्राह्मण मतदाता तो कमोबेश सभी विधानसभा क्षेत्रों में हैं। इनकी संख्या अन्य अगड़ी जाति जैसे भूमिहार, राजपूत व कायस्थ आदि से अधिक है।

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के दौरान अररिया जिले की 6 विधानसभा क्षेत्रों में से 3 सीट फारबिसगंज से विद्यासागर केशरी, नरपतगंज से जय प्रकाश यादव और सिकटी से विनय कुमार मंडल, भाजपा के खाते में गई थी। जबकि मुस्लिम बाहुल्य अररिया विधानसभा सीट से कांग्रेस के आबिदुर रहमान और जोकीहाट में राजद उम्मीदवार सरफराज आलम ने बाजी मारी थी। वहीं रानीगंज से जेडीयू प्रत्याशी अश्मित ऋषि विजयी हुए थे।

2018 के लोकसभा उपचुनाव में राजद के सरफराज आलम (509334) ने भाजपा के प्रदीप सिंह (447346) को हराया था।

आइये अब जानते हैं, अब तक कौन-कौन अररिया लोकसभा क्षेत्र से सांसद बने हैं और वो किस पार्टी से थे. 1967 में तुलमोहन राम, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, 1971 में तुलमोहन राम, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, 1977 में महेंद्र नारायण सरदार, भारतीय लोक दल, 1980 में डुमर लाल बैठा, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई), 1984 में डुमर लाल बैठा, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, 1989 में सुकदेव पासवान, जनता दल, 1991 में सुकदेव पासवान, जनता दल, 1996 में सुकदेव पासवान, जनता दल, 1998 में रामजी दास ऋषिदेव, बीजेपी, 1999 में सुकदेव पासवान, आरजेडी, 2004 में सुकदेव पासवान, बीजेपी, 2009 में प्रदीप कुमार सिंह, बीजेपी, 2014 में मोहम्मद तस्लीमुद्दीन, आरजेडी, 2018 में सरफ़राज़ आलम, आरजेडी (उप चुनाव) और 2019 में प्रदीप कुमार सिंह, बीजेपी।

अररिया लोकसभा क्षेत्र में बीजेपी को जहाँ अपनी साख बचाने की चुनौती होगी, वहीँ विपक्षी गठबंधन पहले से मजबूत होकर सामने से कड़ी चुनौती देने में सक्षम रहेगा।

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